logo

ट्रेंडिंग:

इस बार मगध की 26 सीटों पर NDA की होगी कठिन परीक्षा, महागठबंधन का है दबदबा

मगध क्षेत्र में महागठबंधन बेहद मजबूत है, जिसका तोड़ इस बार एनडीए निकाल रही है। इसके लिए एनडीए ने अपने कई प्रत्याशियों को बदल दिया है।

magadh assembly constituency seats

तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार। Photo Credit- PTI

संजय सिंह, पटना। मगध क्षेत्र का राजनीतिक तापमान धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। पिछले चुनाव में इस इलाके में एनडीए को भारी नुकसान हुआ था। इस बार एनडीए इस नुकसान की भरपाई के लिए आतुर है। एनडीए को अपनी नुकसान की भरपाई के लिए कठिन परीक्षा से गुजरना होगा। आंकड़े बताते है कि मगध प्रमंडल में विधानसभा की 26 सीटें हैं। इनमें से 22 सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है। मात्र चार सीटों पर ही एनडीए के प्रत्याशी को बढ़त मिली थी।

 

इस बार यहां नया समीकरण गढ़ने की कोशिश की जा रही है। आरजेडी और महागठबंधन ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार भी बदले हैं।

चार जिलों में नहीं खुला था जेडीयू का खाता

पिछले चुनाव में नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद और अरवल में जेडीयू का खाता नहीं खुला था। एक सीट पर जेडीयू प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। गया जिले में बीजेपी और 'हम' ने कुछ सीटों पर विजय हासिल कर एनडीए की इज्जत बचाई थी। नवादा का राजनीतिक समीकरण भी इस चुनाव में बदला हुआ है। रजौली से 2020 के चुनाव में जीते आरजेडी प्रत्याशी प्रकाश वीर को इस बार टिकट नहीं मिला है। एनडीए में यह सीट लोजपा रामविलास के हिस्से आई है। नवादा की आरजेडी विधायक विभा देवी पार्टी बदलकर जेडीयू की उम्मीदवार हैं। हिसुआ में इस बार बीजेपी के टिकट पर अनिल सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। अन्य सीटों पर भी मुकाबला कांटे का है।

 

यह भी पढ़ें: तेजस्वी ने हेलिकॉप्टर फोटो से BJP-JDU को क्या संदेश किया? गहरे हैं इसके मायने

गया में बीजेपी और हम पर भरोसा

गया विश्व स्तरीय धार्मिक स्थल है। यहां इस बार एनडीए को कुछ ज्यादा ही उम्मीद है। गया में 10 विधानसभा सीट हैं। सबसे अधिक जगहों से बीजेपी और जीतनराम मांझी की हम पार्टी चुनाव लड़ रही है। वर्ष 2020 के चुनाव में गुरूआ, शेरघाटी, बोधगया, बेलागंज और अतरी विधानसभा क्षेत्र का परिणाम आरजेडी के पक्ष में गया था। बाद में बेलागंज के उप चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी को सफलता मिली थी।

 

बीजेपी के उम्मीदवार को गया, वजीरगंज में सफलता मिली थी। जबकि जीतनराम मांझी के उम्मीदवार बाराचट्टी, इमामगंज, टिकारी और अतरी से चुनाव जीतने में सफल हुए थे। इस बार बदले राजनीतिक परिदृश्य में जेडीयू ने बेलागंज और लोजपा आर ने शेरघाटी और बोधगया से उम्मीदवार उतारा है।

औरंगाबाद में एनडीए का हाथ था खाली

पिछले चुनाव में औरंगाबाद की छह सीटों पर महागठबंधन का एक तरफा कब्जा हुआ था। इस बार एनडीए की कोशिश है कि महागठबंधन के कब्जे वाली सीटों को झटका जायजेडीयू ने नवीनगर से अपना प्रत्याशी बदला है। बीजेपी ने भी गोह में नए चेहरे पर दांव लगाया है। इस जिले में अधिकांश सीटों पर एनडीए प्रत्याशी का मुकाबला आरजेडी और कांग्रेस के प्रत्याशी से है।

 

यह भी पढ़ें: विधानसभा चुनाव 1972: बिहार को कैसे मिला पहला मुस्लिम मुख्यमंत्री?

 

यह इलाका कांग्रेस के दिग्गज नेता अनुग्रह बाबू का रहा है। उनके बेटे सत्येंद्र नारायण सिन्हा बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा के बेटे निखिल कुमार सिंह को सांसद और राज्यपाल बनने का भी मौका मिला है। परिणाम स्वरूप इस इलाके में महागठबंधन की जड़ें इस इलाके में मजबूत हैं।

अरवल और जहानाबाद में बदला परिदृश्य

अरवल के दो विधानसभा सीटों का राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है। बीजेपी और जेडीयू ने यहां नए चेहरे पर दांव लगाया है। बीजेपी ने अपना उम्मीदवार मनोज शर्मा को बनाया है, जबकि जेडीयू कुर्था विधानसभा सीट पर अपने पुराने प्रत्याशी को बदलकर पप्पू वर्मा पर भरोसा जताया है। जहानाबाद का भी राजनीतिक परिस्थिति बदला हुआ है। घोषी से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले राहुल इसबार आरजेडी के उम्मीदवार बन गए हैं। इनका मुकाबला पूर्व सांसद अरुण कुमार के बटे रितुराज से है।

 

जहानाबाद सीट से पूर्व सांसद चंद्रेश्वर चंद्रवंशी जेडीयू के टिकट पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं। मखदुमपुर की सीट इस बार लोजपा आर के पास चली गई है। बहरहाल मगध क्षेत्र के चुनाव परिणाम पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। महागठबंधन पुरानी स्थिति को बरकरार रखना चाहता है तो एनडीए पूरे परिदृश्य को बदलने के लिए आतुर है।

 

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap