क्या पुरानी इलेक्ट्रिक गाड़ी बेचने पर अब 18% GST भी चुकाना होगा? हाल ही में हुई GST काउंसिल की 55वीं मीटिंग के बाद यह कन्फ्यूजन बढ़ गई है। सवाल उठ रहा है कि पुरानी गाड़ी बेचने पर भी अब टैक्स भरना होगा। हालांकि, ऐसा कुछ नहीं होगा।
अगर कोई व्यक्ति अपनी पुरानी गाड़ी बेचता है तब तो कोई टैक्स नहीं लगेगा। यह टैक्स तभी लगेगा जब कोई पुरानी किसी वेंडर या ऑटो कंपनी से खरीदी जाएगी। यह टैक्स भी मार्जिन प्रॉफिट पर ही लगेगा। गाड़ी की कीमत पर नहीं।
ऐसे में समझना जरूरी है कि किन पुरानी गाड़ियों को बेचने पर टैक्स देना होगा? टैक्स कितना और किस पर लगेगा?
किन गाड़ियों को रिसेल करने पर लगेगा टैक्स?
सभी पुरानी गाड़ियां, जिनमें इलेक्ट्रिक व्हीकल भी शामिल हैं। ऐसी पेट्रोल गाड़ियां जिनकी इंजन क्षमता 1200CC या उससे ज्यादा है। जबकि, ऐसी डीजल गाड़ियां जिनकी इंजन क्षमता 1500CC या उससे ज्यादा होगी।
इनमें पुरानी इलेक्ट्रिक गाड़ियां भी शामिल होंगी। अब तक पुरानी गाड़ियों की बिक्री पर 12% GST लगता था लेकिन अब 18% GST देना होगा।
किनको देना होगा यह टैक्स?
रजिस्टर्ड वेंडर्स और ऑटो कंपनियों को। इसका मतलब हुआ कि किसी ऑटो कंपनी या फिर स्पिनी या cars24 जैसे वेंडर से अगर सेकंड हैंड गाड़ी खरीदते हैं तो 18% GST लगेगा।
कितना टैक्स लगेगा?
मान लीजिए कि अगर कोई व्यक्ति 12 लाख रुपये में नई गाड़ी खरीदता है। कुछ साल बाद उसे वह 9 लाख रुपये में किसी वेंडर या ऑटो कंपनी को बेच देता है। इसके बाद ऑटो कंपनी 9 लाख रुपये से ऊपर जितना भी प्रॉफिट लेकर इस कार को बेचेगी, उस पर 18% GST लगेगा।
लेकिन अगर कोई व्यक्ति अपने ही किसी करीबी या साथी को पुरानी गाड़ी बेचता है तो ऐसी स्थिति में कोई टैक्स नहीं देना होगा।
उदाहरण के लिए कोई डीलर 9 लाख रुपये में पुरानी गाड़ी खरीदता है और उसे 10 लाख रुपये में बेच देता है, तो टैक्स सिर्फ 1 लाख रुपये के प्रॉफिट पर लगेगा। 18% GST के हिसाब से 18 हजार रुपये का टैक्स। यही फॉर्मूला पुरानी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर भी लागू होगा।
कितना बड़ा है सेकंड हैंड गाड़ियों का बाजार?
दास वेल्ट ऑटो की इंडियन ब्लू बुक 2023 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में सेकंड हैंड या इस्तेमाल की गई गाड़ियों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।
2022-22 में भारत में सेकंड हैंड गाड़ियों का बाजार 31.33 अरब डॉलर यानी करीब 2.66 लाख करोड़ रुपये का था। 2027-28 तक यह बढ़कर 70.48 अरब डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपये के पार जाने का अनुमान है।
इतना ही नहीं, 2017 से 2022 के बीच पुरानी गाड़ियों का मार्केट हर साल 6% की दर से बढ़ा। जबकि, 2023 से 2028 के बीच यह 16% की दर से बढ़ने का अनुमान है। इसी दौरान नई गाड़ियों का बाजार 6% की ही दर से बढ़ने की उम्मीद है।
2022-23 में देशभर में तकरीबन 50 लाख पुरानी गाड़ियां बेची गईं। 2027-28 तक 80 लाख पुरानी गाड़ियां बिकने का अनुमान है। अगर ऐसा हुआ तो उस वक्त हर एक नई गाड़ी पर दो पुरानी गाड़ी होगी।
क्यों बढ़ रहा पुरानी गाड़ियों का बाजार?
पुरानी गाड़ियों का मार्केट बढ़ने की दो वजहे हैं। पहली- सेकंड हैंड या पुरानी गाड़ी कम कीमत में मिल जाती है। दूसरी- अब लोग कम समय में ही कार को रिप्लेस कर रहे हैं।
2010-11 में लोग कम से कम 6 साल में अपनी नई कार को रिप्लेस करते थे। अब 4 साल में ही कार को बेच देते हैं 2027-28 में तो लोग 3.5 साल में ही अपनी नई कार को बेच देंगे। इस वजह से अब पुरानी गाड़ियों की कीमत भी बढ़ रही है। 2021-22 में पुरानी गाड़ी की औसत कीमत 4 लाख रुपये थी, जो 2023-24 में बढ़कर 5.3 लाख रुपये हो गई।
इसके अलावा, स्पिनी और cars24 जैसी कंपनियों के आने से भी सेकंड हैंड और पुरानी गाड़ियों का बिजनेस बढ़ा है। आने वाले समय में भारत में पुरानी गाड़ियों का बिजनेस और भी बढ़ने का अनुमान इसलिए है, क्योंकि यहां कार मार्केट अब बढ़ रहा है। चीन में हर हजार लोगों पर 150 कार हैं। जर्मनी में 380, अमेरिका में 510, फ्रांस में 360 तो यूके में 340 कार हैं। जबकि, भारत में हर हजार लोगों पर सिर्फ 20 कार ही हैं। इसलिए माना जा रहा है कि भारत में सेकंड हैंड या पुरानी गाड़ियों का बिजनेस और बढ़ सकता है।