संजय सिंह, पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। एनडीए और विपक्षी पार्टियां अपने अपने वोटर्स को साधने में लगी हैं ऐसे में आरजेडी, एआईएमआईएम को महागठबंधन का हिस्सा बनाने के पक्ष में नहीं है। इसका व्यापक प्रभाव सीमांचल की राजनीति में पड़ सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी।
बाद में राजनीतिक उथल पुथल के कारण इसके चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे। ओवैसी ने ऐसे विधायकों को जमकर कोसा। अब नए मामलों में एआईएमआईएम के किशनगंज जिला अध्यक्ष सहित दो अन्य लोगों पर अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित करने के आरोप में पुलिस ने शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। आरजेडी, जेएमएम से तालमेल करने के मूड में है।
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RJD में शामिल हुए थे AIMIM विधायक
सीमांचल के अल्पसंख्यक बाहुल्य पांच सीटों पर एआईएमआईएम के पांच विधायक जीते थे, लेकिन इनमें से चार ने मूल पार्टी को छोड़कर आरजेडी को साथ दिया। पार्टी प्रमुख ओवैसी ने सार्वजनिक मंच से ऐसे विधायकों को खूब खरी खोटी सुनाई। उन्होंने आह्वान करते हुए यह कहा था कि अब वक्त आ गया है कि ऐसे लोगों को फिर से विधानसभा में चुनकर न भेजा जाए।
सीमांचल में ओवैसी की मजबूत पकड़ है। अब इन विधायकों के समक्ष बड़ी चुनौती यह है कि वे चुनाव को इस क्षेत्र से कैसे जीतें। ऐसे विधायक इस उम्मीद में बैठे थे एआईएमआईएम को महागठबंधन में शामिल किया जाता है तो उनके जीत की राह आसान होगी। पर अब ऐसा होता दिख नहीं रहा है।
JMM को साथ लाने में दिलचस्पी
आरजेडी ओवैसी की पार्टी को छोड़कर जेएमएम से तालमेल करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रही है। दोनों के बीच झारखंड में चुनावी गठबंधन भी है। हेमंत सोरेन सरकार में आरजेडी के एक विधायक मंत्री भी हैं। जेएमएम ने बिहार के आदिवासी बाहुल्य 12 सीटों पर अपनी दावेदारी पेश की है। इनमें तारापुर, मनिहारी, कटोरिया, बांका, पीरपैंती, रामपुर, ठाकुरगंज, रुपौली, वनमखी, जमालपुर, झाझा और चकाई आदि सीटें शामिल हैं।
नहीं हो सका था तालमेल
हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों ने दलों के बीच तालमेल नहीं हो सका था। समझौता न होने से नाराज पार्टी हाईकमान ने सात जगहों पर अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया था। कटोरिया और चकाई में जेएमएम उम्मीदवार के कारण आरजेडी प्रत्याशी का खेल बिगड़ गया था। इस बार आरजेडी हर कदम फूंक फूंककर रख रहा है।
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आरजेडी इस बार जेएमएम को दो या तीन सीट देने को तैयार है। यदि दोनों दलों के बीच समझौता हो जाता है तो आदिवासी वोटों का विखराव रुकेगा। इसका सीधा लाभ जेएमएम के साथ साथ आरजेडी को भी मिलेगा। इस चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है।'