देशभर में क्रिसमस का त्योहार पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। 25 दिसंबर को यीशु मसीह के जन्मोत्सव के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में चर्चों में बड़ी संख्या में लोग जुटे और सुबह से ही प्रार्थनाओं का सिलसिला जारी है। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक गाना तेजी से वायरल हो रहा है, जिसके बोल हैं- 'Yeshu de waggan wali raat'। यह एक लोकप्रिय पंजाबी गीत है, जिसका भाव यीशु मसीह के जन्म की खुशी को दर्शाता है। कई लोग यह जानना चाहते हैं कि यह गीत पंजाबी भाषा में क्यों लिखा गया है।

 

'यीशु द जनम हुआ भागां वाली रात' का मतलब है वह रात जब यीशु की कृपा और पवित्र आत्मा की ठंडी हवा बह रही थी। बाइबिल और ईसाई मान्यताओं में ईश्वर की उपस्थिति को अक्सर बहती हुई हवा के रूप में दर्शाया जाता है। यह गीत उसी खास रात का वर्णन करता है, जब यीशु मसीह का जन्म हुआ था।

 

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गाने के लाइन और मतलब

बाइबिल और ईसाई मान्यताओं के अनुसार, 'यीशु द जनम हुआ भागां वाली रात' गाना उस रात को दर्शाता है जब यीशु मसीह का जन्म हुआ और पूरी दुनिया में खुशी फैल गई। यह गीत बताता है कि वह रात लोगों के लिए आशा और विश्वास का संदेश लेकर आई थी। इसे आमतौर पर क्रिसमस के समय गाया जाता है। गीत में चरवाहों और बैथलहम में यीशु के जन्म का उल्लेख मिलता है। साथ ही, इसमें यह भी कहा जाता है कि उस रात स्वर्ग से दिव्य प्रकाश फैला और हर ओर यीशु की महिमा गूंज उठी।

 

गाना पंजाबी में क्यों?

पंजाब में ईसाइयों की एक बहुत बड़ी आबादी रहती है जिनकी भाषा पंजाबी है। अपनी आस्था को अपनी ही भाषा और संस्कृति में व्यक्त करना बहुत स्वाभाविक है। जैसे हिंदू और सिख समुदाय अपनी भक्ति के लिए पंजाबी का उपयोग करते हैं, वैसे ही पंजाबी ईसाई भी 'मसीही गीत' और 'ज़बूर' (भजन) अपनी भाषा में गाते हैं।

 

इस गाने की धुन और लय पूरी तरह से पंजाबी लोक संगीत (जैसे गिद्दा या भांगड़ा की लय) पर आधारित है। ईसाई धर्म की शिक्षाओं को स्थानीय लोगों तक पहुंचाने के लिए संगीतकारों ने पारंपरिक पंजाबी धुनों का सहारा लिया ताकि लोग इससे आसानी से जुड़ सकें। ढोल, चिमटा और तुंबी जैसे वाद्ययंत्रों का भी इसमें इस्तेमाल किया गया है।

 

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पंजाबी भाषा मेंवग्गका मतलब होता है पशुओं का झुंडबाइबल के अनुसार, यीशु के जन्म की सूचना सबसे पहले उन चरवाहों को मिली थी जो रात के समय अपने भेड़ों के झुंड (वग्ग) की रखवाली कर रहे थेइसी वजह से कुछ लोग इस गीत को ‘भागां वाली रातसे जोड़कर भी देखते हैं

 

19वीं और 20वीं शताब्दी में पंजाब में मिशनरियों और स्थानीय कवियों ने महसूस किया कि यदि Gospel को पश्चिमी धुनों के बजाय स्थानीय बोली और टप्पों के रूप में प्रस्तुत किया जाए, तो वह आम लोगों तक जल्दी पहुंचेगा। यही कारण है कि आज उत्तर भारत के गांवों में ऐसे सैकड़ों पंजाबी मसीही गीत लोकप्रिय हैं।

 

हाल के वर्षों में यह गाना सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ है। इसकी 'कैची' और झूमने वाली बीट के कारण इसे न केवल ईसाई समुदाय, बल्कि अन्य लोग भी क्रिसमस के मौके पर बड़े उत्साह से सुनते और शेयर करते हैं।