भारत में तेल की खपत खूब है। गाड़ियां चलाने से लेकर फैक्ट्रियों तक में डीजल, पेट्रोलियम समेत तमाम पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है। हैरान करने वाली बात यह है कि भारत जितने तेल का इस्तेमाल करता है उसमें से लगभग 88 पर्सेंट तेल वह बाहर से मंगाता है यानी आयात करता है। यह मांग हर साल बढ़ती जा रही है जबकि भारत में अब इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इसको कम करने के लिए तमाम प्रयास भी किए जा रहे हैं लेकिन भारत का बहुत सारा पैसा हर साल इसी पर खर्च होता जा रहा है। आइए समझते हैं कि भारत अपना कितना पैसा तेल पर खर्च कर रहा है और किन देशों से यह तेल मंगाया जा रहा है।
साल 2023 में भारत ने कुल तेल खपत का 87।4 पर्सेंट हिस्सा दूसरे देशों से मंगाया। वहीं, साल 2022 में 85।5 पर्सेंट तो 2021 में 84।4 पर्सेंट तेल का आय़ात किया गया था। दूसरे देशों पर तेल के लिए निर्भर रहने का नतीजा यह होता है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार खूब खर्च होता है और इसके चलते महंगाई भी कई बार बढ़ती है। अगर किसी कारण से यह सप्लाई बाधित होती है तो देश के बहुत सारे उद्योग-धंधे भी प्रभावित होते हैं। इसका एक उदाहरण तब देखा गया कि रूस और यूक्रेन का युद्ध छिड़ने पर न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई।
कहां से आता है भारत का तेल?
रूस और यूक्रेन का युद्ध छिड़ने के बाद यूरोपीय देशों से तेल लेना बंद कर दिया। ऐसे में रूस को मजबूरन अपना तेल सस्ते में बेचना पड़ा। भारत ने यहां मौका देखा और रूस से तेल लेना शुरू कर दिया। ऐसे में मौजूदा समय में भारत सबसे ज्यादा तेल रूस से ही मंगवा रहा है। आंकड़ों की मानें तो भारत में आने वाले तेल का 30 पर्सेंट से ज्यादा हिस्सा रूस से ही आ रहा है। रूस के बाद सऊदी अरब से 24।84 प्रतिशत और संयुक्त अरब अमीरात से 3।01 प्रतिशत तेल आ रहा है।
इसके अलावा, अमेरिका और इराक से भी भारत तेल का आयात करता है। रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू होने से पहले इराक ही भारत का सबसे बड़ा तेल सहयोगी देश था लेकिन रूस से सप्लाई बढ़ने के बाद ये आंकड़े बदल गए हैं।