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कितना है बैंकों का NPA, कितना हुआ राइट ऑफ, सब जान लीजिए

बैंकों का NPA लंबे समय से एक समस्या रहा है। इसके बावजूद हर साल एक बड़ी राशि राइट ऑफ कर दी जाती है। राइट ऑफ की गई राशि को बैंक इसे वापस भी ले सकते हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर, Image Source: Freepik

लोग बैंक से लोन लेते हैं। कुछ चुका पाते हैं, कुछ नहीं चुका पाते। कई बार लोन चुकाने में देरी हो जाती है। इस तरह से बैंक का पैसा फंस जाता है। यानी जिस पैसे से बैंक को ब्याज कमाना था, वह पैसा उसे वापस ही नहीं मिल पाता। जब 90 दिन तक किसी लोन पर कोई EMI नहीं चुकाई जाती या ओवरड्यू हो जाती है तो उस लोन को NPA घोषित कर दिया है। इसी को नॉन परफॉर्मिंग असेट (NPA) कहा जाता है। कई बार देखा जाता है कि बैंक इन NPA को राइट ऑफ कर देते हैं। इसको इस तरह देखा जाता है कि बैंकों ने इतना लोन माफ कर दिया। तकनीकी तौर पर यह लोन माफ नहीं किया जाता है लेकिन उसे बैंक की बैलेंस शीट से हटा दिया जाता है। ऐसे ही नए आंकड़े सामने आए हैं जो बताते हैं कि भारत के बैंकों ने एक साल में 1.6 लाख करोड़ रुपये के NPA को राइट ऑफ कर दिया है। यानी इतना NPA अब उनकी बैलेंस शीट पर नहीं दिखेगा।

 

रिजर्व बैंक के डेटा के मुताबिक, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल पहले कार्यकाल में अप्रैल 2014 से मार्च 2018 के बीच ही 3.18 लाख करोड़ रुपये के NPA राइट ऑफ कर दिए गए। पिछले पांच साल के डेटा के मुताबिक, इन बैंकों ने 2019-20 से 2023-24 तक कुल 9,90,218 करोड़ रुपये का NPA राइट ऑफ कर दिया। लोन राइट ऑफ करने में 21 पब्लिक सेक्टर बैंकों के साथ-साथ प्राइवेट बैंक भी शामिल थे। यानी साल दर साल ये बैंक लाखों करोड़ रुपये राइट ऑफ करते जा रहे हैं। इसमें से रिकवरी किए जा रहे NPA की मात्रा काफी कम है। RBI के डेटा के मुताबिक, पिछले 5 वित्तीय वर्ष में लगभग 6.8 लाख करोड़ रुपये का NPA रिकवर भी किया गया है। 

कितना है मौजूदा NPA?

 

हाल ही में लोकसभा सांसद रचना बनर्जी और अनिल देसाई ने NPA को लेकर वित्त मंत्रालय से सवाल पूछे हैं। इसी सवाल के जवाब में मिले डेटा के मुताबिक, 31 मार्च 2024 तक सभी शेड्यूल्ड कॉमर्शियल बैंकों को मिलाकर कुल 4,80,698 करोड़ रुपये का NPA है। यानी इन बैंकों ने जो कर्ज दिया है उसमें से 4.8 लाख करोड़ रुपये की राशि लोग लौटा नहीं रहे हैं और इन्हें NPA घोषित कर दिया गया है।

NPA

 

वित्त वर्ष 2023-24 में NPA राइट ऑफ करने के मामले में सबसे आगे पंजाब नेशनल बैंक था जिसने 18,317 करोड़ रुपये का NPA राइट ऑफ कर दिया। वहीं, दूसरे नंबर पर यूनियन बैंक (18,264 करोड़), तीसरे नंबर पर SBI (16,161 करोड़), चौथे नंबर पर केनरा बैंक (11,827 करोड़) और पांचवे नंबर पर HDFC बैंक (11,030 करोड़) हैं।

किस बैंक का NPA सबसे ज्यादा?

 

31 मार्च 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, SBI का NPA सबसे ज्यादा 84,276 करोड़ रुपये है। यानी SBI के इतने पैसे लोग लौटा ही नहीं रहे हैं। वहीं,  केनरा बैंक का NPA 40,605 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा का 31,834 करोड़, HDFC बैंक का 31,057 करोड़, पंजाब नेशनल बैंक का 56,343 करोड़ और ICICI बैंक का NPA 27,314 करोड़ रुपये है।

 

RBI की ओर से जारी किए गए डेटा की मानें तो हर साल औसतन डेढ़ लाख करोड़ रुपये का NPA रिकवर भी किया जा रहा है। 2019-20 में 1.47 लाख करोड़, 2020-21 में 1.14 लाख करोड़, 2021-22 में 1.37 लाख करोड़, 2022-23 में 1.59 लाख करोड़ और 2023-24 में 1.23 लाख करोड़ रुपये के NPA की रिकवरी भी की गई है।NPA DATA

क्यों होता है NPA का राइट ऑफ?

 

इसको इस उदाहरण से समझिए कि आपकी एक प्रोफाइल है, उस प्रोफाइल पर सबसे ऊपर लिखा है कि आप को फलां आदमी से 100 रुपये वापस लेने है। इससे यह दिखता है कि आपके 100 रुपये कहीं फंसे हुए हैं। बैंकिंग की भाषा में इन फंसे हुए 100 रुपयों से बैंक पर असर पड़ता है। इसी से बचने के लिए बैंक NPA को अपनी बैलेंस शीट से हटा देते हैं। इसका यह मतलब कतई नहीं है कि जिसका NPA राइट ऑफ हो गया, अब उसे पैसे लौटाने ही नहीं पड़ेंगे। अगर आपने बैंक से 10 करोड़ रुपये लिए हैं, आप चुका नहीं पाए और वह NPA घोषित हो गया और फिर उसे बैंक ने राइट ऑफ हो गया तब भी आपको लोन चुकाना पड़ेगा और बैंक इसकी रिकवरी के लिए तमाम तरीके अपना सकते हैं। 

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