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हेमंत सोरेन ने 4 बार हासिल की CM की कुर्सी, आखिर कैसे? पढ़ें

हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के तौर एक बार फिर शपथ ली है। उनके शपथ ग्रहण समारोह में कई दिग्गज राजनेता पहुंचे।

Hemant Soren

झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन। (तस्वीर- फेसबुक, हेमंत सोरेन)

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक बार फिर झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए हैं। रांची के होरहाबादी मैदान में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार की मौजूदगी में उन्होंने शपथ ली है। वे राज्य के 14वें मुख्यमंत्री बन गए हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की राज्य में सरकार बन गई है। उनके मंत्रिमंडल का विस्तार अभी तक नहीं हुई है।

कांग्रेस महासचिव और झारखंड के प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने पहले भी बताया था कि हेमंत सोरेन अकेले शपथ ग्रहण करेंगे। हेमंत सोरेन, विधानसभा में विश्वास मत के बाद अपने मंत्रिमंडल के विस्तार करेंगे। इंडिया ब्लॉक के कई दिग्गज नेता इस शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।

शपथ ग्रहण में आने वाले VIP नेताओं की लिस्ट- 
- कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी
- एनसीपी (SP) चीफ शरद पवार
- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
- मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा
- पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान
- हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू
- सीपीआई (एमएल) महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य
- दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल
- शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे
- समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव
- पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती
- तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन
- कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार
- बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव

कैसा दिख रहा है रांची शहर?
शपथ ग्रहण से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह पोस्टर लगाए हैं। जगह-जगह पुलिस बैरिकेडिंग की गई है और पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। मुख्यमंत्री के तौर पर हेमंत सोरेन का यह चौथा कार्यकाल है।  

प्रचंड बहुमत से सरकार में आए हेमंत
हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल की है। इंडिया गठबंधन के पास कुल 56 सीटें हैं, वहीं विपक्षी एनडीए गठबंधन के पास सिर्फ 24 सीटें हैं। 

क्यों दोबारा मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन 
- लोगों ने आदिवासियों की घटती जनसंख्या, घुसपैठिया, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण, रोटी-बेटी-माटी पर संकट और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को नकार दिया। स्थानीय चेहरे पर भरोसे जताया।
- बटेंगे तो कटेंगे नारे से झारखंड की जनता को एनडीए प्रभावित नहीं कर सका।
- आदिवासी और मुस्लिम वोटरों के सहारे हेमंत सोरेन ने सरकार में वापसी कर ली। 
- मइयां सम्मान योजना ने असर किया। 
- 1.7 लाख किसानों का कर्ज माफ किया गया। जनता ने जेएमएम की सरकार पर मुहर लगाई।
- हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी भी भारी पड़ी, सहानुभूति काम आई।
- बीजेपी के पास मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं था। 

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