वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का आम बजट पेश किया है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पेश इस बजट में मध्यम वर्ग से लेकर देश के पिछड़े तबके तक का ख्याल रखा गया है। अब भारत को एक नया आयकर विधेयक मिलने वाला है। निर्मला सीतारमण संसद में एक नया इनकम टैक्स बिल पेश करने वाली हैं।
भारत में डायरेक्ट टैक्स का नया कोड कैसा होगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। नए बजट में कई उत्पादों पर लगने वाले कस्टम ड्यूटी को कम किया गया है। नए सुधारों की उम्मीद दशकों से थी। ऐसा हो सकता है कि अब आयकर अधिनियमों में कुछ अहम बदलाव संसद में पेश किए जाएं।
कुछ उत्पादों पर कस्टम ड्यूडी ज्यादा थी, जिसकी वजह से उन्हें तैयार करने और बाजार तक लाने में खर्च ज्यादा लगता था। इसकी वजह से देश में बने उत्पाद महंगे हो जाते थे। एक्सपोर्ट मार्केट में उन्हें कम लोग खरीदना चाहते थे। अर्थव्यवस्था के जानकारों का कहना है कि ये छोटे-छोटे सुधार अर्थव्यवस्था को गति देने वाले हैं।
किन बड़े आर्थिक सुधारों की है उम्मीद?
साल 2017 से GST लागू है। इसे अप्रत्यक्ष करों की दिशा में बड़ा सुधार माना गया था। केंद्रीय बजट में कस्टम ड्यूटी में सुधार करने और नए प्रत्यक्ष कर पर कानून को लेकर बड़े सुधारों की उम्मीद है। एक दशक बाद जब अर्थव्यवस्था नए मोड़ पर खड़ी है, तब ऐसे सुधारों की जरूरत ज्यादा नजर आ रही है।
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नॉन फाइनेंशियल सेक्टर के लिए कैसा है बजट?
निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कहा कि वह नॉन फाइनेंशियल सेक्टर के नियमों में सुधार के लिए एक हाई लेवल कमेटी भी बनाएंगी। वह जन विश्वास विधेयक लेकर आएंगी। जन विश्वास अधिनियम 2023 में 180 से अधिक कानूनी प्रावधानों को अपराधमुक्त किया गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले दस वर्षों में वित्तीय और गैर-वित्तीय सहित कई पहलुओं में हमारी सरकार ने 'कारोबार में आसानी' के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। अब इस विधेयक का अगला संस्करण पेश किया जाएगा, जिसमें से 100 अन्य कानूनी प्रवाधानों को अपराध की सूची से बाहर किया जाएगा।
MSME पर क्यों है फोकस?
आर्थिक सर्वे में इन सुधारों की उम्मीद की गई थी। आर्थिक सर्वे ने यह इशारा किया है कि अगर कंस्ट्रक्शन सेक्टर में क्रांति करनी है तो पहले लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को नई दिशा देनी होगी। केंद्रीय बजट का एक बड़ा हिस्सा MSME पर केंद्रित है। सरकार उद्यम को बढ़ावा दे रही है।
बजट की अहम बातें क्या हैं?
बजट में वित्तीय क्षेत्र में और सुधारों की भी बात की गई है। अब बीमा सेक्टर में 74 फीसदी की जगह 100 फीसदी फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट पर जोर दिया गया है। अब कंपनियां अगर पूरी प्रीमियम इनकम के साथ भारत में निवेश करती हैं तो उन्हें 100 फीसदी निवेश की इजाजत दी जा सकती है।
क्या चुनौतियां हैं?
बजट में कई चुनौतियां हैं। इन वादों को एक झटके में पूरा कर पाना आसान नहीं है। इन वादों को पूरा होने में वक्त लगेगा। एक चुनौती यह भी है कि राजकोषीय घाटे को कम करते हुए कैसे कैपिटल एक्सपेंडीचर (पूंजीगत व्यय) को प्राथमिकता दी जाए। एक चुनौती 'मुफ्त की योजनाएं' हैं, जिनकी वजह से सरकार का लोक कल्याणकारी नीतियों पर खर्च बढ़ता है।
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बजट में राज्यों को भी अच्छे व्यापार के लिए आर्थिक सुधार करने के निर्देश दिए गए हैं। राज्यों को निवेश के लिए बेहतर माहौल बनाने की बात कही गई है। इन्वेस्टमेंट फ्रैंडली इंडेक्स लॉन्च करने की बात केंद्र ने कही है, जिससे राज्यों के बीच में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जा सके। राज्य केंद्र के निर्देशों को मानते हैं तो निवेश की नई संभावनाएं पैदा हो सकती हैं। सरकार संघीय ढांचे को आर्थिक तौर पर मजबूत करना चाहती है। राज्यों ने इसे लेकर राज्यों ने अपने स्पष्ट मत जाहिर नहीं किए हैं। राजनीतिक रूप से राज्यों का सहयोग मिलना जरूरी है।
राज्यों को जमीन और श्रम दोनों नजरिए से सहयोग करना होगा। नए प्रोजेक्ट्स का स्वागत करना होगा, जिससे दुनिया में भारत को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में अच्छी रैंकिंग मिले। जो समूह आर्थिक तौर पर पिछड़े हैं, उनके लिए जनकल्याणकारी योजनाएं भी सरकारों की प्राथमिकता होनी चाहिए। सरकार ने बजट का अनुमानित खर्च 50 लाख करोड़ रखा है।