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डेबिट कार्ड नहीं अब UPI का बोलबाला, दर्ज हुई 52% की बढ़ोतरी

भारत में यूपीआई लेन-देन में बड़ा इजाफा देखा गया है। जानते हैं क्या है इसके पीछे कारण और पढ़िए रिपोर्ट।

Logo of Unified Payments Interface

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस- UPI का चिन्ह। (Pic Credit- Wikimedia Commons)

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) एक ऐसा माध्यम जिससे मोबाइल फोन पर उपलब्ध किसी पेमेंट ऐप, जैसे- पेटीएम, फोन पे, गूगल पे आदि से किसी भी व्यक्ति के साथ पैसे का लेन देन, बिमा भुगतान, ऋण भुगतान, क्रेडिट कार्ड का भुगतान कर सकते हैं। बता दें कि अक्टूबर महीने में UPI ट्रांजेक्शन में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें लेन-देन की संख्या और रकम दोनों शामिल हैं। 

 

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर महीने में UPI ने 16.58 अरब लेन-देन हुए, जिनकी कुल राशि 23.5 लाख करोड़ रुपए रही। सितंबर की तुलना में लेन-देन की मात्रा 10% और पैसों की मात्रा में 14% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि प्रतिदिन UPI के माध्यम से लेन-देन की संख्या 53.5 करोड़ से अधिक हो गई और इनका मूल्य 75,801 करोड़ से अधिक रहा।

किन-किन क्षेत्रों में डिजिटल पेमेंट में हुई वृद्धि?

NPCI के रिपोर्ट में यह बताया गया कि IMPS के लेन-देन में 9% की वृद्धि और उनके मूल्य में 11% की वृद्धि हुई। IMPS वह लेन-देन जो एक बैंक से दूसरे बैंक में तुरंत हो जाता और जिसका इस्तेमाल पेमेंट ऐप के माध्यम से किसी का नंबर डालकर या क्यूआर स्कैन करके करते हैं। इसके साथ फास्टैग लेन-देन में 8% की वृद्धि दर्ज की गई और कुल मूल्य 9% बढ़ा। 

 

सबसे अधिक बढ़ोतरी AePS यानी आधार सक्षम भुगतान प्रणाली में दर्ज की गई। AePS के माध्यम से आधार नंबर और फिंगरप्रिंट या आईरिस स्कैन की मदद से वेरिफिकेशन करके पैसों का लेन-देन किया जाता है। इसके लिए व्यक्ति के बैंक अकाउंट की जानकारी की जरूरत नहीं होती है। रिपोर्ट्स के अनुसार इसमें 26% की बड़ी बढ़ोतरी हुई। इस साल पहली छमाही में यूपीआई लेनदेन की मात्रा में 52% की बढ़ोतरी हुई और पिछले वर्ष की तुलना में इसी समय तक हुए लेनदेन का मूल्य 40% बढ़ा।

डेबिट कार्ड लेन-देन में गिरावट

RBI की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर महीने में डेबिट कार्ड के जरिए लेन-देन में गिरावट देखी गई। अगस्त में डेबिट से हुए 43,350 करोड़ रुपए के मुकाबले सितंबर में यह रकम घटकर 39,920 करोड़ रुपए रह गया, जो लगभग 8% की गिरावट को दर्शाता है। इसके उलट, क्रेडिट कार्ड के लेन-देन में 5% की बढ़ोतरी हुई और सितंबर में यह 1.76 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया।

क्यों डिजिटल पेमेंट की तरफ बढ़ रहा है झुकाव?

डिजिटल पेमेंट अब रोजमर्रा का हिस्सा बन गया है। साथ ही अब यह बड़े-बड़े दुकानों से लेकर से रिक्शा चलाने वाले कामगार के पास भी उपलब्ध है। इसने पैसों के लेन-देन बहुत आसान बना दिया है, जो एक बड़ा कारण इसके बढ़ते झुकाव का हो सकता है। इसके साथ भारत सरकार भी डिजिटल इंडिया के तहत डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दे रही है। इसमें सबसे बड़ा कारण 2016 में हुई नोटबंदी और 2020 में आई कोविड-19 का भी रहा, जिसमें पारंपरिक लेन-देन को छोड़कर डिजिटल पेमेंट को अपनाया।

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