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बिहार चुनाव 1990: नीतीश की चाल, BJP के साथ से लालू यादव कैसे बने मुख्यमंत्री?

1990 का चुनाव काफी दिलचस्प था। कांग्रेस की हालत बहुत खराब हो गई थी। बाद में नीतीश कुमार ने एक ऐसी चाल चली जिसने लालू यादव को मुख्यमंत्री बना दिया।

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बिहार विधानसभा चुनाव 1995। (Photo Credit: Khabargaon)

भारतीय राजनीति में 90 का दशक बहुत खास रहा है। यह वह दौर था जब ओबीसी आरक्षण को लेकर मंडल की राजनीति चल रही थी। दूसरी तरफ बीजेपी भी अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन चला रही थी। केंद्र की सत्ता से कांग्रेस भी दूर हो गई थी। उस दौर में 1990 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए। तब बिहार और झारखंड ए ही थे और राज्य में 324 विधानसभा सीटें थीं। 


यह चुनाव इसलिए भी खास थे, क्योंकि कुछ महीने पहले ही अक्टूबर 1989 में भागलपुर में जबरदस्त सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इन दंगों में हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। इन दंगों ने चुनाव नतीजों पर भी बड़ा असर डाला था। आजादी के बाद से सत्ता में रही कांग्रेस 1990 में बाहर हो गई। उसके बाद से कांग्रेस कभी बिहार में वापसी नहीं कर पाई। 1985 के चुनाव में कांग्रेस ने 195 सीटें जीती थीं लेकिन 1990 में वह 71 सीटों पर सिमट गई थी। साल 1989 में जब लोकसभा चुनाव हुए थे तो कांग्रेस को 197 सीटें ही मिलीं और राजीव गांधी ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया। इसके बाद नेशनल फ्रंट की सरकार बनी, जिसमें वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने।


1990 का चुनाव इसलिए भी खास था, क्योंकि इसने जनता दल को उभरने का मौका मिला। यही वह चुनाव था, जब लालू यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। दिलचस्प बात यह है कि जिस बीजेपी और नीतीश कुमार के खिलाफ लालू यादव और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) चुनाव लड़ती है, उन्होंने ही उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में मदद की थी। बीजेपी और नीतीश कुमार की बदौलत ही लालू यादव पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।

 

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हुआ क्या था?

1990 के बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल का प्रदर्शन वैसा ही था, जैसा 1989 के लोकसभा चुनाव में था। विधानसभा चुनाव में जनता दल ने 324 में से 122 सीटें जीतीं। हालांकि, उस समय बहुमत के लिए 163 विधायकों के समर्थन की जरूरत पड़ती थी।


उस चुनाव में जनता दल सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। लेकिन सरकार बनाने के लिए उसे 41 और विधायकों के समर्थन की जरूरत थी। चूंकि, उस समय केंद्र की जनता दल की सरकार को बीजेपी ने समर्थन दे रखा था, इसलिए बिहार में भी यही किया। जनता दल को बीजेपी के 39 विधायकों का समर्थन मिल गया। कुछ निर्दलीयों का भी साथ मिला और इस तरह बिहार में जनता दल की सरकार बनी।

लालू ऐसे बने बिहार के सीएम

10 मार्च 1990 को लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने। उस वक्त वह सांसद थे। वीपी सिंह और कुछ बड़े नेता नहीं चाहते थे लेकिन लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने। हालांकि, बीजेपी और नीतीश कुमार की मदद से लालू यादव मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे।


बीजेपी ने पहले ही जनता दल की सरकार को समर्थन देने का एलान कर दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा हुई। उस वक्त मुख्यमंत्री के लिए दो उम्मीदवार थे। पहले- लालू यादव। और दूसरे- दलित नेता राम सुंदर दास। तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह दलित नेता राम सुंदर दास को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। मगर डिप्टी पीएम देवीलाल चाहते थे कि लालू यादव मुख्यमंत्री बने।


केंद्र की सत्ता में वीपी सिंह और चंद्रशेखर में बनती नहीं थी। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे में नीतीश कुमार ने एक चाल चली। उन्होंने चंद्रशेखर को मनाया कि वह वीपी सिंह को रोकें, नहीं तो उनकी पसंद का मुख्यमंत्री बन जाएगा। ऐसे में चंद्रशेखर ने रघुनाथ झा को भी मुख्यमंत्री उम्मीदवार बना दिया। रघुनाथ झा को लालू यादव का करीबी ही माना जाता था। 


जब विधायक दल के नेता को लेकर वोटिंग हुई तो तीन उम्मीदवार- लालू यादव, राम सुंदर दास और रघुनाथ झा थे। तीन-तीन उम्मीदवारों के होने से विधायकों के वोट बंट गए। आखिरकार लालू यादव को विधायक दल का नेता चुन लिया गया।


नीतीश कुमार कई बार कह भी चुके हैं कि उनके कारण ही लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बन सके थे। इसी साल मार्च में बिहार विधानसभा में तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए नीतीश कुमार ने कहा था, 'तुम्हारे पिता को मैंने ही बनाया था। तुम्हारी जाति वाले भी मुझसे कहते थे कि आप ऐसे क्यों कर रहे हैं? लेकिन फिर भी मैंने उनको बनवाया था।'

 

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...और बीजेपी ने ले लिया समर्थन

मार्च 1990 में लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बन गए। जनता दल की सरकार को बीजेपी से समर्थन मिल गया था। मगर जनता दल और बीजेपी की यह दोस्ती ज्यादा लंबी नहीं टिकी।


यह वह दौर था जब मंडल की राजनीति का जवाब देने के लिए बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन छेड़ दिया। बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा शुरू की। 23 अक्टूबर 1990 को आडवाणी की रथयात्रा को बिहार में रोक दिया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने आडवाणी की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया। लालू यादव की सरकार में समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया।


आडवाणी की गिरफ्तारी के विरोध में बीजेपी ने तुरंत केंद्र और राज्य की सरकार समर्थन वापस ले लिया। वीपी सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, बिहार में लालू यादव अपनी सरकार बचाने में कामयाब रहे।

लालू ने लगा दी बीजेपी में सेंध!

बीजेपी के समर्थन वापस लेने से बिहार में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया। केंद्र में तो वीपी सिंह का इस्तीफा हो गया। इसके बाद भी लालू यादव ने बीजेपी में सेंध लगाई और उसके विधायकों को तोड़कर अपने पाले में ले आए।


लालू प्रसाद ने पहले तो सीपीआई के 19, सीपीएम के 5, नई-नई बनी आईपीएफ पार्टी के 7 और झारखंडु मुक्ति मोर्चा के 19 विधायकों के अलावा निर्दलीयों को अपनी सरकार का समर्थन करने के लिए राजी किया, ताकि बीजेपी का मुकाबला किया जा सके।


इसके अलावा, लालू यादव ने बीजेपी में सेंध लगाई। लालू यादव ने बीजेपी के 39 में से 13 विधायकों को तोड़ लिया। इन दलबदलू नेताओं के नेता इंदर सिंह रामधारी थे। इंदर सिंह डाल्टनगंज से विधायक थे, जो बाद में लालू की सरकार में मंत्री भी बने। 

 

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1990 का विधानसभा चुनाव: एक नजर में

कुल सीटेंः 324
बहुमत: 163
कुल वोटर: 5.25 करोड़
वोट पड़े: 3.26 करोड़
वोटिंग प्रतिशत: 62.04%
जनता दल ने कितनी सीटें जीतीं: 122
कांग्रेस ने कितनी सीटें जीतीं: 71
बीजेपी ने कितनी सीटें जीतीं: 39
सीपीआई ने कितनी सीटें जीतीं: 23
झामुमो ने ने कितनी सीटें जीतीं: 19
सीपीएम ने कितनी सीटें जीतीं: 6
निर्दलीयों ने कितनी सीटें जीतीं: 30
अन्य पार्टियों ने कितनी सीटें जीतीं: 14

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