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बेनीपट्टी विधानसभाः कांग्रेस की गढ़ रही सीट पर क्या फिर जीतेगी बीजेपी?

बेनीपट्टी विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। जानिए इस सीट पर क्या समीकरण है और किसके जीतने की संभावना है?

Representational Image । Photo Credit: Khabargaon

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: Khabargaon

जब बात मिथिला क्षेत्र की राजनीति की होती है, तो बेनीपट्टी विधानसभा सीट का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। यह सीट बिहार के मधुबनी जिले में आती है और सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से बेहद समृद्ध मानी जाती है। उत्तर बिहार के इस क्षेत्र की पहचान न केवल इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों से है, बल्कि इसके राजनीतिक घटनाक्रम भी इसे बार-बार सुर्खियों में लाते रहे हैं।

 

कुछ लोगों का कहना है कि बेनीपट्टी विधानसभा क्षेत्र का नाम 'महारानी बेनी' के नाम पर रखा गया है, जिनका इस भूभाग में ऐतिहासिक वर्चस्व रहा है। यह इलाका मैथिली संस्कृति का केंद्र रहा है और यहां की भाषा, रहन-सहन और परंपराएं आज भी मिथिलांचल की अस्मिता को दर्शाती हैं। यह सीट शहरी नहीं, बल्कि पूरी तरह ग्रामीण है और अधिकांश मतदाता किसान, छोटे व्यापारी या सरकारी योजनाओं पर निर्भर श्रमिक वर्ग से आते हैं।

 

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मौजूदा राजनीतिक स्थिति

बेनीपट्टी विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण चुनावी नतीजों को प्रभावित करने में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। यहां ब्राह्मण, यादव, पासवान, मुसलमान और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की अच्छी-खासी जनसंख्या है। इस सीट पर ब्राह्मण मतदाता निर्णायक माने जाते हैं। वहीं यादव और मुस्लिम वोटर्स की भी काफी संख्या है।

 

फिलहाल यह सीट भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पास है। 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा ने कांग्रेस प्रत्याशी भावना झा को बड़े अंतर से हराया था। विनोद नारायण झा मिथिला क्षेत्र के कद्दावर ब्राह्मण नेता माने जाते हैं और उनकी पहचान एक बेहतरीन वक्ता व संगठित पार्टी कार्यकर्ता के रूप में है।

 

बेनीपट्टी में बीजेपी की पकड़ लंबे समय से मजबूत रही है। हालांकि, कांग्रेस ने भी कई बार इस सीट पर जीत दर्ज की है, विशेषकर 2010 से पहले के चुनावों में। भावना झा, जो पूर्व विधायक भी रही हैं, इस बार फिर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। आरजेडी और कांग्रेस के गठबंधन के तहत अगर सीट बंटवारा हुआ, तो कांग्रेस इस सीट को फिर से अपने खाते में रखने की कोशिश करेगी।

2020 के विधानसभा चुनाव में क्या हुआ था?

2020 में इस सीट पर कड़ा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच हुआ था। बीजेपी ने विनोद नारायण झा को मैदान में उतारा, जबकि कांग्रेस की ओर से भावना झा चुनाव लड़ीं। विनोद नारायण झा को 78,862 वोट भावना झा (कांग्रेस) 46,210 वोट और राजेश यादव (निर्दलीय) को 9,572 वोट मिले थे।

विनोद झा को लगभग 32,000 से अधिक वोटों की निर्णायक बढ़त मिली। यह जीत बीजेपी के साथ साथ उम्मीदवार की जमीनी स्तर पर व्यक्तिगत पकड़ भी दिखाती है।

विधायक का परिचय

विनोद नारायण झा लंबे समय से बीजेपी से जुड़े हुए हैं और बिहार विधान परिषद से भी सदस्य रह चुके हैं। वे बिहार सरकार में पीएचईडी (लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग) के मंत्री भी रह चुके हैं। वे स्नातक हैं और समाज सेवा, शिक्षा व संस्कृति से जुड़ी कई गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं। स्थानीय संगठनों और वोटर्स के साथ सीधा जुड़ाव ही उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत है।

 

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विधानसभा सीट का इतिहास

बेनीपट्टी विधानसभा सीट 1952 से अस्तित्व में है और इस पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बीजेपी, आरजेडी जैसे कई दलों ने समय-समय पर प्रतिनिधित्व किया है। 2010 तक यह सीट कांग्रेस और अन्य पार्टियों के बीच घूमती रही, लेकिन उसके बाद से दो बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की है।

 

  • 1977- राजा राम चौधरी - कांग्रेस
  • 1980- राघव प्रसाद - जनता दल (सेक्युलर)
  • 1985- त्रिभुवन सिंह - कांग्रेस
  • 1990- एस एम माशबुद्दीन - निर्दलीय
  • 1995- एम शहाबुद्दीन - जनता दल
  • 2000- अज़ाजुल हक - RJD
  • 2005- श्याम बहादुर सिंह- JDU
  • 2010 – विनोद नारायण झा (बीजेपी)
  • 2015 – भावना झा (कांग्रेस)
  • 2020 – विनोद नारायण झा (बीजेपी)

 

 

यहां का राजनीतिक इतिहास दिखाता है कि मतदाता बदलाव को लेकर सतर्क रहते हैं लेकिन जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे नतीजों को तेजी से प्रभावित करते हैं।

 

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