अंतरिक्ष में कई ऐसे रहस्य हैं, जिनकी खोज दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां जुटी हुई हैं। इसी कड़ी में अंतरिक्ष में कई सैटेलाइट को भेजा जाता है। जिसकी संख्या हजारों की संख्या में। लेकिन जहां एक तरफ ये अंतरिक्ष व पृथ्वी से जुड़े शोध में सहायता करते हैं, वहीं दूसरी तरफ अब ये धरती के लिए खतरा भी बनते जा रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी के लिए पृथ्वी के इर्द-गिर्द हजारों की संख्या में उपग्रह और रॉकेट मलबे तैर रहे हैं, जिसे 'स्पेस डेब्रिस' कहते हैं।

स्पेस डेब्रिस क्या है?

स्पेस डेब्रिस या अंतरिक्ष मलबा, वह मलबे हैं जो मानव गतिविधियों के कारण अंतरिक्ष में छोड़ी गई है। इसमें टूटे हुए उपग्रह, रॉकेट लॉन्च के बचे हुए हिस्से, और छोटे-छोटे टुकड़े शामिल हैं। बता दें कि 500,000 से अधिक ऐसे टुकड़े हैं जो पृथ्वी ऑर्बिट में चक्कर काट रहे हैं और ये टुकड़े करीब 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलते हैं। ये इतनी तेज गति है कि छोटे से छोटा टुकड़ा भी बड़े विनाश का कारण बन सकता है।

 कैसे बनता है स्पेस डेब्रिस?

स्पेस डेब्रिस के कई कारणों को वैज्ञानिकों ने बताया है। इसमें सबसे बड़ा कारण है रॉकेट लॉन्च के बाद बचा हुआ कचरा, जो स्पेस डेब्रिस में बढ़ोतरी कर रहा है। इसके साथ पुराने और लंबे से काम करना बंद कर चुके डेड सैटेलाइट भी स्पेस डेब्रिस को बढ़ा देते हैं। साथ ही कई ऐसे उपग्रह हैं, जिनका टकराव अंतरिक्ष में तैरते हुए मलबे से या अन्य चीजों से होता है और इसके कारण स्पेस डेब्रिस में वृद्धि होती है। कई बार एंटी-सैटेलाइट वेपन टेस्ट भी किया जाता है, जिस वजह से भी अंतरिक्ष में तैर रहे मलबों में बढ़ोतरी होती है। इन घटनाओं से हजारों नए मलबे के टुकड़े बनते हैं, जो आने वाले दशकों तक ऑर्बिट में रह सकते हैं।

इसका असर क्या है?

स्पेस डेब्रिस न केवल अंतरिक्ष के लिए बल्कि पृथ्वी और मानव जीवन के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है। बता दें कि स्पेस डेब्रिस के कारण सैटेलाइट्स पर खतरा बढ़ जाता है, जो संचार, मौसम पूर्वानुमान, और नेविगेशन सिस्टम बाधित कर कर सकता है। इसके साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को कई बार डेब्रिस से बचाने के लिए अपने स्थान को बदलना पड़ा है, भविष्य में ये खतरा और भी बढ़ सकता है। साथ ही नई तकनीक और मिशनों के लिए सुरक्षित ऑर्बिट कम होते जा रहे हैं। ऐसे में भविष्य में शोध से जुड़े काम में बाधाएं पैदा हो सकती है।

इस समस्या का क्या है समाधान?

कई वैज्ञानिकों ने स्पेस डेब्रिस की समस्या को खत्म करने के लिए अलग-अलग सुझाव दिए हैं, जिनमें से एक सुझाव यह है कि सैटेलाइट्स को उनके मिशन के अंत में पृथ्वी पर गिरा देना चाहिए। इसके साथ यूरोपियन स्पेस एजेंसी का 'क्लीयरस्पेस-1' मिशन और  जापान की जाले फेंकने वाली तकनीक इस काम को करने की योजना बना रही है, हालांकि इससे किस हद स्पेस डेब्रिस को काम किया जा सकेगा उसे बता पाना मुश्किल है। कुछ शोधकर्ता यह सुझाव देते हैं कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से मलबे के निर्माण को रोकने के लिए सख्त नियम लाना चाहिए।