ऑस्ट्रेलिया में अब 16 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया पर अकाउंट नहीं बना सकेंगे। ऑस्ट्रेलिया दुनिया का पहला देश बन गया है जिसने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट बनाने पर पाबंदी लगा दी है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने 'प्राउड डे' बताया है। उन्होंने कहा, 'इससे बहुत बड़ा फर्क पड़ेगा। यह हमारे देश के सामने आए सबसे बड़े सामाजिक और सांस्कृतिक बदलावों में से एक है। यह एक बड़ा सुधार है जिसका असर पूरी दुनिया में दिखेगा।'
उन्होंने बच्चों के लिए एक वीडियो मैसेज भी जारी किया है। इसमें उन्होंने बच्चों से कहा कि वे इस महीने के आखिरी में शुरू होने वाले समर स्कूल ब्रेक से पहले कोई नया खेल खेलना या इंस्ट्रूमेंट बजाना शुरू करें या फिर उन किताबों को पढ़ें जो कुछ समय से आपकी शेल्फ में पड़ी हुई हैं।
ऑस्ट्रेलिया की संसद ने बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट पर बैन लगाने के लिए पिछले साल कानून पास किया था। इसे 10 दिसंबर से लागू कर दिया गया है। पिछले साल संसद में पीएम एंथनी अल्बानीज ने कहा था, 'हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे बचपन जिएं और माता-पिता को पता हो कि हम उनके साथ खड़े हैं।'
ऑस्ट्रेलिया के इस कानून पर मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही है। एक टीनेजर ने टिकटॉक पर लिखा, 'अब कोई सोशल मीडिया नहीं। बाकी दुनिया से कोई कॉन्टैक्ट नहीं।' वहीं, कुछ संगठनों ने इस कानून को बच्चों के अधिकारों को उल्लंघन बताया है।
यह भी पढ़ें-- बेंगलुरु का लड़का, एप्पल AI का वाइस प्रेसीडेंट कैसे बना? कहानी अमर सुब्रमण्य की
क्या है कानून? असर क्या? 6 पॉइंट्स में समझिए
- क्या है कानून: अब ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चे किसी भी सोशल मीडिया पर अकाउंट नहीं बना पाएंगे। पुराने अकाउंट डिलीट किए जा रहे हैं।
- क्यों लाया गया: ताकि बच्चों को ऑनलाइन बुलिंग से बचाया जा सके। इसका मकसद बच्चों को उन्हें नुकसान पहुंचाने वाले कंटेंट से बचाना है।
- कैसे होगा यह: सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी होगी कि वे 16 साल से कम उम्र के बच्चों को अकाउंट बनाने से रोकें।
- काम कैसे करेगा यह: सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए सरकारी आईडी जरूरी होगी। सेल्फी भी अपलोड करनी होगी, ताकि उम्र का पता चल सके।
- अगर अकाउंट बन गया तो: 16 साल का कोई बच्चा अकाउंट बनाता है तो सोशल मीडिया कंपनी पर 4.95 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया जाएगा।
- कितने बच्चों पर इसका असर: ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के 50 लाख बच्चे हैं। 10 से 15 साल की उम्र के 10 लाख बच्चे हैं।
यह भी पढ़ें-- एक मिनट के लिए X, ChatGPT ठप हो जाए तो कितना नुकसान होता है?
क्या है ऑस्ट्रेलिया का नया कानून?
सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने को लेकर कोई पाबंदी नहीं है। कम उम्र के बहुत से बच्चे अपनी उम्र छिपाकर अकाउंट बना लेते हैं। मगर अब ऑस्ट्रेलिया में कोई भी उम्र छिपाकर अकाउंट नहीं बना पाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों की होगी।
कानून में कहा गया है कि सोशल मीडिया कंपनियां बच्चों को अकाउंट एक्सेस करने से रोकने के लिए 'सही उपाय' अपनाएंगी। इसके लिए सरकारी आईडी, सेल्फी या आवाज से पहचान की जाएगी।
ऑस्ट्रेलिया सरकार का यह कानून फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, थ्रेड, टिकटॉक, एक्स, यूट्यूब, रेडिट, किक और ट्विच जैसे प्लेटफॉर्म पर लागू होगा। यूट्यूब किड्स, गूगल क्लासरूम और वॉट्सऐप पर कोई पाबंदी नहीं है। सरकार का कहना है कि ऑनलाइन गेमिंग को भी इस दायरे में लाया जा सकता है।
कानून लागू होने से पहले ही सोशल मीडिया कंपनियां 16 साल से कम उम्र के बच्चों के अकाउंट को डिलीट करने लगी हैं। 16 साल से कम उम्र के बच्चे अकाउंट न बना लें, इसकी पूरी जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनी की होगी। अगर कोई कंपनी ऐसा नहीं कर पाती है तो उस पर 4.95 करोड़ डॉलर (लगभग 445 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया जा सकता है।
यह भी पढ़ें-- YouTube, Netflix या JioHotstar, सबसे ज्यादा कौन कमाता है?
क्या साइबर बुलिंग रोक पाएगा कानून?
दावा किया जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया का यह नया कानून बच्चों को साइबर बुलिंग से बचाएगा। ऑस्ट्रेलिया की साइकियाट्रिस्ट डॉ. क्रिश्चियन हेम ने बीबीसी से कहा कि यह बैन कई लोगों की जान बचाएगा। उन्होंने कहा, 'बदिकस्मती से मेरी क्लिनीक में कई ऐसी लड़कियां आईं, जिनकी जान इसलिए चली गई, क्योंकि वे एक चैट साइट पर थीं।'
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. रेचल मरीही ने बीबीसी से कहा कि सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह सोशल मीडिया पर एज कंट्रोल को कैसे लागू करेगी? उन्होंने कहा, 'सोशल मीडिया के कारण कुछ बच्चों में नींद की समस्या और बॉडी इमेज जैसी समस्याएं हो सकती हैं लेकिन यह LGBTQ+, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले या विकलांग बच्चों के लिए लाइफलाइन भी हो सकता है।'
उन्होंने कहा, 'कुछ बच्चे अपने जैसे बच्चों के साथ कनेक्शन के लिए इन सोशल मीडिया पर निर्भर रहते हैं। इसलिए इस पर बैन लगाने की बजाय हमें कुछ और करने की जरूरत है।'

जानकारों का मानना है कि सोशल मीडिया बैन से साइबर बुलिंग नहीं रुकेगी। 'द कन्वर्जेशन' की रिपोर्ट कहती है कि इससे साइबर बुलिंग में कोई खास कमी नहीं आएगी। 16 साल से कम उम्र के बच्चे भले ही फेसबुक-इंस्टा और स्नैपचैट पर अकाउंट नहीं बना पाएंगे लेकिन फिर भी उनके पास वॉट्सऐप, डिस्कॉर्ड जैसे दूसरे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का एक्सेस होगा।
रिपोर्ट कहती है कि 'यह मानना नादानी होगी कि बुलिंग ऐक्टिविटी बस एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट नहीं होगी।'
इसमें कहा गया है, 'यह बैन कुछ मायनों में साइबर बुलिंग को और खराब कर सकता है, क्योंकि मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर बुलिंग दूसरों को कम दिखाई देगी।'
यह भी पढ़ें-- X के लोकेशन फीचर से कौन से 'राज' खुलने लगे कि बवाल हो गया?
पर क्यों जरूरी है यह बैन?
16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर आना कई मायनों में खतरनाक होता है।
अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेस की एक रिसर्च बताती है कि जो बच्चे और टीनएजर्स दिन में 3 घंटे से ज्यादा सोशल मीडिया पर बिताते हैं, उनमें डिप्रेशन और एंजायटी का खतरा दोगुना होता है। इस रिसर्च में एक सर्वे के हवाले से कहा गया है कि 13 से 17 साल के 46% टीनएजर्स का मानना है कि सोशल मीडिया उन्हें और बुरा महसूस कराता है।
इसी तरह, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सितंबर 2024 में एक सर्वे जारी किया था। सर्वे में 44 देशों के 11, 13 और 15 साल के 2.80 लाख से ज्यादा बच्चों को शामिल किया गया था। सर्वे में शामिल 11% बच्चों ने माना था कि सोशल मीडिया के कारण उन्हें कई तरह की समस्याएं हुई हैं।

अमेरिका में हुई एक स्टडी में सामने आया था कि सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों का न सिर्फ कॉन्फिडेंस कम हो जाता है, बल्कि उन्हें भूख भी कम लगती है। सर्वे में शामिल 13 से 17 साल की 46% लड़कियों ने बताया था कि सोशल मीडिया ने उन्हें अपनी बॉडी को लेकर बुरा महसूस कराया है। इस सर्वे में शामिल 64% बच्चों ने बताया था कि वे रोज साइबर बुलिंग का शिकार होते हैं।
इतना ही नहीं, सोशल मीडिया पर कई ऐसे लोग भी होते हैं जो कम उम्र के बच्चों को टारगेट करते हैं और उनका इस्तेमाल अपनी सेक्सुअल डिजायर पूरी करने के लिए करते हैं या फिर उनसे पैसे ठगते हैं। सर्वे में शामिल में 10 में से 6 लड़िकयों ने बताया था कि सोशल मीडिया पर किसी अजनबी ने उनसे इस तरह बात की जिससे उन्हें बड़ा अजीब लगा।
सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बच्चों में एकाग्रता की कमी भी हो रही है। पीडियाट्रिक्स ओपन साइंस में एक स्टडी छपी थी, जिसमें सामने आया था कि सोशल मीडिया के कारण बच्चे अपने काम पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं।
