महाराष्ट्र। 288 विधानसभा सीटों वाला विशाल राज्य, जहां का विकास देश के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। इसी राज्य में है देश की आर्थिक राजधानी कहा जाने वाला शहर मुंबई। ग्लैमर, पैसा और असंख्य उद्योगों के अलावा भी मुंबई में बहुत कुछ है। यहां भी बिहार-यूपी की तरह ही सामाजिक संरचना है, यह राज्य भी अलग-अलग जातियों, समुदायों, धर्मों में बंटा है। आइए जानते हैं कि महाराष्ट्र का सामाजिक तानाबना कैसा है।
महाराष्ट्र का नाम याद आते ही लोगों का याद आता है मराठा साम्राज्य का गौरवशाली इतिहास, जिस पर देश के अधिकांश लोगों को गर्व है। मराठा साम्राज्य की वीरता की कहानियां घर-घर में लोकप्रिय हैं। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन की खबरें भी गाहे-बगाहे सामने आ जाती हैं, जिन पर देशभर में चर्चा होती है। महाराष्ट्र, सिर्फ मराठाओं का ही राज्य नहीं है, इस राज्य का भी सामाजिक ताना-बाना देश के आम हिस्सों जैसा ही है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में एक बार फिर महाराष्ट्र की जातीय संरचना को लेकर सियासी बहस चालू है। मराठा आंदोलन का मुद्दा छाया हुआ है, जिस पर उठाए गए राज्य सरकार के कदम तब ठिठुर जाते हैं, जब अदालतों की ओर से इसे खारिज कर दिया जाता है। महाराष्ट्र में मराठा सबसे ताकतवर समुदाय है, जो खुद को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय के तहत आरक्षण देने की मांग कर रहा है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि महाराष्ट्र का सामाजिक ढांचा कैसा है, किस समुदाय की कितनी प्रतिशतता है।
साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक महाराष्ट्र की आबादी 11.24 करोड़ है। महाराष्ट्र की आबादी, देशकी कुल अबादी का 9.28 प्रतिशत है। महाराष्ट्र में महिलाओं की संख्या 54,131,277 और 58,243,056 है। ये आंकड़े साल 2011 के हैं, अब इसमें बड़ा बदलाव आ चुका होगा। महाराष्ट्र की साक्षरता दर 82.34 प्रतिशत है। महाराष्ट्र में लिंगानुपात 929 है, जो अन्य राज्यों की तुलना में ठीक समझा जाता है। महाराष्ट्र में हिंदुओं की आबादी 79.83 प्रतिशत है, सिख 0.20 प्रतिशत, बौद्ध 5.81 प्रतिशत, जैन 1.2 प्रतिशत, अन्य धर्म के लोग 01.16 प्रतिशत, क्रिश्चियन 0.96 प्रतिशत और मुस्लिम 11.54 प्रतिशत हैं।
महाराष्ट्र की जातीय संरचना कैसी है?
महाराष्ट्र में ओबीसी आबादी 52 फीसदी है। मराठाओं की संख्या 33 प्रतिशत है। राज्य में दलितों की संख्या 19 फीसदी है। महाराष्ट्र में 3 फीसदी ब्राह्मण, मारवाड़ी, सिख और अन्य की आबादी करीब 10 प्रतिशत है। मराठा, राज्य की सबसे सबसे संपन्न जाति है। मराठा समुदाय की मांग है कि उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण मिले। महाराष्ट्र में आरक्षण की सीमा 13 प्रतिशत अनुसूचित जातियों के लिए है, ओबीसी के लिए 19 प्रतिशत है, आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। जब मराठाओं को आरक्षण दिया जाता है तो यह तय सीमा को पार कर जाता है। राज्य सरकारें, आरक्षण देती हैं लेकिन इसी पर कोर्ट को ऐतराज होता है।
किस पार्टी के पास है जातीय वोटबैंक?
महाराष्ट्र की राजनीति में जातीय समीकरण पार्टियों के लिहाज से ठीक नहीं बैठते हैं। जैसे यूपी में समाजवादी पार्टी को यादव और मुस्लिमों की पार्टी राजनीतिक विरोधी बता देते हैं, वैसे ही महाराष्ट्र की राजनीति में किसी पार्टी को नहीं कहा जा सकता है। महाराष्ट्र में स्थानीय नेताओं का हमेशा से दबदबा रहा है। वोटिंग के दौरान महाराष्ट्र में जातीय समीकरण पार्टी के लिहाज से तय करना मुश्किल काम है। हां, सत्ता किसे मिलेगी, ये काफी हद तक मराठा ही तय करते हैं। अब तक राज्य के 10 मुख्यमंत्री मराठा समुदाय से ही आ चुके हैं।