रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिका की सत्ता में वापसी करते दिख रहे हैं। बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की तस्वीरें साफ होते ही इसका असर भारतीय रुपये पर देखने को मिला। रुपये में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 84.25 पर पहुंच गया। डॉलर में मजबूती आने से भले ही रुपये में गिरावट दर्ज की गई है लेकिन यह खबर अमेरिकी लोगों को भी प्रभावित करेगी। अमेरिका के चुनाव परिणामों ने ट्रंप प्रशासन के तहत उच्च सरकारी खर्च की बाजार उम्मीदों को बढ़ा दिया है, जिससे अमेरिकी राजकोषीय घाटे में उछाल आ सकता है।
निवेशकों का अनुमान है कि घरेलू बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता देने के लिए जानी जाने वाली ट्रंप की नीतियां राजकोषीय सीमाओं और उधार लेने की जरूरतें को बढ़ाएंगी। इस परिदृश्य ने पहले ही डॉलर में जुलाई में देखे गए स्तरों तक वृद्धि को बढ़ावा दिया है। इसका नतीजा ये हुआ है कि भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 84.25 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। हालांकि बाद में रुपये में थोड़ा सुधार देखने को मिला। रिपोर्ट लिखे जाने तक रुपया 84.18 पर कारोबार कर रहा था।
बढ़ सकता है अमेरिकी राजकोषीय घाटा
बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी नीतियों से अमेरिकी राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है। इससे संभावित रूप से सरकार को अधिक उधार लेना पड़ सकता है। मैक्सिकन 'पेसो' पहले ही डॉलर के मुकाबले 3 प्रतिशत गिर चुका है, जबकि जापान का 'येन' और यूरो भी कमजोर हुए हैं।
खर्च की जरूरतों को पूरा करने के लिए अमेरिकी ट्रेजरी जारी करने में बढोतरी से ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी होगी। उच्च ट्रेजरी यील्ड न केवल डॉलर की ताकत को बढ़ाती है बल्कि वैश्विक मुद्राओं, विशेष रूप से भारत जैसे उभरते बाजारों पर दबाव डालती है।
बाजार में चल रहे हैं ट्रंप ट्रेड्स
बैंकिंग और बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, 'बाजार में ट्रंप ट्रेड्स चल रहे हैं। नॉर्थ कैरोलिना में ट्रंप की जीत के साथ ही उनके 270 इलेक्टोरल कॉलेज वोट जीतने की संभावना बढ़ गई है। ट्रंप की नीतियों की वजह से अमेरिका का राजकोषीय घाटा बढ़ेगा, अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी होगी और इसकी वजह से हम अमेरिकी डॉलर को जुलाई के स्तर पर बढ़ते हुए देख रहे हैं। मेक्सिकन पेसो में 3 प्रतिशत की गिरावट आई है, येन, यूरो दोनों में गिरावट आई है। यह ट्रंप ट्रेड है क्योंकि बाजार ट्रंप की जीत की उच्च संभावना देख रहे हैं।'
मजबूत डॉलर के सामने रुपये में लगातार गिरावट
बता दें कि पिछले काफी समय से डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है, जो उभरते बाजारों के लिए चुनौतीपूर्ण माहौल को दर्शाता है। मुद्रा के कमजोर होने का कारण अमेरिकी मौद्रिक नीति को सख्त करना और वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव सहित बाहरी दबावों का मिश्रण है। अगर डॉलर की मजबूती अनियंत्रित रूप से जारी रहती है तो आगे रुपये में गिरावट जारी रहेगी।