गायघाट विधानसभा: क्या RJD के लिए मुश्किल बनेगी एंटी इन्कंबेंसी?
गायघाट में मौजूदा आरजेडी विधायक के लिए इस बार मुश्किलें हो सकती हैं क्योंकि कुछ दिन पहले उनके खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगे थे।

बिहार में विधानसभा सीटों की गिनती जब शुरू होती है तो गायघाट का नाम भी प्रमुखता से आता है। मुज़फ़्फ़रपुर जिले की यह सीट गंडक और बागमती नदियों के किनारे बसे ग्रामीण इलाकों को समेटे हुए है। बाढ़ और कटाव इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या रही है। यहां की आबादी का बड़ा हिस्सा खेती पर निर्भर है, लेकिन बाढ़ के कारण हर साल फसलें चौपट हो जाती हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के ढांचे को लेकर यहां लंबे समय से मांग उठती रही है। गायघाट का इलाका धार्मिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण माना जाता है और आसपास के कई प्राचीन मंदिर इस क्षेत्र की पहचान हैं।
2008 में परिसीमन और गायघाट सीट
गायघाट विधानसभा सीट पहले भी मौजूद थी, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इसके क्षेत्रीय नक्शे में बदलाव हुआ। यहां की अधिकांश आबादी ग्रामीण है और अनुसूचित जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, इस विधानसभा क्षेत्र की लगभग 25% आबादी अनुसूचित जाति की है। इसके अलावा यादव, कुर्मी और मुस्लिम मतदाता भी चुनावी समीकरण को प्रभावित करते हैं।
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मौजूदा समीकरण?
यहां के वर्तमान विधायक निरंजन राय हैं, जो राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। उन्होंने 2020 के चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी महेश्वर प्रसाद यादव को लगभग 7,500 वोटों से हराया था। यह सीट लंबे समय से आरजेडी, जेडीयू व बीजेपी के बीच सीधे मुकाबले की गवाह रही है। 2010 में यह सीट बीजेपी के पास गई थी जब वीणा देवी ने जीत दर्ज की थी, जबकि 2015 में आरजेडी के महेश्वर प्रसाद यादव ने बीजेपी प्रत्याशी को शिकस्त दी थी। इसके बाद 2020 में एक बार फिर आरजेडी ने यहां बढ़त हासिल की और अपनी पकड़ मजबूत की।
गायघाट का राजनीतिक समीकरण अक्सर पलटता रहा है। आरजेडी और जेडीयू का यहां का सीधा संघर्ष 2020 में दिखा, जबकि उससे पहले बीजेपी भी इस सीट पर मजबूत दावेदारी रख चुकी है। इस वजह से यह क्षेत्र लगातार सत्ता परिवर्तन की राजनीति का केंद्र रहा है। हाल ही में यहां एक कार्यक्रम के दौरान ‘आरजेडी मुर्दाबाद’ के नारे लगे थे, जिससे साफ संकेत मिलता है कि स्थानीय स्तर पर नाराज़गी और असंतोष भी पनप रहा है।
2020 में क्या हुआ था?
गायघाट विधानसभा सीट पर 2020 का चुनाव बेहद दिलचस्प रहा। इस सीट पर मुख्य मुकाबला आरजेडी और जेडीयू के बीच हुआ। आरजेडी ने यहां से निरंजन राय को उम्मीदवार बनाया, जबकि जेडीयू ने पूर्व विधायक महेश्वर प्रसाद यादव को मैदान में उतारा।
चुनाव परिणाम में निरंजन राय (आरजेडी) ने 59,778 वोट पाकर जीत हासिल की, जबकि जेडीयू के महेश्वर प्रसाद यादव को 52,212 वोट मिले। इस तरह आरजेडी प्रत्याशी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 7,566 वोटों से पराजित किया।
गायघाट की स्थिति 2020 में यह बताती है कि मतदाताओं ने यहां जेडीयू की बजाय आरजेडी पर भरोसा जताया। दिलचस्प बात यह है कि 2015 में यही महेश्वर प्रसाद यादव आरजेडी के टिकट पर जीते थे, लेकिन 2020 में वे जेडीयू से उम्मीदवार बने और हार गए। इससे यह भी साफ़ दिखता है कि गायघाट के वोटरों ने दल-बदल को स्वीकार नहीं किया और आरजेडी के नए चेहरे निरंजन राय को मौका दिया।
विधायक का परिचय
निरंजन राय ने वर्ष 1989 में समस्तीपुर कॉलेज, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। पेशे से वह किसान हैं और सामाजिक सेवा से भी जुड़े हैं। उन्होंने 2020 में गायघाट विधानसभा सीट से RJD की ओर से जीत हासिल की।
उनके पास कुल चल और अचल मिलाकर लगभग ₹2.55 करोड़ की संपत्ति है, जबकि देनदारियां लगभग ₹75.6 लाख हैं। 2019–2020 में आयकर रिटर्न में उनकी वार्षिक आय लगभग ₹9.12 लाख थी, जबकि उनकी पत्नी की आय ₹4.18 लाख के आसपास दर्ज हुई थी।
आपराधिक पृष्ठभूमि की बात करें तो उनके ऊपर कुल 5 मामले दर्ज हैं। इनमें से एक विशेष उल्लेखनीय मामला नकली पान मसाला बेचने से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने अपने भाई के साथ कोर्ट में सरेंडर किया था; लेकिन जमानत पर रिहा कर दिए गए थे और आगे की सुनवाई के लिए अदालत में उपस्थित होने का निर्देश मिला था।
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विधानसभा का इतिहास
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1967 – नितीश्वर प्रसाद सिंह – कांग्रेस
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1977 – विनोदानन्द सिंह – जनता पार्टी
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1980 – जीतेन्द्र प्रसाद सिंह – कांग्रेस (I)
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1985 – वीरेन्द्र कुमार सिंह – कांग्रेस
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1990 – महेश्वर प्रसाद यादव – जनता दल
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2000 – वीरेन्द्र कुमार सिंह – समता पार्टी
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फरवरी 2005 – महेश्वर प्रसाद यादव – आरजेडी
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अक्टूबर 2005 – महेश्वर प्रसाद यादव – आरजेडी
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2010 – वीणा देवी – बीजेपी
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2015 – महेश्वर प्रसाद यादव – आरजेडी (महागठबंधन)
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2020 – निरंजन राय – आरजेडी
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