'सरकार की सत्ता उसके राजकोष की मजबूती पर निर्भर करती है। सरकार के लिए कर आय है, जिससे वो अपने लोगों को सेवा और सुरक्षा देती है और कानून व्यवस्था बनाए रखती है।' ये बात लगभग 2300 साल पहले कौटिल्य अर्थशास्त्र में लिखी गई थीं।
इस बात का जिक्र इसलिए क्योंकि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा बजट आने वाला है। हर बार की तरह ही इस बार भी इनकम टैक्स में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। मिडिल क्लास को उम्मीद है कि 10 से 15 लाख रुपये की सालाना आय वालों को टैक्स में थोड़ी राहत मिल सकती है। इसके साथ ही इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद भी जताई जा रही है।
बजट में आम आदमी के लिए सबसे बड़ी चीज इनकम टैक्स ही होती है। ऐसे में जानते हैं कि आखिर भारत में इनकम टैक्स आया कहां से? भारत में इनकम टैक्स को लेकर पहला कानून 1860 में आया था। तब जेम्स विल्सन ने पहला बजट पेश किया था। इसी बजट में इनकम टैक्स का प्रावधान किया गया था। तब 200 रुपये तक की सालाना कमाई वालों को इनकम टैक्स से छूट मिली थी।
1857 की क्रांति और इनकम टैक्स
ये वो समय था जब अंग्रेज भारत में पैर पसार रहे थे। 1857 में भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी और इससे शुरू हुए एक क्रांति। इससे निपटने के लिए अंग्रेजों ने सेना पर बेतहाशा खर्च किया। 1856-57 में अंग्रेजों ने सेना पर 1.14 करोड़ पाउंड खर्च किए थे। 1857-58 में इस खर्च को बढ़ाकर 2.10 करोड़ पाउंड तक कर दिया गया। इस वजह से अंग्रेजों पर 8 करोड़ पाउंड से ज्यादा का कर्च चढ़ गया।
कर्ज से निपटने के लिए जेम्स विल्सन को भारत भेजा गया। विल्सन ने 18 फरवरी 1860 को बजट पेश किया। इस बजट में 3 तरह के टैक्स- इनकम टैक्स, लाइसेंस टैक्स और तंबाकू टैक्स का प्रावधान किया गया। दिलचस्प बात ये है कि इसे पेश करते हुए विल्सन ने मनुस्मृति का जिक्र करते हुए कहा कि उनका कदम 'भारतीय' ही है।
पहले बजट में 200 रुपये तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं था। 200 से 500 रुपये तक की कमाई पर 2% और 500 रुपये से ज्याद की कमाई पर 4% टैक्स लगाया गया। इनकम टैक्स से सेना और पुलिस को छूट मिली थी।
1922 में आया आयकर कानून
1922 में एक नया आयकर कानून आया। यहीं से आयकर विभाग का विकास भी शुरू हुआ। 1946 में पहली बार परीक्षा के जरिए आयकर अधिकारियों की सीधी भर्ती हुई। इसी परीक्षा को ही 1953 में 'इंडियन रेवेन्यू सर्विस' यानी 'IRS' नाम दिया गया। 1963 तक आय कर विभाग के पास संपत्ति कर, सामान्य कर, प्रवर्तन निदेशालय जैसे प्रशासनिक काम थे। 1963 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) का गठन किया गया। 1970 तक टैक्स की बकाया राशि वसूल करने का अधिकार विभाग के प्राधिकारियों के पास था। 1972 में टैक्स वसूली के लिए नई विंग बनाई गई और कमिश्नर नियुक्त किए गए।
अभी कितना है टैक्स?
आज के समय में इनकम टैक्स के दो विकल्प हैं। जिसे न्यू टैक्स रिजीम और ओल्ड टैक्स रिजीम कहा जाता है। ओल्ड टैक्स रिजीम में 5 लाख तक की आय टैक्स फ्री है। 5 से 10 लाख की आय पर 20% और 10 लाख से ज्यादा की आय पर 30% टैक्स लगता है। वहीं, न्यू टैक्स रिजीम में 3 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता। हालांकि, कुछ छूट और डिडक्शन के जरिए 7.75 लाख तक की आय पर टैक्स फ्री किया जा सकता है। न्यू टैक्स रिजीम में 7 से 10 लाख की आय पर 10%, 10 से 12 लाख की आय पर 15% और 12 से 15 लाख तक की आय पर 20% टैक्स लगता है। 15 लाख से ज्यादा की कमाई पर 30% का टैक्स लगता है।
कितना टैक्स भरते हैं भारतीय?
आयकर विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 8 करोड़ से ज्यादा लोग टैक्स भरते हैं। 2023-24 में 8.13 करोड़ से ज्यादा लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल किया था। आयकर विभाग को 10.45 लाख करोड़ रुपये का इनकम टैक्स मिला था। 2022-23 की तुलना में ये कहीं ज्यादा था। 2022-23 में 8.33 लाख करोड़ रुपये का इनकम टैक्स आया था।