बांका जिला होने के अलावा एक विधानसभा सीट भी है। विधानसभा सीट का गठन सीडी ब्लॉक बाराहाट और बांका को मिलाकर किया गया है। बांका विधानसभा 161 में पहला चुनाव 1952 में हुआ। शुरुआत में कांग्रेस का दबदबा रहा। बाद में भाजपा और आरजेडी को भी मौका मिला। बांका जिले में सुल्तानगंज, अमरपुर, धोरैया, बांका, कटोरिया और बेलहर सीटें आती हैं।
झारखंड की सीमा पर बसा बांका बिहार का 10वां सबसे बड़ा जनपद है। विकास के पैमाने पर बांका की गिनती देश के पिछड़े जिलों में होती है। बड़े औद्योगिक क्षेत्र की कमी है। लघु उद्योगों से उतना रोजगार नहीं मिलता है, जितनी मांग है। जिले की पूरी अर्थव्यवस्था खेती-किसानी पर निर्भर है, लेकिन लोगों को रोजगार की तलाश में अन्य प्रदेश जाना पड़ता है। बांका कभी नक्सलवाद से प्रभावित रहा है। हालांकि पिछले साल 2024 में केंद्र सरकार ने इसे नक्सल मुफ्त घोषित कर दिया है।
मौजूदा समीकरण
2011 की जनगणना के मुताबिक बांका विधानसभा की कुल आबादी 3,66,489 है। यहां की 87.45 फीसद आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है। महज 12.55 फीसद लोग ही शहरी क्षेत्र के निवासी हैं। 2020 के चुनाव के मुताबिक बांका में कुल 2,45,234 मतदाता थे। कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) का अनुपात क्रमशः 11.26 और 2.01 है। 2024 की मतदाता सूची के अनुसार, इस निर्वाचन क्षेत्र में 272516 मतदाता और 279 मतदान केंद्र हैं। इनमें लगभग 11.26% अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। 2.01 फीसद अनुसूचित जनजातियों के वोटर्स हैं। अगर मुस्लिमों की बात करें तो उनकी लगभग 13.5% हिस्सेदारी है। 16.4% यादव मतदाता हैं।
2020 का चुनाव परिणाम
पिछले चुनाव में बांका सीट से कुल 19 प्रत्याशियों ने मैदान में थे। आरजेडी ने अपने पूर्व विधायक जावेद इकबाल अंसारी को टिकट दिया था। उनके सामने भाजपा के चार बार के विधायक राम नारायण मंडल थे। जावेद इकबाल को कुल 52,934 वोट मिले। भाजपा उम्मीदवार राम नारायण के खाते में 69,762 मत आए। जावेद इकबाल अंसारी को 16,828 मतों से हार का सामना करना पड़ा। इन दो उम्मीदवारों को छोड़कर बाकी किसी अन्य प्रत्याशी की जमानत नहीं बची।
मौजूदा विधायक का परिचय
मौजूदा विधायक राम नारायण मंडल बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। उनका जन्म 15 जुलाई 1953 को हुआ। 1990 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीते। बांका से कुल पांच बार विधायक रह चुके हैं। नीतीश कुमार सरकार में पशुपालन और मत्स्य संसाधन व राजस्व और भूमि सुधार जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक विधायक राम नारायण मंडल के पास एक करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। करीब 2 लाख रुपये की देनदारी है। अगर शिक्षा की बात करें तो लिखना-पढ़ना जानते हैं। उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला भी दर्ज है।
विधानसभा सीट का इतिहास
बांका विधानसभा सीट पर तीन उपचुनाव को मिलाकर कुल 20 बार चुनाव हो चुके हैं। सबसे अधिक कांग्रेस और बीजेपी को सात-सात बार मौका मिला। दो बार आरजेडी ने अपना परचम लहराया। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, बीजेएस, जनता पार्टी और जनता दल को एक-एक बार जीत मिली। राम नारायण मंडल छह बार विधायक बने। ठाकुर कामाख्या प्रसाद सिंह और जावेद इकबाल अंसारी तीन-तीन बार चुनाव जीते। बिंध्यबासिनी देवी बांका से दो बार विधायक रहीं।
बांका विधानसभा: कब-कौन जीता?
वर्ष |
विजेता |
दल |
1952 |
राघवेंद्र नारायण सिंह |
कांग्रेस |
1957 |
बिंध्यबासिनी देवी |
कांग्रेस |
1962 |
ब्रज मोहन सिंह |
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
1963 |
बिंध्यबासिनी देवी (उपचुनाव) |
कांग्रेस |
1967 |
बीएल मंडल |
बीजेएस |
1969 |
ठाकुर कामाख्या प्रसाद सिंह |
कांग्रेस |
1972 |
ठाकुर कामाख्या पंडित सिंह |
कांग्रेस |
1977 |
सिंधेश्वर प्रसाद सिंह |
जनता पार्टी |
1980 |
ठाकुर कामाख्या प्रसाद सिंह |
कांग्रेस (आई) |
1985 |
चंद्रशेखर सिंह |
कांग्रेस |
1986 |
जे. यादव (उपचुनाव) |
बीजेपी |
1990 |
राम नारायण मंडल |
बीजेपी |
1995 |
जावेद इकबाल अंसारी |
जनता दल |
2000 |
राम नारायण मंडल |
बीजेपी |
2005 (फरवरी) |
जावेद इकबाल अंसारी |
आरजेडी |
2005 (नवंबर) |
राम नारायण मंडल |
बीजेपी |
2010 |
जावेद इकबाल अंसारी |
आरजेडी |
2014 |
राम नारायण मंडल (उपचुनाव) |
बीजेपी |
2015 |
राम नारायण मंडल |
बीजेपी |
2020 |
राम नारायण मंडल |
बीजेपी |