दिल्ली में कांग्रेस पार्टी ने अब अपनी कैंपेनिंग तेज कर दी है। चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद से ही कांग्रेस की सुस्त कही जा रही कैंपेनिंग ने रफ्तार पकड़ ली है। दिल्ली में अब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी सक्रिय नजर आ रहे हैं। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की सियासी लड़ाई को कांग्रेस त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ-साथ स्थानीय नेतृत्व कदम ताल मिला रहा है।
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP सरकार से पहले कांग्रेस की ही सरकार रही है। कांग्रेस अपनी जड़ें जमाने की कोशिशों में जुट गई है। AAP और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनावों के बीच जो गठबंधन हुआ था, वह धराशायी हो चुका है, अब अरविंद केजरीवाल कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर हमला बोल रहे हैं।
दिल्ली में अगर कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ता है तो सबसे ज्यादा नुकसान आम आदमी पार्टी का ही होगा। सियासी जानकारों का कहना है कि दोनों के वोटर एक ही हैं। कांग्रेस सीट दर सीट सर्वेक्षणों को प्राथमिकता दे रही है।
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कांग्रेस का किन सीटों पर है ज्यादा जोर?
कांग्रेस अन्य चुनावों की तुलना में दिल्ली में काफी सक्रिय नजर आई। कई प्रमुख सीटों पर पहले ही लिस्ट में उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया था। पटपड़गंज से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस ने पहले ही अपनी सियासी बिसात बिछा दी थी। अब कांग्रेस का पूरा जोर इस बात पर है कि किस तरह से चुनाव में अपनी जड़ें मजबूत की जाएं।
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि दिल्ली की सबसे हॉट सीट में से एक है नई दिल्ली। यहां से अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को उतार दिया है। दूसरी सबसे VIP सीट पटपड़ गंज थी, जो मनीष सिसोदिया की सीट रही। वहां से दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल चौधरी को उतार दिया।
मनीष सिसोदिया अब जंगपुरा से लड़ रहे हैं तो दिग्गज नेता फरहाद सूरी को उनके खिलाफ उतार दिया। कालकाजी से सीएम आतिशी विधायक हैं, उनके खिलाफ अलका लांबा को उतार दिया है। अलका लांबा दिल्ली कांग्रेस की चर्चित नेताओं में से एक हैं।
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बल्लीमारान में इमरान हुसैन के खिलाफ हारून यूसुफ को उतार दिया है। बादली से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव हैं। उत्तम नगर से मुकेश शर्मा, कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त और मालवीय नगर से जितेंद्र कोचर जैसे अनुभवी नेताओं को कांग्रेस ने उतारा है। अब इन सीटों पर मुकाबला टक्कर का हो सकता है।
किन वादों के सहारे है कांग्रेस?
दिल्ली में करीब 71 लाख महिला वोटर हैं। कांग्रेस ने महिलाओं को लुभाने के लिए 'प्यारी दीदी योजना' का ऐलान किया है। इस योजना के तहत महिलाओं को 2500 रुपये प्रतिमाह देने का ऐलान किया है। कांग्रेस ने दिल्ली के आम लोगों के लिए एक ऐसा वादा किया है जो किसी पार्टी ने नहीं की। कांग्रेस ने लोगों के लिए 25 लाख का स्वास्थ्य बीमा देने का वादा किया है। बुजुर्ग वोटरों को लुभाने के लिए कांग्रेस के इस दांव की तारीफ हो रही है।
कांग्रेस ने रोजगार और कौशल विकास को भी बढ़ावा देने पर जोर दिया है। कांग्रेस ने बेरोजगार युवाओं के लिए एक साल के अप्रेंटिसशिप कार्यक्रम के तहत 8,500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया है। कांग्रेस ने बेरोजगारी के मुद्दे को लोकसभा चुनावों के दौरान भी उठाया था, जिसकी वजह से अच्छे नतीजे भी दिखे थे।
राहुल गांधी की भूमिका क्या है?
राहुल गांधी हाल के दिनों में जातिगत जनगणना की मांग प्रमुखता से करते आए हैं। उन्होंने कहा है कि संख्या के आधार पर रोजगार में हिस्सेदारी होनी चाहिए। अब उन्होंने दिल्ली के दलित और अल्पसंख्यक बाहुल सीटों से चुनाव प्रचार करने की ठान ली है। राहुल गांधी का जोर दलित और अल्पसंख्यक तबके को साधना है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने उम्मीदवारों को निर्देश दिया है कि बड़े चेहरों पर भरोसा करने की जगह वे घर-घर जाकर कैंपेनिंग करें, जिससे मतदाताओं में भरोसा हो। कांग्रेस 2015 से ही दिल्ली की सत्ता से बाहर है। अब कोशिश यह है कि खोया जनाधार एक बार फिर वापस पाया जा सके।