शनिवार की सुबह भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान सेना के ठिकानों पर सटीक जवाबी हमले किए। इन हमलों में भारत ने अपने सबसे आधुनिक और एडवांस मिसाइल, गाइडेड बम और ‘लॉइटरिंग म्युनिशन’ का इस्तेमाल किया गया, साथ ही इसमें BrahMos के इस्तेमाल की रिपोर्ट भी सामने आई है। यह हमला पाकिस्तान की तरफ से हुई आक्रामक कार्रवाई का जवाब था।

किन ठिकानों को बनाया गया निशाना?

भारतीय वायुसेना ने जिन ठिकानों को निशाना बनाया उनमें पाकिस्तान के रफीकी (शोरकोट, झंग), मरीद (चक्कवाल), नूर खान (चकला, रावलपिंडी), रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनीयां (कसूर) जैसे एयरबेस शामिल थे। इसके अलावा स्कर्दू, भोलारी, जैकबाबाद और सरगोधा जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर भी भारी नुकसान हुआ। भारत ने पसूर और सियालकोट स्थित रडार स्थलों को भी सटीक हथियारों से नष्ट किया।

 

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BrahMos:  सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की खासियत

भारत और रूस के संयुक्त प्रोजेक्ट में बना BrahMos दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में गिनी जाती है। BrahMos की सबसे बड़ी ताकत इसकी गति है। यह आवाज की रफ्तार से लगभग तीन गुना यानी 2.8 से 3 माक (Mach) की रफ्तार से उड़ती है। इसकी तेज स्पीड दुश्मन की रडार और डिफेंस सिस्टम को प्रतिक्रिया देने का समय नहीं देती।

 

पहले BrahMos की रेंज लगभग 290 किलोमीटर थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर 450 से 500 किलोमीटर तक कर दिया गया है। BrahMos एयरोस्पेस अब 800 किलोमीटर से भी ज्यादा रेंज वाले संस्करण पर काम कर रहा है। 

 

BrahMos मिसाइल लगभग 200–300 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जा सकती है। यह non-nuclear और strategic हमलों के लिए उपयोगी है। यह जमीन पर बने बंकर, शत्रु के युद्धपोत, रडार स्टेशन और दूसरी जरूरी संसाधनों को एक ही झटके में नष्ट कर सकती है।

 

इसमें एडवांस गाइडेंस सिस्टम है जिसमें GPS और INS (Inertial Navigation System) की मदद से यह अपने लक्ष्य को बहुत ही सटीकता से भेद सकती है। इसकी सटीकता का मानक लगभग 1–2 मीटर का होता है, जो इसे बेहद खतरनाक बनाता है।

 

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कितने तरह के हैं BrahMos मिसाइल

  • भूमि से भूमि: जमीन से दुश्मन की जमीन पर हमला करने वाली मिसाइल।
  • समुद्र से समुद्र या समुद्र से जमीन: युद्धपोतों से दागी जाती है और दुश्मन के जहाज या तटवर्ती ठिकानों पर हमला करती है।
  • आसमान से हो सकता है लॉन्च: यह वर्जन भारतीय वायुसेना के सुखोई-30MKI से लॉन्च किया जा सकता है।

BrahMos को 'फायर एंड फॉरगेट' प्रणाली से बनाया गया है यानी एक बार लॉन्च होने के बाद इसे कंट्रोल करने की जरूरत नहीं होती है। इसकी गति के कारण दुश्मन के पास कोई बचाव प्रणाली सक्रिय करने का समय नहीं होता। यह मिसाइल किसी भी स्थिति में काम कर सकती है।