टेस्ला और स्पेस एक्स के CEO एलन मस्क ने निखिल कामत के साथ एक पॉडकास्ट में कहा कि उनके एक बेटे का मिडिल नेम शेखर है और उनकी पार्टनर शिवॉन जिलिस आधी हिंदुस्तानी हैं। एलन मस्क ने जिरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत के पॉडकास्ट में हिस्सा लिया और अपनी निजी जिंदगी से जुड़े कई राज खोले। उन्होंने अमेरिकी नीतियों पर भी बात की और भारत के साथ रिश्तों पर भी खुलकर चर्चा की।

निखिल कामत के साथ उन्होंने शिवॉन के बचपन के बारे में बात की और कहा कि वह कनाडा में पली-बढ़ी हैं। बचपन में उन्हें गोद दे दिया गया था। एलन मस्क ने बताया कि शिवॉन के पिता शायद एक एक्सचेंज स्टूडेंट थे। एक्सचेंज स्टूडेंट, उन विद्यार्थियों को कहते हैं जो अपने देश की पढ़ाई को कुछ महीनों के लिए छोड़कर किसी दूसरे देश के स्कूल, कॉलेज या यूनिवर्सिटी में जाकर पढ़ते हैं। 

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एलन मस्क के बेटे का नाम शेखर क्यों?

एलन मस्क ने बताया कि शिवॉन और उनका एक बेटा है जिसका मिडिल नेम 'शेखर' है। यह नाम उन्होंने महान भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता सुब्रमण्यन चंद्रशेखर के सम्मान में रखा है।

एलन मस्क:-
शायद आप यह नहीं जानते, लेकिन मेरी पार्टनर शिवॉन आधी भारतीय हैं। उनसे मेरा एक बेटा है, उसका मिडिल नेम चंद्रशेखर के नाम पर शेखर रखा है।

कौन हैं शिवॉन जिलिस?

शिवॉन जिलिस ने येल यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स और फिलॉसफी की पढ़ाई की है। साल 2017 में वह एलन मस्क की आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस कंपनी 'न्यूरालिंक' से जुड़ी थीं। शिवॉन इस कंपनी में अभी डायरेक्टर ऑफ ऑपरेशंस हैं। एलन मस्क और शिवॉन के चार बच्चे हैं।

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भारत की खूब तारीफ कर गए एलन मस्क

पॉडकास्ट के दौरान एलन मस्क ने अमेरिका की तरक्की में भारतीयों के योगदान की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि अमेरिका को भारतीय टैलेंट से बहुत फायदा मिला है, लेकिन अब ऐसा लगता है कि चीजें बदल रही हैं। 

H-1B वीजा पर क्या कहा?

एलन मस्क:-
मुझे नहीं लगता कि विदेशी लोग अमेरिकियों की नौकरियां छीन रहे हैं। मेरी नजर में तो हमेशा अच्छे टैलेंट की कमी रहती है।

एलन मस्क ने कहा कि उनकी कंपनियां दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली लोगों को ही हायर करती हैं। उन्होंने माना कि ज्यादा टैलेंटेड लोग आने से सबको फायदा होता है। एलन मस्क ने कहा कि अमेरिका को प्रतिभाशाली भारतीयों से बहुत फायदा हुआ है। H-1B वीजा का दुरुपयोग और पहले की सरकार की खुली नीति की वजह से अमेरिका में कुछ एंटी-इमिग्रेशन नियम बने। अब चीजें बदल रहीं हैं।