इंसान के विकास के क्रम में गांव, शहर, राज्य और देश का गठन होता है। कहीं पर सत्ता संभालने का काम वहां के राजा का होता है तो लोकतांत्रिक देशों में अपने प्रतिनिधि चुनते हैं। यही प्रतिनिधि मिलकर एक सरकार बनाते हैं जो समाज की बेहतरी के लिए काम करती है। यानी अगर किसी समाज में सड़क की जरूरत है, बिजली-पानी चाहिए, अस्पताल चाहिए और अन्य सुविधाएं चाहिए तो इसका इंतजाम यह सरकार ही करती है। अब इन कामों के लिए पैसों की जरूरत भी पड़ती है। क्या आपने सोचा और जाना है कि आखिर सरकार के पास ये पैसे कहां से आते हैं? आइए इसी को एकदम आसानी से समझते हैं।
आप सुबह सोकर उठने से लेकर शाम को सो जाने के बीच में बहुत सारी चीजों का इस्तेमाल करते हैं। उदाहरण के लिए- टूथब्रथ, पेस्ट, चाय, चीनी, कप-प्लेट, खाना बनाने के लिए गैस या बिजली, आटा, चावल, दाल, सब्जियां आदि। इन सभी पर सरकार टैक्स लगाती है। यानी आपकी खरीदी या बेची गई हर चीज पर सरकार एक तय राशि लेती है। यानी अगर सुबह से शाम तक आपने 100 रुपये खर्च किए तो इसमें से कुछ हिस्सा सरकार के पास अपने-आप पहुंच जाता है। इसे इनडायरेक्ट टैक्स या अन्य टैक्स (अब वस्तु एवं सेवा कर यानी GST) के जरिए वसूला जाता है। अब सोचिए कि अगर एक आदमी से 100 रुपये सरकार को मिले तो भारत में 140 करोड़ के आसपास लोग रहते हैं। इस तरह से सरकार को कितने पैसे मिल जाएंगे।
कहां-कहां से कमाती है सरकार?
इन चीजों पर लगने वाले टैक्स को ही अब GST कहा जाता है। यानी अगर सरकार सुबह से शाम तक 100 रुपये कमाती है तो उसमें से 18 रुपये उसे GST से ही मिलती है। इसके अलावा, सरकार लोगों से उनकी कमाई पर भी टैक्स लेती है जिसे इनकम टैक्स कहते हैं। 100 में से 19 रुपये उसे इसी से मिलते हैं। फिर आती है निगम कर की बारी जिससे सरकार खूब पैसे कमाती है। इनके अलावा, दूसरे देश से भारत में आने वाली चीजों पर सीमा शुल्क लगता है। कई चीजों पर एक्साइज ड्यूटी लगाई जाती है।
इन सबसे होने वाली कमाई के बावजूद अगर पैसे कम पड़ते हैं तो सरकार कर्ज भी लेती है। कई बार सरकार दूसरे देशों को कर्ज दे चुकी होती है तो उनसे ब्याज भी मिल जाता है। इस तरह जुटने वाले पैसों से सरकार अपने सरकारी कर्मचारियों को सैलरी देती है, सड़क बनवाती है, बिजली पैदा करने वाले प्लांट चलवाती है, स्कूल चलाती है, नए स्कूल बनाती है और विकास के तमाम अन्य कार्य भी इन्हीं पैसों के जरिए ही किए जाते हैं।