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डॉलर के मुकाबले धड़ाम हुआ रुपया, क्या और गिरेगी भारतीय करेंसी?

सोमवार को भारत भारतीय को एक और झटका लगा, जब भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। आइए जानते हैं क्या है इसकि वजह।

Image of Indian Currency

सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Canva)

सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। पहली बार 1 डॉलर की कीमत 87 रुपए के पार चला गया, जिसकी बड़ी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ लगाए जाना है। इन टैरिफ्स कि वजद से न सिर्फ भारतीय रुपया, बल्कि अन्य एशियाई करेंसी और शेयर बाजार भी गिरावट का शिकार हुए हैं।

रुपए में गिरावट के आंकड़े

भारतीय रुपया 87.1450 प्रति डॉलर तक गिर गया, जो शुक्रवार की तुलना में 0.6% की गिरावट है। अक्टूबर 2024 से अब तक रुपया लगभग 4% कमजोर हो चुका है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि ये गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि रुपए पर अगले 6-8 हफ्तों तक दबाव बना रहेगा।

गिरावट का कारण क्या है?

रुपए की इस गिरावट का बड़ी वजह ट्रंप द्वारा लिए गए तीन फैसले हैं, जिसमें मैक्सिकन और कनाडाई आयातों पर 25% और चीनी वस्तुओं पर 10% का टैरिफ लगाया है, जो मंगलवार से लागू होंगे।

 

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इन नए फैसले की वजह से अमेरिकी डॉलर की मांग तेज हो गई है, जिससे डॉलर मजबूत हुआ है और वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले उसकी कीमत बढ़ गई है। डॉलर के मजबूत होने का असर दूसरे एशियाई मुद्राओं, जैसे कि चीनी युआन पर भी पड़ा है। ऐसे में युआन की गिरावट ने रुपए पर भी दबाव डाला है।

डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी

डॉलर इंडेक्स, जो अमेरिकी डॉलर को छह बड़ी मुद्राओं के मुकाबले मापता है, 0.3% बढ़कर 109.8 पर पहुंच गया है।

व्यापार युद्ध की आशंका

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी सरकार द्वारा लगाए गए टैरिफ्स ने वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध यानी देशों के बीच होने वाला एक आर्थिक संघर्ष की चिंता बढ़ा दी है।वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि 'हमारी सबसे बुरी आशंकाओं के सच होने का जोखिम बढ़ गया है।' फर्म ने आगे कहा, 'जोखिम आगे और बढ़ सकते हैं। एशिया पर खास असर पड़ेगा क्योंकि यहां की अर्थव्यवस्थाएं व्यापार पर अधिक निर्भर हैं और सात देशों का अमेरिका के साथ बड़ा व्यापार अधिशेष है।'

 

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भारतीय शेयर बाजार पर असर

रुपए के साथ-साथ भारतीय शेयर बाजार पर भी ट्रंप के टैरिफ्स की वजह से गिरावट हुई है। इस गिरावट ने 2025 के केंद्रीय बजट के प्रभाव को भी पीछे छोड़ दिया है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि घरेलू शेयर बाजार भी दबाव में रह सकते हैं क्योंकि ट्रंप के टैरिफ्स से FII के निवेश में कमी आ सकती है, जिससे बाजार में और गिरावट आ सकती है।

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