दुनिया के कई देशों में 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाया जाता है, जबकि भारत में इसी दिन तुलसी पूजन दिवस मनाने का चलन देखने को मिल रहा है। हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष धार्मिक महत्व माना जाता है। इस दिवस की शुरुआत साल 2014 में आसाराम और कुछ धार्मिक संगठनों ने की थी। इन संगठनों का कहना है कि इसका उद्देश्य पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव के बीच भारतीय परंपराओं को मजबूत करना है। आसाराम को दुष्कर्म में दोषी पाया गया था लेकिन अक्टूबर 2025 में उसे मेडिकल ग्राउंड पर 6 महीने की अंतरिम जमानत मिल गई थी।
तुलसी पूजन दिवस पर तुलसी के पौधे की विधिवत पूजा की जाती है। पिछले कुछ वर्षों में यह परंपरा तेजी से लोकप्रिय हुई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है।
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तुलसी दिवस मनाने के पीछे का तर्क
कुछ धार्मिक संगठनों का कहना है कि क्रिसमस की चकाचौंध के बीच तुलसी पूजा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इस अवसर पर लोग अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाते हैं और लोगों को तुलसी पूजा के लिए प्रेरित करते हुए पौधे भी वितरित किए जाते हैं। उनका मानना है कि 25 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच शराब जैसी नशीली चीजों का सेवन काफी बढ़ जाता है।
आसाराम की संस्था की वेबसाइट पर बताया गया है, '25 दिसम्बर से 1 जनवरी के दौरान शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, आत्महत्या जैसी घटनाएं, युवाधन की तबाही एवं अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं। इसलिए प्राणिमात्र का मंगल एवं भला चाहने और करने वाले पूज्य बापूजी ने वर्ष 2014 में आह्वान किया था कि 25 दिसंबर से एक जनवरी तक तुलसी-पूजन, जप-माला पूजन, गौ-पूजन, हवन, गौ-गीता-गंगा जागृति यात्रा, सत्संग आदि कार्यक्रम आयोजित हों।'
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दिवस को मनाने की अपील
इन संगठनों का कहना है कि लोगों को तुलसी के महत्व के बारे में समझना और जानना चाहिए। इसी उद्देश्य से लोगों को तुलसी के पौधे वितरित किए जाते हैं। उनका मानना है कि 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के बजाय तुलसी दिवस मनाया जाना चाहिए। इसके तहत 25 तारीख को अलग-अलग स्थानों पर तुलसी के पौधे बांटने का अभियान चलाया जाएगा। मान्यता है कि घर में तुलसी की पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा आती है, वातावरण शुद्ध रहता है और बीमारियों से राहत मिलती है।
