केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को आम बजट पेश किया। मध्यम वर्ग पर दरियादिली दिखाते हुए इस बार मोदी सरकार ने 12 लाख रुपये की आमदनी पर कोई टैक्स नहीं देने की घोषणा की है। अभी तक साल में 7 लाख रुपये की आमदनी पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होता था। अब वेतनभोगी को 12.75 लाख रुपये की आमदनी पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा क्योंकि उन्हें 75 हजार रुपये का लाभ स्टेंडर्ड डिडक्शन का भी मिलेगा। ऐसे में स्टेंडर्ड डिडक्शन क्या है और पुरानी और नई कर व्यवस्था के टैक्सपेयर्स के लिए इसकी सीमाएं क्या हैं?
स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) एक तरीके की कटौती (deduction) होती है, जिसे सरकार द्वारा टैक्सेबल इनकम (Taxable Income) से घटाने की अनुमति दी जाती है। यह कटौती टैक्सपेयर्स को उनकी टैक्स इनकम से निश्चित राशि कम करने की सुविधा देती है, जिससे उनकी कुल टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है।
बजट 2024-25 के लिए क्या?
बजट 2024 में निर्मला सीतारमण ने स्टेंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50,000 से बढ़ाकर 75,000 कर दी थी। हालांकि, यह कटौती केवल नई कर व्यवस्था में लागू है, जबकि पुरानी कर व्यवस्था के तहत कोई बदलाव नहीं हुआ है। टैक्सपेयर्स पुरानी व्यवस्था के तहत केवल 50,000 रुपये की स्टेंडर्ड डिडक्शन के लिए पात्र हैं। दरअसल, स्टेंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये करना टैक्सपेयर्स पर वित्तीय दबाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
भारत में स्टैंडर्ड डिडक्शन 2023-24 के लिए क्या था वित्त मंत्री का फैसला?
सैलरीड (वेतनभोगी) और पेंशनर्स के लिए
50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता था।
यह सभी सैलरीड व्यक्तियों और पेंशनर्स के लिए लागू होती थी।
वरिष्ठ नागरिकों (वरिष्ठ नागरिक पेंशनर्स) के लिए
अगर कोई वरिष्ठ नागरिक (Senior Citizen) पेंशन प्राप्त कर रहा है, तो उसे भी 50,000 रुपये तक की स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता था।
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स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ क्यों दिया जाता है?
स्टैंडर्ड डिडक्शन का मुख्य उद्देश्य टैक्सपेयर्स को कुछ राहत प्रदान करना और उनकी टैक्स इनकम को कम करना है। पहले यह विभिन्न भत्तों (allowances) जैसे कि ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल अलाउंस की जगह लाई गई थी ताकि टैक्स सिस्टम को सरल बनाया जा सके।
कैसे लागू होती है स्टैंडर्ड डिडक्शन?
अगर आपकी सकल वेतन आय (Gross Salary Income) 7,00,000 रुपये है, तो स्टैंडर्ड डिडक्शन 50,000 हजार कम करके टैक्सेबल इनकम 6,50,000 रुपये हो जाएगी। इससे आपकी कर देयता (tax liability) कम होगी।