दरभंगा विधानसभा सीट जिले की महत्वपूर्ण सीट है। यह क्षेत्र मिथिलांचल का हृदय माना जाता है। इसके अलावा दरभंगा, मिथिलांचल का सबसे बड़ा और बिहार का पांचवां बड़ा शहर है। यह बिहार के प्रचीन शहरों में से एक है, पुराने समय में दरभंगा रियासत थी। इस पूरे इलाके में मैथिली भाषा बोली जाती है। यहां संगीत, लोक कला और साहित्यिक को पुराने समय से ही महत्ता दी जाती है। ललित नारायण विश्वविद्यालय यहीं है। इसके अलावा शहर में पढ़ाई लिखाई का बेहतर माहौल है। महात्मा गांधी कॉलेज, दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजनियरिंग, मिल्लत कॉलेज जैसे बड़े कॉलेज हैं। वर्तमान में दरभंगा उत्तर बिहार का एक प्रमुख चिकित्सा और शैक्षिक केंद्र भी है।
इलाके का सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशन दरभंगा है, जहां से देश के लगभग हर बड़े शहर के लिए ट्रेनें मिलती हैं। दरभंगा धार्मिक लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है। यहां राम जानकी मंदिर, मिथिला जगन्नाथ मंदिर, श्यामा माई मंदिर, अकमीघाट मस्जिद जैसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं।
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सामाजिक समीकरण
दरभंगा विधानसभा सीट का क्षेत्र शहरी है। बिजनस और नौकरी यहां की रीढ़ मानी जाती है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की ज्यादातर आबादी शहरी है। विधानसभा क्षेत्र में 12.34 फीसदी अनुसूचित जाति, 6.1 फीसदी झा और 23.3 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। कुल मतदाताओं में 76.76 फीसदी शहरी और 23.24 फीसदी ग्रामीण मतदाता शामिल हैं।
2020 में क्या हुआ था?
दरभंगा विधानसभा सीट पर 2020 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जीत दर्ज की थी। इस सीट पर 2005 से ही बीजेपी का कब्जा है। संजय सरावगी यहां से लगातार पांच बार से बीजेपी के विधायक हैं। 2020 के चुनाव में संजय सरावगी ने आरजेडी के अमरनाथ गामी को 10,639 वोटों से हराया था। संजय सरावगी ने 49.32 फीसदी वोट पाते हुए 84,144 वोट हासिल किया था, जबकि अमरनाथ गामी को 73,505 वोट मिले थे। निर्दलियों और अन्य दलों को यहां सीमित वोट ही मिले थे।
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विधायक का परिचय
मौजूदा विधायक संजय सरावगी दरभंगा से लगातार पांच बार से विधायक हैं। वह यहां से सबसे पहले 2005 बीजेपी के टिकट पर विधायक बने थे। इसके बाद उन्होंने अभी तक हार का मुंह नहीं देखा है। 56 साल के संजय सरावगी मिथिलांचल और दरभंगा के पुराने और दिग्गज नेता माने जाते हैं।
संजय सरावगी की पढ़ाई की बात करें तो उनके पास एमबीए की डिग्री है। उन्होंने ललित नारायण यूनिवर्सिटी, दरभंगा से साल 1991 में एमबीए की परीक्षा पास की थी। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन और समाजिक कार्य है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है।
विधानसभा सीट का इतिहास
दरभंगा विधानसभा 1952 में अस्तित्व में आई थी। विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद, यहां 15 चुनाव हुए हैं। शुरुआत में यहां कांग्रेस का दबदबा था और पार्टी ने छह चुनाव जीते लेकिन धीरे-धीरे यह बीजेपी का मजबूत गढ़ बन गई। इस सीट की संख्या 41 है। मगर, यहां आरजेडी हमेशा से बीजेपी को टक्कर देती रही है, जिसको देखते हुए विपक्षी दलों को बीजेपी हल्के में नहीं ले सकती।
1952- सईदुल हक (कांग्रेस)
1967- आरपी सिन्हा (कांग्रेस)
1969- राम विलास जालान (सीपीआई)
1972- सुरेंद्र झा सुमन (जनसंघ)
1977- शिवनाथ वर्मा (जनता पार्टी)
1980- अब्दुल समी नदवी (कांग्रेस)
1985- अशफाक अंसारी (कांग्रेस)
1990- कमलेश्वर पुर्वे (जनता दल)
1995- शिवनाथ वर्मा (बीजेपी)
2000- सुल्तान अहमद (आरजेडी)
2005- संजय सरावगी (बीजेपी)
2005- संजय सरावगी (बीजेपी)
2010- संजय सरावगी (बीजेपी)
2015- संजय सरावगी (बीजेपी)
2020- संजय सरावगी (बीजेपी)