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लोकसभा में BJP, असेंबली में AAP, दिल्ली के ये वोटर करते हैं असली फैसला

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए 5 फरवरी को वोटिंग होगी। ऐसे में स्विंग वोटर्स दिल्ली चुनाव में कितना मायने रखते हैं? आइये समझें

Delhi Assembly Election 2025 swing voters

दिल्ली चुनाव 2025, Photo Credit: PTI

दिल्ली में विधानसभा चुनाव आने में 1 महीने से भी कम समय बचा हुआ है। इसी कड़ी में दिल्ली में मतदान पैटर्न का अक्सर जिक्र किया जाता है जो कि काफी अलग-अलग है। यह मतदाता लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बिल्कुल अलग-अलग तरीके से व्यवहार करते हैं।

 

दरअसल, दिल्ली में करीब 10 प्रतिशत से अधिक मतदाता स्विंग वोटर हैं, जो लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस का (15-15 प्रतिशत) समर्थन करते हैं। तो वहीं, विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के पक्ष में हो जाते हैं। 

 

2019 के चुनावी आंकड़ों से समझिए

बात करें 2019 के लोकसभा चुनावों की तो भाजपा को 56.8 प्रतिशत, आम आदमी पार्टी को 18.1 प्रतिशत और कांग्रेस को 22.5 प्रतिशत वोट स्विग वोटर्स से प्राप्त हुए थे। 9 महीने बाद जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए तो स्विंग वोटर्स ने पलटी मारते हुए आम आदमी पार्टी को 53 प्रतिशत वोट देकर समर्थन किया जबकि भाजपा को महज 38.7 प्रतिशत वोट ही हासिल हुए। इसके अलावा कांग्रेस को केवल 4.3 प्रतिशत में ही संतुष्ट होना पड़ा। 

 

पीएम मोदी का चेहरा, अरविंद की मुफ्त योजनाएं

लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा और उनकी विकास योजनाओं ने आम जनता को आकर्षित किया तो वहीं विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल की फ्री बिजली, पानी, फ्री मोहल्ला क्लिनिक और शिक्षा योजनाओं ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इससे यह साबित होता है कि वोटर्स चुनावी मुद्दों के आधार पर अपना पाला बदलती रहती हैं। 

 

कौन होते है स्विंग वोटर्स?

रिपोर्ट के अनुसार, स्विंग वोटर्स के अंदर गरीब तबके, निचले सामाजिक- आर्थिक वर्ग, अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग शामिल हैं। एक तरफ ये वोटर्स पीएम मोदी के विकास परियोजनाओं पर भरोसा जताती हैं तो वहीं विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के मुफ्त योजनाओं से खुश हो जाती हैं।

 

यह कहना गलत नहीं होगा कि स्विंग वोटर्स इस चुनाव में बहुत मायने रखते हैं। समझिए तो इनके पास सत्ता की चाबी होती हैं जिसे जब चाहे अपने तरीके से घुमाते है। ये वोटर्स राष्टीय और स्थानीय मुद्दों का अलग-अलग आकलन करते हैं और उसके हिसाब से अपना नेता चुनते हैं। लोकसभा में राष्ट्रीय विकास पर फोकस रहता है तो विधानसभा में स्थानीय जरुरतों और सेवाओं को महत्व दिया जाता है। 

आम आदमी पार्टी मारेगी बाजी

दिल्ली के विधानसभा चुनावों में ये पैटर्न देखने को एक बार फिर मिल सकता है। भाजपा भले ही लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है लेकिन जब बारी विधानसभा चुनाव की आती है तो 2025 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर आम आदमी पार्टी बाजी मार सकती है। 

 

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