जोधपुर की Income Tax Appellate Tribunal (ITAT) ने एक अहम फैसले में यह बताया है कि क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले फायदे को कैसे टैक्स के दायरे में लाया जाएगा। इस फैसले के अनुसार, बिटकॉइन, एथेरियम जैसे क्रिप्टोकरेंसी को ‘पूंजीगत संपत्ति’ (Capital Assets) माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि इनसे होने वाले फायदे पर ‘अन्य स्रोत से आय’ की बजाय ‘पूंजीगत फायदे’ (Capital Gains) के रूप में टैक्स लगाया जाएगा। यह फैसला उन लेनदेन पर लागू होता है जो 1 अप्रैल 2022 से पहले हुए थे।
2022 में ‘वर्चुअल डिजिटल एसेट्स’ (VDA) पर नियम बनने से पहले, क्रिप्टो से होने वाले फायदे को पूंजीगत फायदे के रूप में देखा जाता है जाता था। यह प्रक्रिया स्टॉक या रियल एस्टेट से फायदे की तरह थी। यदि किसी निवेशक ने क्रिप्टोकरेंसी को तीन साल से अधिक समय तक रखा है, तो उस फायदे को ‘लंबे समय तक पूंजीगत फायदा’ (Long-Term Capital Gains) माना जाता था और इस पर कम टैक्स दर लागू होती थी। ITAT के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि 2022 से पहले के लेनदेन में यही प्रक्रिया लागू होगी।
अब किस नियम का किया जाएगा पालन
अब सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले फायदे पर एक निश्चित 30% टैक्स लगाया है और यह 1 अप्रैल 2022 से लागु है। इसके तहत निवेशकों का चाहे होल्डिंग पीरियड कितना भी हो लेकिन किसी भी प्रकार की कटौती या छूट की अनुमति नहीं है। इसका मतलब है कि यदि आपने कुछ महीनों के लिए क्रिप्टो रखा हो या कई सालों तक, टैक्स दर समान रहेगी।
क्रिप्टो निवेशकों के लिए क्या है यह फैसला?
2022 से पहले के फायदे: इन फायदों को पूंजीगत फायदे के रूप में रिपोर्ट करना होगा। क्रिप्टो तीन साल से अधिक समय तक रखा गया है, तो दीर्घकालिक पूंजीगत फायदे की कम टैक्स दर का फायदा मिलेगा।
2022 के बाद के फायदे: इसमें निवेशकों को 30% की निश्चित दर पर टैक्स देना होगा, और किसी भी प्रकार की कटौती या छूट की अनुमति नहीं होगी। इस फैसले के साथ, निवेशकों को सलाह दी गई है कि वे अपने सभी लेनदेन का विस्तृत रिकॉर्ड रखें, जिसमें खरीद और बिक्री की तारीख, फायदे का विवरण आदि शामिल हो। साथ ही उनका मानना है कि यह फैसला क्रिप्टोकरेंसी के टैक्सेशन को सरल बनाता है और सुनिश्चित करता है कि निवेशक अपने लेनदेन को सही ढंग से बाटें और रिपोर्ट करें।