महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है. लेकिन, अभी के रुझानों के मुताबिक महायुति को बढ़त मिलती हुई दिख रही है।
इस जीत पर बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि महायुति अपने विकास कार्यों की वजह से सत्ता में वापस आ रही है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति 'विचार की विरासत' और 'परिवार की विरासत' के बीच की लड़ाई थी। महाराष्ट्र के लोगों ने 'विचार की विरासत' को चुना और 'परिवार की विरासत' को हराया।
क्या है 'विरासत' और 'वारिस' की राजनीति
दरअसल, बीजेपी विरासत और वारिस की राजनीति के मुद्दे को लगातार उठाती रही है। महाराष्ट्र में भी बीजेपी ने इसी ओर इशारा किया है। महा विकास अघाड़ी में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) शामिल हैं।
इन तीनों पार्टियों पर बीजेपी लगातार परिवादी होने का आरोप लगाती रही है। कांग्रेस की बात करें तो पार्टी की कमान लगातार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गांधी परिवार के हाथ में ही रही है।
इसी तरह से शिवसेना (यूबीटी) का भी यही हाल रहा है। बाल ठाकरे से पार्टी की कमान उनके बेटे उद्धव ठाकरे को ट्रांसफर हुई और उसके बाद अब आदित्य ठाकरे को ही पार्टी के अगले चेहरे के रूप में पेश किया जाता है। एक समय था जब राज ठाकरे को बाल ठाकरे का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता था, लेकिन बाद में पार्टी की कमान उद्धव ठाकरे के हाथ में आ गई।
अगर एनसीपी (एसपी) की बात करें तो शरद पवार पर भी परिवाद का आरोप लगता है। पार्टी में शरद पवार ही मुख्य चेहरा हैं और उनके बाद अब उनकी बेटी सुप्रिया सुले को ही पार्टी मामलों में आगे देखा जाता है. कुछ राजनीति जानकारों का मानना है कि अजित पवार के उनसे अलग होने के पीछे भी यही कारण था।
विपक्ष को EVM खराब का रोना नहीं रोना चाहिए
हालांकि, झारखंड के मु्द्दे पर उन्होंने कहा कि नतीजे हमारे मुताबिक नहीं हैं लेकिन लेकिन में विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि वह अब यह नहीं कहेंगे कि ईवीएम खराब है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष बच्चों की तरह व्यवहार कर रहा है जो कि पिच पर तब तक खेलना चाहता है जब तक कि वह आउट नहीं हो जाता। जैसे ही वह आउट हो जाता है, वैसे ही उसके लिए या तो बैट में खराबी थी, या तो पिच में खराबी थी, या बॉल में खराबी थी।
महाराष्ट्र में 148 सीटों पर लड़ी थी बीजेपी
बता दें कि महाराष्ट्र में 288 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव हुए जिन पर सीटों की गिनती जारी है। अभी के रुझानों के हिसाब से महायुति आगे चल रही है जबकि एमवीए 100 का भी आंकड़ा छूता हुआ नहीं नज़र आ रहा है।
महाराष्ट्र में बीजेपी ने 148 सीटों पर, शिवसेना ने 80 सीटों पर, अजित पवार की एनसीपी ने 53 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वहीं एमवीए की बात करें तो कांग्रेस ने 103 सीटों पर, शिवसेना ने 89 सीटों पर और एनसीपी (एसपी) ने 87 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
झारखंड में 68 सीटों पर लड़ी बीजेपी
वहीं झारखंड की बात करें तो यहां बीजेपी ने कुल 68 सीटों पर चुनाव लड़ा, झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन 10 पर जनता दल ने 2 सीटों पर और लोक जनशक्ति पार्टी ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था।
विपक्ष की बात करें तो झामुमो ने 41 सीटों पर, कांग्रेस ने 30 सीटों पर, आरजेडी ने 6 पर, सीपीआई (मार्कसिट्स लेनिनिस्ट) ने 4 सीटों पर चुनाव लड़ा था।