संजय सिंह, पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का महिला वोटरों पर मजबूत पकड़ है। जबसे वे सरकार में हैं एक दर्जन से ज्यादा महिला कल्याण की योजनाओं को लागू कर चुके हैं। जीविका दीदी, आशा और आंगनबाड़ी से जुड़ी महिलाएं सरकार की खास मुरीद हैं। चुनावी वर्ष में इनके कल्याण की कुछ न कुछ घोषणाएं लगातार की जाती रही हैं।
कांग्रेस भी महिलाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तरह तरह की घोषणाएं कर रही है। पार्टी ने इसके लिए कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी को मैदान में उतारने का मन बनाया है। कांग्रेस प्रियंका गांधी को इसलिए चुनाव मैदान में उतारना चाहती है कि मुख्यमंत्री के महिला वोट बैंक में सेंधमारी हो सके।
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क्यों प्रियंका गांधी को आगे कर रहा महागठबंधन?
महागठबंधन में प्रियंका गांधी के अलावा महिला नेता का कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है जो महिला वोटरों को अपनी ओर खींच सके। इस कारण उनके कार्यक्रम को अंतिम रूप देने की तैयारी की जा रही है। यह बात दीगर है कि मुख्यमंत्री फेस घोषित नहीं होने के कारण तेजस्वी यादव अपना प्रचार अभियान अलग चला रहे हैं। महिलाओं के लिए पंचायतों में 50 प्रतिशत और सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रमुख मुद्दा है।
महिला वोटर जरूरी क्यों?
आंकड़े बताते हैं कि मतदान के मुकाबले में महिलाएं पुरुषों से आगे रहती हैं। 2020 के चुनाव में 243 सीटों पर वोट डाले गए। इनमें से 167 सीटों पर महिला मतदाताओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा वोट डाले। चुनाव में पुरुषों का वोट प्रतिशत 54 था, जबकि महिलाओं का प्रतिशत 60 था।
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पुरुष वोटरों पर भारी पड़ती हैं महिलाएं
साल 2015 के चुनाव में भी 200 सीट पर महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक वोट डाले। यही कारण है कि राजनीति करने वाले हर दल के घोषणा पत्र के केंद्र में महिलाएं ही रहती है। महिलाओं को ध्यान में रखकर ही चुनावी रणनीति का खाका तैयार किया जाता है।
महिलाओं के लिए क्या कर रही है कांग्रेस?
बहरहाल कांग्रेस अपने माई बहन मान योजना का प्रचार ग्रामीण क्षेत्रों में कर रही है। इसके लिए घर घर जाकर फार्म भरवाए जा रहे हैं। इस योजना में यह कहा गया है कि महिलाओं के खाते में हर महीने 2500 रुपये आएगा। इसके अतिरिक्त पार्टी महिलाओं को केंद्र में रखकर कई दूसरी चुनावी वादों को लागू करने पर विचार कर रही है।