logo

ट्रेंडिंग:

भागलपुर सीट: क्या BJP कर पाएगी वापसी या कांग्रेस का ही रहेगा कब्जा?

भागलपुर सीट पर कांग्रेस और बीजेपी का ही दबदबा रहा है, लेकिन 2014 से इस पर कांग्रेस का कब्जा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार बीजेपी जीत पाएगी या कि कांग्रेस का दबदबा कायम रहेगा।

news image

बिहार का भागलपुर शहर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र गंगा नदी के किनारे बसा है और प्राचीन काल से ही व्यापारिक और शैक्षिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। भागलपुर को सिल्क सिटी भी कहा जाता है क्योंकि यहां की सिल्क उद्योग की परंपरा सदियों पुरानी है। इस क्षेत्र की मिट्टी उपजाऊ होने के कारण कृषि भी हमेशा से यहां की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा रही है। 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने यहां की सिल्क और नील की खेती को बढ़ावा दिया, जिससे यह क्षेत्र व्यापारिक दृष्टि से समृद्ध हुआ।


भागलपुर जिले में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनमें अंगिरा कुंड, बाबा टेहरी और भरगीश्वर मंदिर शामिल हैं। 1952 में स्थापित भागलपुर विधानसभा सीट में भागलपुर नगर, गोपालपुर और नालंदा प्रखंडों के हिस्से शामिल हैं।

मौजूदा राजनीति समीकरण

इस सीट पर अब तक हुए चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच बराबरी का टक्कर देखने को मिला है। इस सीट पर 9 बार कांग्रेस और 9 बार बीजेपी या पूर्ववर्ती जनसंघ जीत चुकी है। इस सीट पर 1977 में जनता दल ने एक बार यह सीट जीती थी, लेकिन उस साल में जनसंघ के जनता पार्टी में विलय के बाद जनसंघ के विजय कुमार मित्र ही थे जिन्होंने यह सीट जीती थी।

 

वरिष्ठ भाजपा नेता अश्विनी कुमार चौबे ने 1995 से 2014 तक लगातार पांच बार भागलपुर सीट पर कब्जा जमाया, 2014 में वे लोकसभा चुनाव जीतकर राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश कर गए और केंद्रीय मंत्री बने, जिसके बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी. इस रिक्ति का फायदा उठाकर कांग्रेस के अजीत शर्मा ने 2014 के उपचुनाव में जीत हासिल की और फिर 2015 व 2020 में भी इस सीट को बरकरार रखा.

2020 की स्थिति

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यह सीट जीती थी। कांग्रेस उम्मीदवार अजीत शर्मा को कुल 65,502 वोट मिले थे जो कि कुल वोट प्रतिशत का 40.5 प्रतिशत था। हालांकि, जीत और हार का अंतर ज्यादा नहीं था और बीजेपी के रोहित पाण्डेय को भी 64,389 वोट मिले थे। यानी कि वह लगभग एक हजार वोटों से हार गए थे।

विधायक का परिचय

अजीत शर्मा बिहार के भागलपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं। वह पहली बार 2014 में उपचुनाव के जरिए विधायक बने थे और उसके बाद से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। राजनीति में आने से पहले अजीत शर्मा व्यवसाय और सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे।

 

शिक्षा की बात करें तो उन्होंने अपनी पढ़ाई इंटरमीडिएट तक की है। राजनीति में आने के बावजूद उनका मुख्य जोर स्थानीय मुद्दों और क्षेत्रीय विकास पर रहा है। चुनाव आयोग को दिए गए शपथपत्र के अनुसार अजीत शर्मा के पास लगभग 25 करोड़ रुपये से अधिक की चल-अचल संपत्ति है। इसमें उनके व्यावसायिक निवेश और अचल संपत्तियां शामिल हैं।

आपराधिक मामलों की दृष्टि से अजीत शर्मा की छवि अपेक्षाकृत साफ मानी जाती है। उनके खिलाफ कोई गंभीर आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, जिससे वे अन्य नेताओं की तुलना में साफ-सुथरी छवि के विधायक माने जाते हैं।

विधानसभा का इतिहास

यह सीट लंबे समय तक बीजेपी और कांग्रेस के बीच बंटती रही है। हालांकि 2014 से इस पर कांग्रेस का कब्जा है। यहां देखें पूरी लिस्ट-


1952 - सतेन्द्र नारायण अग्रवाल (कांग्रेस)

1957 - सतेन्द्र नारायण अग्रवाल (कांग्रेस)

1962 - सतेन्द्र नारायण अग्रवाल (कांग्रेस)

1967 - विजय कुमार मित्रा (जनसंघ)

1969 - विजय कुमार मित्रा (जनसंघ)

1972 - विजय कुमार मित्रा (जनसंघ)

1977 - विजय कुमार मित्रा (जनता पार्टी)

1980 - शिव चन्द्र झा (कांग्रेस)

1985 - शिव चन्द्र झा (कांग्रेस)

1990 - विजय कुमार मित्रा (जनसंघ)

1995 - विजय कुमार मित्रा (जनसंघ)

2000 - अश्विनी कुमार चौबे (बीजेपी)

2005 (फरवरी) - अश्विनी कुमार चौबे (बीजेपी)

2005 (अक्टूबर) - अश्विनी कुमार चौबे (बीजेपी)

2010 - अश्विनी कुमार चौबे (बीजेपी)

2014 - अजीत शर्मा (कांग्रेस)

2015 - अजीत शर्मा (कांग्रेस)

2020 - अजीत शर्मा (कांग्रेस)

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap