बिहार के किशनगंज जिले की बहादुरगंज विधानसभा सीट पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) का कब्जा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम के प्रत्याशी मोहम्मद अंजार नईमी ने जीत हासिल की थी। यह विधानसभा सीट नेपाल सीमा के बेहद करीब है। इस सीट की गिनती बिहार की मुस्लिम बहुल सीटों में होती है। यहां लगभग 66 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।
बता दें कि बहादुरगंज में शिवपुरी नाम का एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यहां हर शिवरात्रि में भव्य मेला भी लगता है। सावन के महीने में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां माथा टेकने आते हैं। इसी विधानसभा क्षेत्र में आने वाले दिघलबैंक प्रखंड के गांव धनतोला में मां दुर्गा का पौराणिक मंदिर है। 321 वर्ष पहले मंदिर की स्थापना हुई थी। मंदिर की खास बात यह है कि हिंदू-मुस्लिम दोनों यहां माथा टेकते हैं। मंदिर में बंगाल, नेपाल और बिहार के अलग-अलग जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
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पलायन और नदी से होने वाला कटान इस विधानसभा सीट की सबसे बड़ी समस्या है। अधिकांश क्षेत्र ग्रामीण है। लोगों की निर्भरता खेती-किसानी पर है। बड़े उद्योग-धंधे न होने कारण लोग अन्य प्रदेश रोजगार की तलाश में जाते हैं।
विधानसभा सीट में कौन-कौन क्षेत्र शामिल?
- बहादुरगंज प्रखंड की 20 पंचायत
- टेढ़ागाछ प्रखंड की 12 पंचायत
- दिघलबैंक प्रखंड के तीन पंचायत
- बहादुरगंज के 18 वार्ड
मौजूदा समीकरण
बहादुरगंज सीट मुस्लिम बहुल होने के नाते यहां का सियासी रण काफी दिलचस्प होता है। सभी दल मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करते हैं। मुस्लिम मतदाताओं का साथ पहले कांग्रेस को मिलता था। मगर अब ओवैसी की पार्टी नई चुनौती बनकर उभरी है। हिंदू मतदाताओं में सबसे अधिक हिस्सेदारी गंगई समाज की है।
परंपरागत तौर गंगई समाज भाजपा का समर्थक रहा है। मगर सियासी उपेक्षा के चलते अब नाराजगी है। इसका फायदा अन्य दल उठा सकते हैं। मुस्लिमों की अधिक आबादी होने के कारण बाकी दल मुस्लिम चेहरों पर अधिक भरोसा करते हैं। मगर मुस्लिम वोटों के बिखरने का नुकसान कांग्रेस जैसी पर्टियों को उठाना पड़ सकता है।
2020 विधानसभा चुनाव का रिजल्ट
कांग्रेस ने मोहम्मद तौसीफ आलम को मैदान में उतारा था। ओवैसी की पार्टी ने मोहम्मद अंजार नईमी को टिकट दिया। पिछले चुनाव में एनडीए गठबंधन का हिस्सा रही विकासशील इंसान पार्टी ने लखन लाल पंडित पर भरोसा जताया। तीन अन्य दलों ने मुस्लिम चेहरों को अपना प्रत्याशी बनाया। अधिक मुस्लिम उम्मीदवार होने कारण मुस्लिम वोट बंट गया और महागठबंधन का हिस्सा रही कांग्रेस प्रत्याशी को तीसरे स्थान पर रहना पड़ा। एआईएमआईएम के प्रत्याशी मोहम्मद अंजार नईमी ने विकासशील इंसान पार्टी के लखन लाल पंडित को 45215 मतों के अंतर से हराया। मोहम्मद अंजार नईमी अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में शामिल हो चुके हैं।
मौजूदा विधायक का परिचय
2010 के हलफनामे के मुताबिक मौजूदा विधायक मोहम्मद अंजार नईमी के पास कुल 71 लाख की संपत्ति है। दो लाख रुपये से अधिक की देनदारियां हैं। पूर्णिया कॉलेज से बीकॉम ऑनर्स की पढ़ाई करने वाले मोहम्मद अंजार नईमी के आय का जरिया कृषि और व्यवसाय है।
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विधानसभा सीट का इतिहास
बहादुरगंज विधानसभा का गठन साल 1952 में हुआ था। तब से अब तक यहां कुल 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। 10 बार कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत मिली। दो बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (PSP) ने जीत हासिल की। भाजपा, जनता पार्टी, जनता दल, निर्दलीय और एआईएमआईएम ने एक-एक बार जीत दर्ज की। लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी को इस सीट पर अभी तक कोई जीत नहीं मिली है। बहादुरगंज से नजमुद्दीन और तौशीफ आलम चार-चार बार विधायक रहे। इस्लामुद्दीन बागी ने दो बार विधानसभा चुनाव जीता। यहां से सिर्फ तीन ही हिंदू विधायक बन पाए हैं।
बहादुरगंज विधानसभा
वर्ष |
विजेता |
पार्टी |
1952 |
एहसान मोहम्मद |
कांग्रेस |
1957 |
लखन लाल कपूर |
पीएसपी |
1962 |
रफूक आलम |
कांग्रेस |
1967 |
डीएन झा |
पीएसपी |
1969 |
नजमुद्दीन |
कांग्रेस |
1972 |
नजमुद्दीन |
कांग्रेस |
1977 |
इस्लामुद्दीन बागी |
जनता पार्टी |
1980 |
नजमुद्दीन |
कांग्रेस (आई) |
1985 |
नजमुद्दीन |
कांग्रेस |
1990 |
इस्लामुद्दीन बागी |
जनता दल |
1995 |
अवध बिहारी सिंह |
बीजेपी |
2000 |
जहिदुर रहमान |
कांग्रेस |
2005 (फरवरी) |
मो. तौशीफ आलम |
निर्दलीय |
2005 (अक्टूबर) |
मो. तौशीफ आलम |
कांग्रेस |
2010 |
मो. तौशीफ आलम |
कांग्रेस |
2015 |
मो. तौशीफ आलम |
कांग्रेस |
2020 |
मोहम्मद अंजार नईमी |
एआईएमआईएम |
नोट: आंकड़े भारत निर्वाचन आयोग