बनमनखी पूर्णिया जिले की छह विधानसभा में से एक है। यहां हिंदू और मुस्लिमों की मिश्रित आबादी है। पिछले पांच विधानसभा चुनाव में भाजपा का दबदबा रहा है। मुस्लिम और यादव मतदाताओं के प्रभाव वाली इस सीट पर भाजपा का सियासी तिलिस्म तोड़ना आसान नहीं है। 2008 में परसीमन हुआ तो बरहरा कोठी सामुदायिक विकास खंड, मटिहानी, औराही, सुखसेना पश्चिम, सुखसेना पूर्व, रुस्तमपुर, दिबरा धानी, निपनिया, मुल्किया, गौरीपुर और लतराहा ग्राम पंचायतें को विधानसभा क्षेत्र में शामिल किया गया।
बनमनखी विधानसभा सीट का गठन साल 1962 में हुआ था। इसका इतिहास पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। मान्यता के मुताबिक भगवान नरसिंह ने राक्षस हिरण्यकश्यप का वध यही किया था। यहां के भवानीपुर में नरसिंह भगवान का मंदिर भी है। 1967 में बनमनखी में चीनी मिल की स्थापना हुई। पिछले तीन दशक से इसके बंद होने से स्थानीय स्तर पर रोजगार का संकट है। विधानसभा क्षेत्र के अधिकांश युवाओं को अन्य प्रदेश पलायन करना पड़ता है।
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मौजूदा समीकरण
अगर सीट के समीकरण की बात करें तो यहां 12.3 फीसदी मुस्लिम और यादव मतदाताओं की संख्या 14.4 फीसदी है। पासवान, रविदास, कुर्मी, राजपूत और ब्राह्मण भी यहां निर्णायक साबित होते हैं। मगर मुस्लिम और यादव का झुकाव जिस तरफ से होता है, उसका ही पलड़ा भारी हो जाता है। विधानसभा सीट में कुल 2,54,544 मतदाता हैं। पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,33,531 और महिलाओं मतदाताओं की संख्या 1,21,009 है।
2020 चुनाव का रिजल्ट
2020 विधानसभा चुनाव में कुल 13 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। भाजपा प्रत्याशी कृष्ण कुमार ऋषि ने आरजेडी उम्मीदवार उपेंद्र शर्मा को 27,743 मतों के अंतर से हराया। बाकी सभी प्रत्याशियों को अपनी जमानत से हाथ धोना पड़ा। अगर पार्टीवार मत प्रतिशत की बात करें तो भाजपा को सर्वाधिक 53.3, आरजेडी को 37.5 और जन अधिकारी पार्टी को 2.1 फीसदी मत मिले।
मौजूदा विधायक का परिचय
बीजेपी नेता कृष्ण कुमार ऋषि बनमनखी सीट से लगातार पांच बार के विधायक हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें 53 फीसदी से अधिक मत मिले थे। अभी तक कोई सियासी दल उनके सामने इस सीट पर चुनौती पेश नहीं कर सका है। 2020 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक विधायक कृष्ण कुमार ऋषि ने 12वीं तक पढ़ाई की है। साल 1994 में गोरेलाल मेहता कॉलेज बनमनखी से उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उनके पास दो करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और 21 लाख रुपये से ज्यादा की देनदारी है। हलफनामे में विधायक कृष्ण कुमार ऋषि ने कृषि और सामाजिक कार्य को व्यवसाय बता रखा है।
विधानसभा सीट का इतिहास
बीजेपी के कृष्ण कुमार ऋषि 2005 से अभी तक बनमनखी से लगातार पांच बार के विधायक हैं। 2000 के बाद कोई भी दल भाजपा को यहां पटखनी नहीं दे सकी। बनमनखी में साल 1962 से 1972 तक कांग्रेस का दबदबा रहा है। 1977 में पहली बार जनता पार्टी की टिकट पर बालबोध पासवान ने चुनाव जीता था। अगर पार्टी के लिहाज से बात करें तो भाजपा सात, कांग्रेस पांच, जनता दल और जनता पार्टी ने एक-एक बार जीत हासिल की। रसिक लाल तीन, चुन्नी लाल पासवान दो और बीजेपी नेता कृष्ण कुमार ऋषि पांच बार विधायक बने।
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साल विजेता पार्टी
1962 भोला पासवान कांग्रेस
1967 बी सराफ कांग्रेस
1969 रसिक लाल ऋषिदेव कांग्रेस
1972 रमिक लाल रिशीदेव कांग्रेस
1977 बालबोध पासवान जनता पार्टी
1980 जयकांत पासवान कांग्रेस (यू)
1985 रसिक लाल ऋषिदेव कांग्रेस
1990 चुन्नी लाल राजवंशी बीजेपी
1995 चुन्नी लाल राजवंशी जनता दल
2000 देव नारायण रजक बीजेपी
2005 (फरवरी) कृष्ण कुमार ऋषि बीजेपी
2005 (अक्टूबर) कृष्ण कुमार ऋषि बीजेपी
2010 कृष्ण कुमार ऋषि बीजेपी
2015 कृष्ण कुमार ऋषि बीजेपी
2020 कृष्ण कुमार ऋषि बीजेपी
नोट: आंकड़े भारत निर्वाचन आयोग