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BJP नहीं कांग्रेस से है AAP को असली डर, समझिए वजह

कांग्रेस का वोट शेयर जितना बढ़ेगा, आम आदमी पार्टी की मुश्किलें उतनी बढ़ेंगी। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का वोट बैंक एक है। अगर इस चुनाव में कांग्रेस ज्यादा वोट हासिल करती है तो मुनाफा बीजेपी को हो सकता है।

अवध ओझा और अरविंद केजरीवाल। (Photo Credit: PTI)

Awadh Ojha and Arvind Kejriwal

दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जरा भी कम खतरा कांग्रेस (Congress) से महसूस नहीं हो रहा है। AAP नेताओं की नजर कांग्रेस के वोट शेयर पर है। पहले के चुनावी जनसभाओं में कांग्रेस पार्टी का वजूद दिल्ली से मिटने का दावा करने वाले AAP नेताओं को अब कांग्रेस से डर लग रहा है।

AAP नेताओं का कहना है कि दिल्ली में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन में चुनाव लड़ रही हैं। बीते साल हुए लोकसभा चुनावों में जिस कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तगड़ा गठबंधन था, वही AAP अब कांग्रेस को बीजेपी की सहयोगी पार्टी बता रही है।

कांग्रेस की 10 सीटों पर AAP की नजर
दिल्ली विधानसभा की 10 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जिन पर AAP की नजर कांग्रेस की सीटों पर है। दिल्ली में कांग्रेस को अस्तित्वहीन कहने वाली AAP अब कांग्रेस को खतरा बता रही है। कांग्रेस की कैंपनिंग और तरीकों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां कांटे की टक्कर है।

किन सीटों पर कांग्रेस-AAP की सीधी जंग?
चांदनी चौक, ओखला और बादली जैसी सीटों पर तो AAP और कांग्रेस के बीच कड़े मुकाबले के आसार हैं। कांग्रेस ने ओखला विधानसभा सीट से पूर्व विधायक अहमद खान की बेटी अरीबा खान को उतारा है। यहां से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अमानतुल्लाह खान हैं। वह इस सीट से मौजूदा विधायक भी हैं।

कांग्रेस के दिग्गज नेता जेपी अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल चांदनी चौक से चुनावी मैदान में हैं। उनके सामने आम आदमी पार्टी के पुनरदीप सिंह साहनी हैं। वह मौजूदा विधायक प्रहलाद सिंह साहनी के बेटे हैं।

बादली सीट पर भी मुकाबला दिलचस्प है। यहां से दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव चुनावी मैदान में हैं। उनके खिलाफ आम आदमी पार्टी के अजेश यादव हैं। अजेश यादव भी विधायक हैं। 

दिल्ली में कांग्रेस भी मुफ्त की योजनाओं का ऐलान कर रही है। (Photo Credit: PTI)

AAP की चिंता क्या है?
AAP के नेता भी मानते हैं कि दिल्ली में सत्ता विरोधी लहर का असर हो सकता है। दिल्ली में बीजेपी 27 साल से सत्ता से बाहर है, वहीं सारी की सारी लोकसभा सीटें साल 2014 से ही बीजेपी को मिलती आई हैं। ऐसे में अगर कांग्रेस दिल्ली में मजबूत होती है तो इसका फायदा बीजेपी को होना तय है। बीजेपी का वोट शेयर जस का तस है, अगर आम आदमी पार्टी का वोट, कांग्रेस को गया तो बीजेपी के लिए फायदा हो सकता है। कांग्रेस का बढ़ता वोट शेयर ही बीजेपी के लिए मददगार हो सकता है।
 

कैसे घटता-बढ़ता रहा है AAP, BJP और कांग्रेस का वोट शेयर?

साल 2013 में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 25 प्रतिशत था। साल 2013 में कांग्रेस का वोट शेयर 29 प्रतिशत, बीजेपी का 33 प्रतिशत था। साल 2015 में कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 10 प्रतिशत तक पहुंच गया। आम आदमी पार्टी 54 प्रतिशत सीटों पर काबिज हुई और बीजेपी का वोट शेयर 32 फीसदी पर पहुंच गया। 

अवध ओझा और अरविंद केजरीवाल। (Photo Credit: PTI)

अब AAP के लिए खतरा क्या है?

साल 2020 में कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 4 प्रतिशत तक पहुंच गया। बीजेपी 39 प्रतिशत वोट और आम आदमी पार्टी के पास 54 प्रतिशत सीटें आईं। अब अगर कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ने लगे तो AAP के लिए यह खतरा है। आम आदमी पार्टी से जुड़े नेताओं का दावा है कि साल 2017 के MCD चुनावों के नतीजों से महज 2 साल पहले आम आदमी पार्टी को 54 प्रतिशत वोटों के साथ प्रंचड बहुमत मिली थी।

कांग्रेस का वोट शेयर 10 प्रतिशत घट गया था। कांग्रेस ने निकाय चुनाव लड़ा। आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 26 प्रतिशत तक घट गया। कांग्रेस का वोट शेयर 21 प्रतिशत तक बढ़ गया। बीजेपी का वोट शेयर 4 प्रतिशत बढ़ा और जीत भी मिल गई।

आम आदमी पार्टी के के नेताओं का भी कहना है कि उनके लिए यह चुनाव अब पहले की तरह आसान नहीं है। कांग्रेस ने भी मजबूती से दमखम दिखाया है, वहीं बीजेपी की कैंपनिंग भी आक्रामक हो गई है। AAP नेताओं का दावा है कि बहुत आराम से AAP 70 विधानसभा सीटों में से 50 सीटें जीत सकती है। अगर इससे कम सीटें आईं तो AAP के लिए यह खतरे की घंटी होगी। 

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