दिल्ली में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस बीच महरौली सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक नरेश यादव ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। नरेश यादव 2015 और 2020 में महरौली से चुनाव जीत चुके हैं। कुछ दिन पहले ही नरेश यादव को दो साल की सजा सुनाई गई थी। इसी मामले में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं ने सड़क पर उतरकर आम आदमी पार्टी और नरेश यादव के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था।
आम आदमी पार्टी ने तीसरी बार उन्हें महरौली से टिकट दिया था लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक कोर्ट उन्हें बाइज्जत बरी नहीं कर देती, तब तक वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। नरेश यादव के इनकार करने के बाद अब महरौली से पार्टी ने महेंद्र चौधरी को मैदान में उतारा है।
नरेश यादव ने X पर पोस्ट कर चुनाव न लड़ने की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, '12 साल पहले अरविंद केजरीवाल की ईमानदारी की राजनीति से प्रेरित होकर आम आदमी पार्टी में आया था। पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है। आज अरविंद केजरीवाल से मिलकर मैंने उन्हें बताया कि जब तक कोर्ट से मैं बाइज्जत बरी नहीं हो जाता, तब तक चुनाव नहीं लड़ूंगा.' यादव ने खुद को निर्दोष बताया है और कहा कि उनपर लगाए गए इल्जाम राजनीति से प्रेरित हैं।
क्या वजह बताई है?
हाल ही में नरेश यादव को कुरान की बेअदबी से जुड़े एक मामले में पंजाब की एक कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है। यह मामला 2016 का था। तब कुछ लोगों ने कुरान के पन्ने फाड़कर मुस्लिम इलाकों में फेंक दिए थे। इसके बाद काफी तनाव बढ़ गया था। गुस्साई भीड़ ने स्थानीय अकाली दल के विधायक के घर पर तोड़फोड़ भी की थी। इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों में से एक विजय ने नरेश यादव का नाम लिया था। विजय ने आरोप लगाया था कि नरेश यादव के कहने पर ही उसने कुरान के पन्ने फाड़कर मुस्लिम इलाकों में फेंके थे।
इस मामले में मार्च 2021 में नरेश यादव को कोर्ट ने बरी कर दिया था लेकिन इस फैसले के खिलाफ अपील की गई। इसी महीने पंजाब की मलेरकोटला कोर्ट ने नरेश यादव को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। उन पर 11 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।
नियमों के मुताबिक, दो साल या उससे ज्यादा की सजा होने पर विधायकी छिन सकती है और चुनाव लड़ने पर भी रोक लग सकती है। ऐसे में AAP को डर है कि अगर नरेश यादव की सजा पर रोक नहीं लगी और वह चुनाव जीत भी गए तो उनकी विधायकी चली जाएगी। ऐसे ही मामले में राहुल गांधी की संसद सदस्यता छिन गई थी लेकिन सजा पर रोक लग जाने के बाद उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई है।