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क्या राहुल की अधिकार यात्रा सीमांचल के वोटर को साध पाएगी?

इस बार बिहार में सीमांचल की 24 सीटों पर सबकी नजरें लगी हुई हैं क्योंकि इस क्षेत्र में मुस्लिमों की आबादी काफी है।

rahul gandhi  । Photo Credit: PTI

राहुल गांधी । Photo Credit: PTI

संजय सिंह, पटना। राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा का सीमांचल से कटिहार और पूर्णिया जिलों में प्रवेश हो गया है। कटिहार के सांसद तारिक अनवर और पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव कांग्रेस के समर्थक हैं। यह इलाका महागठबंधन के राजनीतिक समीकरण के अनुकूल माना जाता है। लेकिन 2020 के चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने यहां का पूरा समीकरण बिगाड़ दिया था। इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर जन सुराज भी पूरी ताक़त झोंके हुए है। चुनाव नज़दीक आते-आते ऊंट किस करवट बैठेगा, यह कहना मुश्किल है।

 

यात्रा के बाद सीमांचल का इलाका एनडीए और महागठबंधन के लिए 'बैटलफील्ड' बन गया है। कुछ दिनों पहले ओवैसी AIMIM से चुनाव जीतकर आरजेडी में शामिल हुए चार विधायकों के खिलाफ जमकर बरस चुके हैं। उन्होंने लोगों से अपील की थी कि इन भगोड़े विधायकों को हर हाल में सबक सिखाया जाए। इन विधायकों को उम्मीद थी कि महागठबंधन का तालमेल ओवैसी की पार्टी से हो जाएगा, पर अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

 

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संवेदनशील इलाका

सीमांचल की भौगोलिक बनावट भी राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम है। एक ओर इसकी सीमा नेपाल से लगती है, तो दूसरी ओर यह बांग्लादेश की सीमा के क़रीब है। इसके कुछ हिस्से पश्चिम बंगाल से भी सटे हैं, जिस कारण यहां बंगाली संस्कृति का प्रभाव भी देखने को मिलता है। सीमांचल के कुल चार जिलों में 24 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, और यह क्षेत्र लंबे समय से संवेदनशील माना जाता है। किशनगंज में मुस्लिम आबादी 68%, अररिया में 33%, कटिहार में 45% और पूर्णिया में 39% है। लोकसभा चुनाव में सीमांचल की चार में से तीन सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी जीते थे, जबकि अररिया सीट भाजपा के खाते में गई थी।

ओवैसी को चार सीटें

2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 8, कांग्रेस को 5, जेडीयू को 4 और भाकपा (मालेः तथा आरजेडी को 1-1 सीट पर संतोष करना पड़ा था। वहीं, आश्चर्यजनक रूप से ओवैसी की पार्टी के 5 प्रत्याशी जीत गए थे। हालांकि, कुछ दिनों बाद इनमें से चार विधायकों ने आरजेडी का दामन थाम लिया। इन्हीं से ओवैसी अब तक नाराज़ हैं।

 

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12 सीटों पर मुस्लिम बाहुल्य

बहरहाल, सीमांचल की 24 सीटों में से 12 ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 50% से अधिक है। ऐसे में एनडीए हिन्दू कार्ड और नीतीश कुमार के विकास कार्यों को गिनाकर वोट बैंक साधने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर महागठबंधन मुस्लिम वोटरों के साथ-साथ दलित और पिछड़े तबकों के समर्थन को मज़बूती से साधने में जुटा है।



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