बीते साल अक्टूबर भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा की 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। इसके बाद रतन टाटा के करोड़ों की संपत्ति वसीयत के तौर पर किसे मिलेगी, ये सवाल कई लोगों के मन में उठ रहे थे। हाल ही में रतन टाटा की वसीयत खोली गई, जिसने आम लोगों के साथ-साथ उनके करीबियों को भी हैरानी में डाल दिया। उनकी वसीयत में बताया गया है कि रतन टाटा ने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा, लगभग 500 करोड़ रुपए, मोहिनी मोहन दत्ता नाम के व्यक्ति के नाम लिख दिया। यह नाम शायद ही आम लोगों ने सुना होगा लेकिन जो रतन टाटा के करीब थे, वे इनसे परिचित है।
मोहिनी मोहन दत्ता कौन हैं?
मोहिनी मोहन दत्ता एक व्यवसायी हैं, जिनका संबंध ट्रैवल उद्योग से है। वह मूल रूप से जमशेदपुर के रहने वाले हैं। उनके परिवार की ट्रैवल एजेंसी 'स्टैलियन' थी, जिसका 2013 में टाटा समूह के ताज होटल्स के 'ताज सर्विसेज' के साथ विलय हो गया था। इससे पहले, स्टैलियन में 80% हिस्सेदारी दत्ता के परिवार की थी, जबकि शेष 20% हिस्सेदारी टाटा इंडस्ट्रीज के पास थी।
इसके अलावा, दत्ता ने 'टीसी ट्रैवल सर्विसेज' में निदेशक के रूप में भी काम किया था। यह कंपनी पहले मशहूर ट्रैवल ब्रांड 'थॉमस कुक' से जुड़ी हुई थी।
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छह दशकों का संबंध
टाटा समूह के करीबियों का कहना है कि मोहिनी मोहन दत्ता खुद को टाटा परिवार का करीबी मानते थे। उन्होंने अक्टूबर 2024 में रतन टाटा के अंतिम संस्कार के दौरान मीडिया से बातचीत में अपने और टाटा के बीच के गहरे संबंध का जिक्र किया था। उन्होंने बताया कि पहली बार उनकी मुलाकात जमशेदपुर के 'डीलर्स हॉस्टल' में हुई थी, जब रतन टाटा सिर्फ 24 वर्ष के थे। उस समय टाटा ने उनकी मदद की और उनके व्यवसाय को आगे बढ़ाया।
परिवार और करीबी लोग हैरान
रतन टाटा के इस फैसले से उनके परिवार और करीबी लोगों को चौंका दिया है। हालांकि, टाटा समूह से जुड़े लोग इस बात को मानते हैं कि रतन टाटा का स्वभाव ही ऐसा था कि वे अपने पुराने और करीबी सहयोगियों को कभी नहीं भूलते थे। उनके लिए न सिर्फ टाटा समूह बल्कि उनके व्यक्तिगत रिश्ते भी बहुत मायने रखते थे।