आपने अक्सर भारत की कंपनियों के नाम अलग-अलग तरह से सुने होंगे। कोई कंपनी लिमिटेड होती है, कोई प्राइवेट लिमिटेड होती है तो कोई पब्लिक कंपनी होती है। 21वीं सदी में स्टार्टअप के दौर में हर साल हजारों-लाखों प्राइवेट कंपनियां भारत में बन रही हैं और इसके जरिए लोग अपना रोजगार कर रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि अगर आपको प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनानी हो तो क्या करना होगा? क्या आपको पता है प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने के बाद उसे चालू रखने के लिए क्या-क्या करना होगा? हम इन्हीं सब सवालों का जवाब लेकर आए हैं।
अगर आप भारत में अपना रोजगार करना चाहते हैं और बड़े स्तर पर करना चाहते हैं तो आपको अपनी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराना होता है। कंपनीज एक्ट 2013 के तहत आप अपनी कंपनी को प्राइवेट कंपनी के तौर पर रजिस्टर करवा सकते हैं। इसके कुछ नियम और कायदे होते हैं जो आपके कारोबार के बेहद जरूरी होते हैं। यहां यह ध्यान देना जरूरी है कि प्राइवेट कंपनी में 200 से ज्यादा लोग नहीं हो सकते हैं। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने के लिए कम से कम दो डायरेक्टर होने चाहिए।
कई तरह की होती हैं प्राइवेट लिमिटेड
यानी अगर आपको कंपनी बनानी है और खुद ही डायरेक्टर बनना चाहते हैं तो आपको अपने अलावा एक और शख्स को इस कंपनी का डायरेक्टर बनाना होगा। ये प्राइवेट कंपनियां भी कई तरह की होती हैं। उदाहरण के लिए- सोल प्रोपराइटरशिप, लिमिटेट लाइबेलिटिी कॉरपोरेशन और शेयर या गारंटी वाली कंपनी। सब के नियम अलग-अलग होते हैं।
पहले के नियमों के मुताबिक, प्राइवेट कंपनी बनाने के लिए कम से कम 1 लाख रुपये होना जरूरी था। हालांकि, अब यह सीमा हटा ली गई है। इस तरह की कंपनी में कम से कम 2 और ज्यादा से ज्यादा 200 सदस्य हो सकते हैं। कंपनी के नाम में प्राइवेट लिमिटेड लिखना अनिवार्य होता है। कंपनी के डायरेक्टर में से एक का भारतीय होनी भी जरूरी है। अब 100 पर्सेंट एफडीआई की अनुमति है तो किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कोई विदेशी शख्स या कंपनी भी पैसे लगा सकती है।
क्या है प्रक्रिया?
ऐसी कंपनी बनाने के लिए आपको रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी (RoC)के पास एक आवेदन देना होता है। साथ ही, मेमोरैंडम ऑफ असोसिएशन (MoA), आर्टिकल ऑफ असोसिएशन (AoA) के साथ अन्य दस्तावेज देने होते हैं। साथ ही, एक निश्चित फीस भी देनी होती है। ध्यान रखना होता है कि कंपनी का जो नाम रखा जाए, उसका नाम पहले से कोई कंपनी या ब्रांड इस्तेमाल न कर रहा हो। किसी ने अगर कोई ट्रेडमार्क रजिस्टर करा रखा है तो आप उसका इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
पूरी तरह से आवेदन कर देने के बाद RoC की तरफ से दस्तावेजों की जांच कराई जाती है और फिजिकल वेरिफिकेशन भी किया जाता है। सब कुछ सही पाया जाने पर सर्टिफिकेट ऑफ इनकॉर्पोरेशन (COI) जारी कर दिया जाता है। यानी आपकी कंपनी बन जाती है।