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बिहार: BJP में चुने जा रहे कैंडीडेट, बताना होगा क्यों मिले टिकट?

बिहार में बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों को चुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ऐसे में एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

नरेंद्र मोदी । Photo Credit: PTI

नरेंद्र मोदी । Photo Credit: PTI

संजय सिंह, पटना: बिहार में चुनाव को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों में टिकट पाने वालों की भागदौड़ तेज हो गई है। बीजेपी विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह सजग और सतर्क है। प्रत्येक विधानसभा सीट पर 11 से 13 दावेदारों की स्कैनिंग होगी। इस काम में बूथ से लेकर जिला स्तर तक के कार्यकर्ताओं और नेताओं को लगाया गया है। उम्मीदवारों को अपनी दावेदारी का कारण भी बताना होगा। उनसे जानकारी भरा बायोडाटा भी मांगा गया है। पार्टी ने लक्ष्य तय किया है कि पिछले चुनाव की तुलना में 20 फ़ीसदी अधिक सीटों पर जीत हासिल की जाए।

 

प्रदेश समिति को यह जिम्मेदारी दी गई है कि स्कैनिंग किए गए नामों में से केवल तीन नाम केंद्रीय कमेटी को भेजे। केंद्रीय कमेटी ही उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम मुहर लगाएगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, शीर्ष नेतृत्व ने 100 फ़ीसदी सफलता का लक्ष्य निर्धारित किया है। बूथ से जिला स्तर तक गंभीरता से फीडबैक लिया जा रहा है। पार्टी ऐसे ही लोगों को टिकट देगी, जिनकी जीतने की संभावना मजबूत हो।

 

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11 से 13 नाम मांगे गए

प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से 11 से 13 नाम मांगे गए हैं। पूरे प्रदेश में लगभग 1300 दावेदारों की स्कैनिंग होगी। जिला कमेटी स्कैनिंग किए गए नामों को प्रदेश मुख्यालय भेजेगी। इसके बाद प्रदेश मुख्यालय तीन नामों का चयन कर केंद्रीय मुख्यालय को भेजेगा। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि स्कैनिंग का काम जारी है और चुनाव की तारीख घोषित होते ही इसमें तेजी आ जाएगी।

 

टिकट बंटवारे के दौरान जातीय समीकरण और सर्वे रिपोर्ट को ध्यान में रखा जाएगा। इस बार की सर्वे रिपोर्ट में कुछ पुराने नेताओं की स्थिति ठीक नहीं बताई गई है। कई क्षेत्रों में नाराज़गी देखी जा रही है। ऐसे में पार्टी या तो उनका टिकट काट सकती है या नया चेहरा उतार सकती है।

समिति की रिपोर्ट भी होगी अहम

प्रत्याशियों के संबंध में चुनाव समिति की रिपोर्ट भी अहम होगी। इसके अलावा, जिला अध्यक्ष और विधानसभा प्रभारी की रिपोर्ट भी अनुकूल होना जरूरी है। उम्मीदवारों को यह जानकारी भी देनी होगी कि वे उक्त विधानसभा क्षेत्र से चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं और क्या वहां का जातीय समीकरण उनके पक्ष में है।

 

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प्रत्याशियों को अपनी दावेदारी के लिए सात चरणों से गुजरना होगा। उनसे विस्तृत बायोडाटा मांगा गया है, जिसमें उन्हें बताना होगा कि अब तक उन्होंने पार्टी या संगठन में कौन-कौन सी जिम्मेदारियाँ संभाली हैं, कब से पार्टी से जुड़े हैं और उनके पास क्या कार्यानुभव है। इस प्रक्रिया के चलते हर विधानसभा क्षेत्र में टिकट की उम्मीद लगाए बैठे लोगों की संख्या बढ़ गई है। कई लोग जोड़-तोड़ में भी लगे हुए हैं।

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