केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में विधानसभा के चुनाव 1993 के आखिर में हुए। राम मंदिर आंदोलन के बाद आक्रामक मूड में चल रही भारतीय जनता पार्टी (BJP) दिल्ली में कांग्रेस को चुनौती देने के लिए तैयार थी। नई-नई विधानसभा के लिए जो चुनाव हुए उसमें बाजी मारी भारतीय जनता पार्टी ने और पहली सरकार उसी ने बनाई। एक तरफ कांग्रेस उथल-पुथल के दौर से गुजर रही थी तो दूसरी तरफ बीजेपी हिंदुत्व की राजनीति को लेकर तेजी से आगे बढ़ रही थी। कई शिक्षक, सेलिब्रिटी, कारोबारी और अन्य वर्गों के लोग बीजेपी की ओर आकर्षित हो रहे थे। इसका फायदा उसे दिल्ली के पहले चुनाव में मिला और वह सरकार बनाने में कामयाब रही। हालांकि, यही कामयाबी उसे सरकार चलाने में हासिल नहीं हुई और पांच साल के कार्यकाल में ही उसे तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़ गए।
सबसे पहले सीएम बने मदनलाल खुराना जिन्हें 2 साल 3 महीने में ही अपना पद छोड़ना पड़ा। मदनलाल खुराना के बाद बीजेपी ने साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री पद पर बिठाया लेकिन अगले चुनाव से ठीक पहले उन्हें भी पद से हटाया गया। ऐसे में सुषमा स्वराज सिर्फ 52 दिन के लिए दिल्ली की सीएम बनीं।
कैसा रहा 1993 का विधानसभा चुनाव?
1993 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या तब 58.50 लाख थी, जिसमें से कुल 36.12 लाख लोगों ने वोट डाला यानी वोटिंग 61.75 पर्सेंट हुई। 70 सीटों पर कुल 1316 लोग चुनाव लड़ने उतरे जिसमें सिर्फ 59 महिलाएं थें। इनमें से सिर्फ 3 महिलाएं ही विधानसभा का चुनाव जीत पाईं। हालांकि, आज के लिहाज से देखें तो दिल्ली में कई हाई प्रोफाइल लोग 1993 के चुनाव में उतरे थे।
आखिरी महानगर परिषद के मुखिया रहे जग प्रवेश चंद्र जंगपुरा से चुनाव लड़े और विजेता बनकर आए। इसके अलावा मशहूर क्रिकेटर रहे कीर्ति आजाद गोल मार्केट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते। बीजेपी दिल्ली के दिग्गज नेता रहे जगदीश मुखी, करन सिंह तंवर, ब्रह्म सिंह तंवर, रामवीर सिंह बिधूड़ी, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा, हर्ष वर्धन, राम निवास गोयल (अब AAP में) भी पहली विधानसभा के सदस्य बने। कांग्रेस के अजय माकन, अशोक वालिया, राजकुमार चौहान, मुकेश शर्मा, मतीन अहमद, हारुन यूसुफ और कृष्णा तीरथ जैसे नेता विधायक बने।
बीजेपी ने मारी बाजी, सिर्फ 3 महिलाएं बनीं विधायक
पार्टियों के हिसाब से बात करें तो मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच हुआ। 70 सीटों वाली विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 36 विधायकों की जरूरत थी। बीजेपी को कुल 49 सीटों पर जीत मिली और दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस सिर्फ 14 सीटें जीत पाई। वहीं, जनता दल को 4 सीटों पर जीत मिली। तीन निर्दलीय विधायक भी दिल्ली की पहली विधानसभा के सदस्य बने।
इस चुनाव में सिर्फ तीन महिलाएं कृष्णा तीरथ बलजीत नगर से, ताजदार बाबर मिंटो रोड से और पूर्णिमा सेठी कालकाजी से। पहली विधानसभा में बीजेपी के चरती लाल गोयल विधानसभा के अध्यक्ष बने थे और कृष्णा तीरथ डिप्टी स्पीकर बनीं।