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होंडा-निसान का मर्जर क्यों हो रहा, कैसे बदलेगी ऑटो इंडस्ट्री की सूरत?

होंडा और निसान का मर्जर ऑटोमोबाइल क्षेत्र की तस्वीर बदल सकता है। इस फैसले के पीछे सोची-समझी रणनीति है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर

दुनिया की दो बड़ी मोटर कंपनियों ने बिलय करने का फैसला किया है। ये कंपनियां हैं- निसान और होंडा।  दोनों कंपनियां जून 2025 तक डील को फाइनल करने की योजना बना रही हैं। इसके लिए एक कॉमन होल्डिंग कंपनी बनाई जाएगी।

 

1914 में शुरू हुई निसान और 1948 में बनी होंडा कंपनी के बीच अगर विलय होता है तो पूरी दुनिया में ऑटोमोबाइल कंपनी की शक्ल बदल सकती है। ये दोनों ही जापानी कंपनियां अलग-अलग तरह की परेशानियों से जूझ रही हैं।

 

दरअसल, इस वक्त निसान की वित्तीय स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। हाल ही में निसान 9000 लोगों को कंपनी से निकाला था जो कि पूरी दुनिया में कपंनी की कुल वर्कफोर्स का 6 प्रतिशत था। पिछले महीने कंपनी ने 450 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था।

 

 इसलिए मर्जर से निसान को फायदा होगा। लेकिन फायदा सिर्फ निसान को ही नहीं होगा। होंडा का फायदा यह है कि उसे यूरोप की मार्केट में अच्छी ऐक्सेस मिल जाएगी, क्योंकि यूरोपीय मार्केट में निसान काफी बिकने वाली गाड़ी है।

क्यों हो रहा विलय

इसके अलावा मर्जर के बाद गाड़ियां बिकने के मामले में टोयोटा और फॉक्सवैगन के बाद यह कंपनी दुनिया की तीसरे नंबर की सबसे बड़ी कंपनी हो जाएगी और अगर जापान की बात करें तो टोयोटा के सामने प्रतियोगी के रूप में सीधी आमने सामने खड़ी हो जाएगी।

 

चीन की BYD Co, Xpeng, Nio और Li ऑटो जैसी कंपनियों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी क्योंकि चीन के बाजार में निसान और होंडा का काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

 

निसान बॉडी फ्रेम के मामले में एक्सपर्ट है और होंडा पेट्रोल इंजन के मामले में। दोनों के मिल जाने से बेहतरीन गाड़िया बनाने में मदद मिलेगी।

 

दोनों ब्रांड को मेनटेन करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। एक साथ मिल जाने से हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कार बनाने में कास्ट कटिंग में मदद मिलेगी। साथ ही रिसर्च एंड डेवलेपमेंट में भी आसानी होगी।

 

 

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