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स्विटजरलैंड के MFN का दर्जा हटाने से भारत को होगा कितना नुकसान?

स्विटजरलैंड ने भारत के मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा हटा दिया है। इसके बाद भारत के व्यापार पर काफी असर पड़ने वाला है।

Indian Flag : PTI

भारतीय ध्वज । पीटीआई

हाल ही में स्विट्ज़रलैंड ने डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) के तहत किसी देश को दिए जाने वाले एमएफएन यानी कि मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा खत्म कर दिया है। यह एक ऐसा कदम है जो कि फार्मा और फाइनेंशियल सेक्टर के साथ साथ भारत-स्विटजरलैंड के बीच कई सेक्टर्स के व्यापार को प्रभावित कर सकता है।

क्या होता है एमएफएन

मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) दो देशों के बीच एक तरह का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौता होता है, जहां दोनों देश एक-दूसरे को व्यापार की अनुकूल व एक जैसी व्यापारिक स्थितियां प्रदान करते हैं।

 

सरल शब्दों में, यदि कोई देश किसी व्यापारिक भागीदार को कम टैरिफ या विशेष व्यापार विशेषाधिकार जैसे कुछ लाभ प्रदान करता है, तो उसे MFN के तहत कवर किए गए अन्य सभी देशों को भी वही सुविधाएं देनी होती हैं।

 

MFN का उपयोग अक्सर व्यापार संधियों को लेकर किया जाता है, जहां यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई देश किसी अन्य देश के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों में एक-दूसरे के साथ भेदभाव न करें।

 

इसका उद्देश्य देशों के बीच समान व्यवहार को प्रोत्साहित करना है, जिससे अधिक निष्पक्ष व्यापार परंपरा को बढ़ावा मिलता है।

 

इसके तहत यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जाती है कि व्यापार के मामले में देशों के साथ किसी तरह का भेदभाव न हो।

भारत पर पड़ेगा क्या असर

विशेषज्ञों के अनुसार, MFN दर्जे हटने से स्विट्जरलैंड में काम कर रहीं भारतीय कंपनियों को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि इससे वहां काम कर रहीं इन कंपनियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, खासकर फार्मास्यूटिकल्स, आईटी और फाइनेंशियल सेक्टर में। इसकी वजह से भारतीय कंपनियों को 10 फीसदी के अतिरिक्त डिवीडेंड टैक्स का सामना करना पड़ेगा।

 

एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि भारतीय निवेशकों को "फार्मास्यूटिकल्स, आईटी, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंजीनियरिंग सामान जैसे क्षेत्रों पर नज़र रखनी चाहिए।"

 

डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत, एमएफएन को वैश्विक व्यापार के लिए आधारभूत चीज मानी जाती है ताकि  सभी व्यापारिक भागीदारों के लिए राष्ट्रों द्वारा समान व्यवहार किया जाए। संधि के तहत एमएफएन का दर्जा प्राप्त करने वाले देशों को एक-दूसरे की तरफ से कहीं ज्यादा अधिक अनुकूल टैक्स नीतियां देखने को मिलती हैं। स्विट्जरलैंड द्वारा भारत को एमएफएन का दर्जा खत्म करने का मतलब है कि भारतीय फर्मों को अब उच्च टैरिफ, ट्रेड को लेकर अतिरिक्त परेशानियों और स्विस के साथ-साथ यूरोपीय संघ के बाजारों तक कम पहुंच का सामना करना पड़ेगा।

 

भारत काफी बड़ी मात्रा में स्विटज़रलैंड को निर्यात करता है। साल 2023 में भारत से स्विट्ज़रलैंड को कुल निर्यात 1.38 बिलियन डॉलर था। मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा हटाए जाने के बाद इन चीजों के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

 

हालांकि, ऐसा नहीं है कि नुकसान सिर्फ भारत को ही होगा. भारत को स्विटजरलैंड काफी मात्रा में बुलियन का निर्यात करता है। साल 2021 में भारत और स्विटजरलैंड के बीच 33.67 बिलियन डॉलर ट्रेड हुआ था। इसलिए मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा हटाए जाने के बाद टैक्स की दर बढ़ेगी तो उससे स्विट्ज़रलैंड को भी नुकसान होगा।

क्यों खत्म किया MFN का दर्जा

स्विट्ज़रलैंड द्वारा यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले साल दिए गए एक फैसले की वजह से उठाया गया है। स्विट्ज़रलैंड ने अपने इस फैसले के लिए 2023 के नेस्ले से जुड़े एक मामले का हवाला दिया था।

 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि डीटीएए तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक इसे इनकम ऐक्ट के तरह नोटिफाई न किया जाए।

 

दरअसल नेस्ले स्विटजरलैंड की कंपनी है जिसका मुख्यालय वेवे शहर में है।

क्या है भारत-स्विटजरलैंड के बीच DTAA

यह एग्रीमेंट 2 नवंबर, 1994 को दोनों देशों के बीच साइन किया गया था। बाद में इसे साल 2000 और 2010 के बीच रिवाइज़ किया गया।

इस एग्रीमेंट का उद्देश्य था कि डबल टैक्सेशन से बचा जा सके ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाया जा सके।

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