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बजट 2025: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से आम आदमी की उम्मीदें क्या हैं?

टैक्स, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी आम आदमी के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है। विपक्षी पार्टियां भी इन्हीं मुद्दों पर केंद्र को घेर रही हैं। इस बजट से आम आदमी की उम्मीदें क्या हैं, आइए जानते हैं।

Nirmala Sitharaman

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण। (File Photo Credit-PTI)

केंद्रीय बजट 2025 से देशभर को कई उम्मीदें हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट पेश करने के लिए तैयार हैं। आम आदमी की उम्मीदें हैं कि बढ़ती महंगाई पर लगाम लगे। देश के युवा रोजगार की उम्मीद में हैं। विपक्ष भी महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहा है।

निर्मला सीतारमण लगातार 8वीं बार बजट पेश करेंगी। सीमित आय वाले परिवारों से लेकर उद्योगपतियों तक बजट 2025 से लोगों की उम्मीदें क्या-क्या हैं, आइए जानते हैं। 

महंगाई से कब मिलेगी राहत?
सब्जी से लेकर तेल, दाल और दूध की कीमतें आसमान पर हैं। रसोई खर्च महंगा हो गया है। सरकार ने टैक्स बढ़ाया तो कई रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली चीजें महंगी हुईं। बीते कुछ महीनों में पैकेज्ड फूड के दाम बढ़े हैं। कुछ कंपनियां कह रही हैं कि उत्पादों पर होने वाला खर्च बढ़ा है, इसलिए उत्पाद के दाम बढ़ाए जा सकते हैं। आम आदमी को उम्मीदें हैं कि खाने पर होने वाला खर्च कम होगा।
 

सैलरी कब बढ़ेगी?
मध्य वर्ग आमदनी, महंगाई की तुलना में कम बढ़ी है। जिन लोगों के वेतन में इजाफा हुआ है, वह भी उतना नहीं है कि वे आर्थिक चुनौतियों से बाहर आ सकें। देश के आर्थिक विकास दर में भारी गिरावट देखी गई है। यह दर 5.4 प्रतिशत पर आ गई है। बीते 4 साल में मुनाफे में 4 गुना इजाफा होने के बाद भी कॉर्पोरेट क्षेत्र में आय नहीं बढ़ पाई। FICCI और स्टाफिंग सॉल्युशन कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक इंजीनियरिंग और दूसरे सेक्टर में आय बढ़ने की दर 0.8 फीसदी के आसपास है। आम आदमी को उम्मीद है कि सरकार आमदनी बढ़ाने की दिशा में भी काम करेगी।

आर्थिक मंदी से कैसे निपटेंगे?
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSC) का अनुमान है कि देश की अर्थव्यवस्था 2024-2025 में 6.4 फीसदी की दर से बढ़ेगी। कोविड के बाद यह दर सबसे कम है। काम न मिलने की वजह से देश की एक बड़ी आबादी शहरों से गांवों की ओर लौट गई है। उन्हें वापस लाना यानी रिवर्स माइग्रेशन कराना अभी बाकी है।

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि फॉर्मल सेक्टर में रोजगार बढ़ा है लेकिन आबादी के लिहाज से ये आंकड़े कम हैं, नए रोजगार नई चुनौतियों को हल कर सकते हैं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर पर सरकारी खर्च बढ़ाने और प्राइवेट सेक्टर में बेहतर निवेश से स्थिति में सुधार हो सकता है। मध्यम, सूक्ष्म और लघु उद्यमों पर ज्यादा अनुदान देने की जरूरत है।

टैक्स की मार से राहत की उम्मीद
मध्यम वर्गीय करदाता टैक्स के बोझ से परेशान हैं। वित्त मंत्री से उम्मीद है कि आयकर में छूट दी जाएगी, जिससे आम आदमी को राहत मिले। खाद्य तेल और पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स कम किए जाएं जिससे थोड़ी राहत मिले। अगर आयकर का बोझ कम हुआ तो बचत भी होगी। 

कब पेश होगा बजट?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारण 1 फरवरी को बजट पेश कर सकती हैं।

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