दिल्ली में विधानसभा चुनाव अगले साल होना है। अभी औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है लेकिन हर दिन अलग-अलग तरीके से बिसात बिछ रही है। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) और विपक्षी कांग्रेस ने उम्मीदवारों के नाम के ऐलान भी कर दिए हैं। कुछ सीटों पर लेफ्ट ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं। अभी भारतीय जनता पार्टी (BJP) भले ही पीछे हो लेकिन नई-नई पार्टियां चुनाव में उतरने लगी हैं। इस बार भी मुद्दों पर आधारित पार्टियां चुनाव में उतर रही हैं। इसी क्रम में अब बस मार्शल रहे लोग भी चुनाव उतर रहे हैं। दिल्ली की बसों में मार्शल का काम कर चुके लोग अब 'जनहित दल' के पर्टे पर चुनाव ल़ने जा रहे हैं। इस पार्टी ने 6 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है।
दिल्ली डेमोक्रैटिक अलायंस नाम का एक गठबंधन भी बना है। इस गठबंधन में जनहित दल के अलावा दिल्ली जनता पार्टी शामिल है। 6 में से पांच उम्मीदवार खुद को पूर्व बस मार्शल बता रहे हैं। इस पार्टी का कहना है कि बस मार्शल और सिविल डिफेंस के कार्यकर्ता लंबे समय से उपक्षेत हैं और उनकी मांगें स्वीकार नहीं की जा रही हैं, इसलिए अब खुद चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचकर इन मुद्दों को उठाने की जरूरत है।
किसे मिला टिकट?
इस लिस्ट में जिन 6 सीटों पर उम्मीदवार उतारे गए हैं उनमें पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल की सीट भी शामिल है। इस सीट पर आदित्य राय चुनाव लड़ेंगे जो पूर्व बस मार्शल हैं। बुराड़ी विधानसभा सीट पर अनिल कुमार, तिमारपुर से राकेश त्यागी श्रीवास्तव, मुस्तफाबाद से ललित मीणा, मुंडका से प्रवीण कुमार और नरेला से ध्यानमो देवी को टिकट दिया गया है। इनमें राकेश त्यागी श्रीवास्तव को छोड़कर बाकी के पांचों उम्मीदवार पूर्व बस मार्शल हैं।
क्या है बस मार्शल की समस्या
दरअसल, दिल्ली में 10 हजार से ज्यादा सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को बस मार्शल के तौर पर तैनात किया गया था। हालांकि, बाद में उन्हें हटा दिया गया। इसको लेकर बस मार्शलों ने दिल्ली में लंबा आंदोलन किया था। आंदोलन के दौरान इन बस मार्शलों का दावा था कि आंदोलन में 1792 बस मार्शल शहीद हो गए। ये लोग लंबे समय से पक्की नौकरी की मांग कर रहे हैं। बस मार्शल आरोप लगाते रहे हैं कि वे दिल्ली की सरकार और उपराज्यपाल के बीच फंस गए हैं।
नवंबर के आखिर में दिल्ली सरकार ने सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को फइर से काम पर रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसको लेकर AAP ने कहा था कि प्रदूषण के खिलाफ जंग में 4 महीने के लिए बस मार्शल की सेवाएं ली जाएंगी। हालांकि, बस मार्शलों ने सिर्फ 4 महीने के लिए काम का विरोध किया था। इस प्रस्ताव को दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल के पास भेजा था जिसे एलजी वी के सक्सेना ने फर्जी बताकर खारिज कर दिया था और नए सिरे से मानदंडों के अनुरूप प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा था।