पश्चिम बंगाल राज्य अक्सर अलग-अलग वजहों से चर्चा में रहता है। कभी सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का टकराव होता है तो कभी आरजी कर कांड जैसी कोई घटना पूरे देश में पश्चिम बंगाल को चर्चा का कारण बनाती है। इस बार एक डेटा ने पश्चिम बंगाल की सरकार के सामने अलग ही चुनौती पेश की है। संसद में रखे गए एक डेटा के मुताबिक, पिछले 5 साल में हजारों कंपनियों ने पश्चिम बंगाल को छोड़ दिया है। यानी पहले जो कंपनियां पश्चिम बंगाल से काम कर रही थीं उन्होंने अपने बेस दूसरे राज्यों में में शिफ्ट कर लिया। पश्चिम बंगाल को छोड़ने वाली कंपनियों में तीन दर्जन से ज्यादा लिस्टेड कंपनियां भी हैं।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राज्यसभा सांसद सामिक भट्टाचार्य ने इसी को लेकर एक गैर-तारांकित सवाल पूछा था। सवाल संख्या 867 का जवाब कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में राज्यमंत्री हर्ष मल्होत्रा ने दिया है। इस जवाब के मुताबिक, साल 2019 से 2024 के बीच 2227 कंपनियों ने पश्चिम बंगाल को छोड़ दिया। इसमें से 39 कंपनियां ऐसी थीं जो कि स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हैं। इसको लेकर बीजेपी नेता अमित मालवीय ने सवाल उठाए हैं। अमित मालवीय का कहना है कि यह कॉरपोरेट के पलायन से जुड़ा ममता बनर्जी का रिपोर्ट कार्ड है।
क्यों जा रही हैं कंपनियां?
नियमों के मुताबिक, कोई भी कंपनी अपना बेस एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट किया है। पश्चिम बंगाल को छोड़ने वाली कंपनियों ने बताया है कि वह ऐसा फैसला प्रशासन की वजह से, ऑपरेशन को आसान बनाने के लिए, लागत कम करने और अन्य वजहों से ले रही हैं। सामिक भट्टाचार्य ने एक और सवाल पूछा था कि सरकार ने इन कंपनियों के पलायन को रोकने के लिए क्या किया है? फिलहाल, इसका कोई जवाब नहीं दिया गया है।
पीछे हो रहा पश्चिम बंगाल
एक समय पर देश की राजधानी रहा पश्चिम बंगाल समय के साथ पीछे होता गया है। 1960-61 में देश की GDP में पश्चिम बंगाल का योगदान 10.5 पर्सेंट था जो 2023-24 में घटकर 5.6 पर्सेंट हो गया। पश्चिम बंगाल से कंपनियों का बाहर जाना कोई नई बात नहीं है। लेफ्ट के समय से ही कंपनियां पश्चिम बंगाल को छोड़कर जाती रही हैं। सिंगूर आंदोलन के समय से इस तरह का माहौल और तेज हुआ जिसके चलते कंपनियों ने पश्चिम बंगाल को छोड़कर दूसरे राज्यों में अपना कारोबार शिफ्ट कर लिया।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के सितंबर 2024 तक के डेटा के मुताबिक, देश में कुल 17.69 लाख कंपनियां हैं। इसमें से सबसे ज्यादा 3.38 लाख कंपनियां महाराष्ट्र में, 2.46 लाख कंपनियां दिल्ली में, 1.45 लाख कंपनियां उत्तर प्रदेश में और 1.44 लाख कंपनियां पश्चिम बंगाल में हैं। उत्तर प्रदेश इस मामले में तेजी से आगे बढ़ा है।