आपने भी अपने गांव, गली या मोहल्ले में कबाड़ियों को सामान खरीदते या फिर इधर-उधर सड़क से बीनते देखा होगा। क्या आपने कभी सोचा है कि यह कबाड़ का काम करने वाले ये लोग कितने पैसे कमाते हैं? बुद्धिमान लोग तो यह भी कहते हैं कि सबसे ज्यादा कमाई कबाड़ के काम में ही है। आइए जानते हैं कि कैसे रद्दी और टूटी-फूटी चीजें आपसे खरीदकर ले जाने वाले लोग इससे मोटी कमाई करते हैं और पूरे देश में एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री इसी के लिए काम करती है।
कबाड़ का काम करने के लिए बेहद कम निवेश की जरूरत होती है। हां, अगर आप बड़े स्क्रैप डीलर बनना चाहते हैं तो आपको कम से कम बड़ा सा गोदाम जरूर चाहिए होगा। आमतौर पर कबाड़ी आपसे जो सामान खरीदते हैं, उसमें उनका अच्छा-खासा कमीशन होता है। दिनभर घूमकर कबाड़ खरीदने वाले ये लोग कबाड़ को अलग-अलग करके इकट्ठा करते रहते हैं। जैसे कि कागज अलग, प्लास्टिक अलग, धातुएं अलग और अन्य चीजें अलग। इन सबका दाम अलग-अलग होता है।
कहां जाता है कबाड़?
जब भारी मात्रा में कबाड़ इकट्ठा हो जाता है तो ये कबाड़ी इसे लेकर बड़े स्क्रैप डीलर के पास जाते हैं और वहां इस कबाड़ को बेच आते हैं। ये स्क्रैप डीलर छोटे-छोटे शहरों में बसे होते हैं। ये स्क्रैप डीलर अपनी क्षमता के हिसाब से और बड़े डीलर या फिर सीधे रीसाइकलिंग कंपनियों को ही यह कबाड़ बेच देते हैं। ये रीसाइकलिंग कंपनियां कबाड़ को अलग-अलग तरीके से रीसाइकल करती हैं और उनसे तरह-तरह के उत्पाद बनाती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कबाड़ के काम में मार्जिन लगभग 70 पर्सेंट तक होता है।
रीसाइकल हुई चीजों से कच्चा माल भी तैयार होता है और उसी कच्चे माल से अलग-अलग चीजें फिर से बन जाती हैं। इसमें सबसे ज्यादा इस्तेमाल धातुओं का होता है। धातुओं वाले कबाड़ को फिर से पिघलाकर कच्चा माल तैयार हो जाता है। इस कच्चे माल को फिर से कंपनियां खरीद लेती हैं और उनसे अलग-अलग चीजें तैयार करती हैं। यही वजह है कि कितना भी कबाड़ पैदा हो उसे कबाड़ी खरीद ले जाते हैं और वही चीजें फिर से आपके सामने अलग-अलग रूप में सामने आती रहती हैं।