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AAP के 7 विधायकों का इस्तीफा, 4 ने खाईं वफादारी की कसमें, समझें खेल

आम आदमी पार्टी के 4 विधायकों ने कहा है कि वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे, उन्हें प्रलोभन मिलने लेकिन वे पार्टी छोड़कर नहीं जाएंगे। आम आदमी पार्टी, उनकी पार्टी है, अंतिम सांस तक इसी पार्टी में रहेंगे।

Arvind Kejriwal

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल। (Photo Credit: PTI)

दिल्ली में जिन नेताओं के सहारे आम आदमी पार्टी ने अपनी सियासी जमीन तैयार की थी, उनमें से कई नेताओं को टिकट नहीं मिला। कुछ नेताओं ने नाराजगी जाहिर की तो कुछ नेता अरविंद केजरीवाल के सिपाही बने रहे। कुछ विधायकों ने साफ-साफ कह दिया कि वे अरविंद केजरीवाल के सिपाही हैं, कहीं नहीं जाएंगे। 

आम आदमी पार्टी के कुछ विधायकों ने नाराज होकर पार्टी ही छोड़ दी। दूसरी पार्टी में शामिल हो गए। वजह यह थी कि इन नेताओं को दिल्ली विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला था। इन नेताओं का दर्द यह था कि आम आदमी पार्टी को उन्होंने अपना सबकुछ दिया लेकिन पार्टी ने उनका टिकट ही काट दिया। 

किन विधायकों ने छोड़ दिया AAP?
इस्तीफा देने वाले नेताओं में कई नेता ऐसे हैं जिनके सहारे आम आदमी पार्टी सत्ता में आई थी। कई विधायक 10 साल से लगातार चुने गए हैं। जनकपुरी के विधायक राजेश ऋषि को टिकट नहीं मिला। उनकी जगह प्रवीण कुमार को टिकट दिया गया। कस्तूरबा नगर के विधायक मदन लाल का टिकट कटा तो उनकी जगह रमेश पहलवान को मौका मिल गया। महरौली के विधायक नरेश यादव की जगह महेंद्र यादव टिकट मिल गया। 

त्रिलोकपुरी के विधायक रोहित कुमार का टिकट काट दिया गया है। रोहित कुमार ने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह अंजना पारचा को आम आदमी पार्टी ने उतार दिया। पालम की विधायक भावना गौड़ भी इस्तीफा दिया है। भावना गौड़ की जगह जोगिंदर सोलंकी को उतारा गया। नाराज होकर भावना ने भी पार्टी छोड़ दी। 

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बिजवासन से विधायक भूपेंद्र सिंह जून का टिकट गया। उनकी जगह सुरेंद्र भरद्वाज को मौका मिला। वह इस बात से बेहद नाराज थे कि उन्हें तीसरी बार मौका नहीं दिया गया। सभी विधायकों ने आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी हुई थी लेकिन इस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ही भ्रष्टाचार में डूब गया है।

कौन हैं अरविंद केजरीवाल के वफादार?

गुलाब सिंह यादव
गुलाब सिंह यादव मटियाला विधानसभा से विधायक हैं। इस बार आम आदमी पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। उनकी जगह सुमेश शौकीन को उतारा गया है। गुलाब सिंह यादव टिकट कटने से नाराज नहीं हैं। वह खुद को अरविंद केजरीवाल का सिपाही बता रहे हैं। उन्होंने इशारा किया है कि दूसरी पार्टियों की ओर से उन्हें ऑफर मिल रहा है लेकिन वह अरविंद केजरीवाल के सिपाही हैं, इसलिए आम आदमी पार्टी में ही बने रहेंगे। 

गुलाब सिंह यादव ने दल-बदल की अटकलों के बीच X पर पोस्ट किया, 'कुछ लोग पूछ रहे हैं आप का क्या विचार है? मैं बता देना चाहता हूं मैं अरविंद केजरीवाल का सिपाही था, हूं और रहूंगा,आ गया समझ में दोस्तो। जय हिन्द। आम आदमीं पार्टी जिंदाबाद।'

ऋतुराज झा
ऋतुराज झा किराड़ी से विधायक हैं। उन्हें आम आदमी पार्टी ने चुनावी मैदान में नहीं उतारा। उनकी जगह आम आदमी पार्टी ने अनिल झा को टिकट दिया है। ऋतुराज झा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी उन्हें अप्रोच करने की कोशिश कर रही है लेकिन वह अपनी पार्टी के साथ खड़े हैं। ऋतुराज झा ने कहा, 'पिछले कुछ हफ़्ते से BJP मुझे लालच दे रही थी लेकिन हर व्यक्ति बिकाऊ नहीं होता। अरविंद केजरीवाल जी ने मुझे दो बार विधायक बनाया। जो साथी BJP के इशारे पर हरकतें कर रहे हैं, उन्हें इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। मैं मरते दम तक केजरीवाल जी का साथ नहीं छोडूंगा।'

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दिलीप पांडेय 
दिलीप पांडेय तिमारपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। वह विधानसभा में पार्टी के चीफ व्हिप भी रहे। उनका भी टिकट कटा। उन्होंने खुद कहा कि वह इस बार चुनाव में नहीं उतर रहे हैं। ऐसी अटकलें लगीं कि वह किसी दूसरी पार्टी में जा सकते हैं। दिलीप पांडेय ने खुद आकर सफाई पेश की कि वह पार्टी नहीं बदल रहे हैं। दिलीप पांडेय की जगह तिमारपुर विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी ने सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू को टिकट दिया है। 



अपनी सफाई में दिलीप पांडेय ने कहा, 'मुझे बहुत सारी पार्टी के प्रलोभन आए लेकिन मैं अरविंद केजरीवाल के दिशा-निर्देश पर दिल्ली और देश की सेवा करता रहूंगा। जब पार्टी बनाकर दिल्ली और देश के लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने का प्रण लिया था तो पार्टी से अलग होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। ये पार्टी देश और दिल्ली की सेवा करने का जरिया है।'

प्रवीण कुमार
प्रवीण कुमार जंगपुरा से विधायक हैं। उनका टिकट कटा और जंगपुरा से उनकी जगह आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता मनीष सिसोदिया को उतार दिया। खबरें आईं कि वह पार्टी के इस फैसले से नाराज हैं। प्रवीण कुमार ने खुद कहा कि उन्हें बार-बार दूसरी पार्टियां ऑफर दे रही हैं। प्रवीण कुमार ने कहा, 'हम आम आदमी पार्टी के वो दिवाने हैं, जो सिर कटा सकते हैं लेकिन किसी और पार्टी में नहीं जा सकते हैं। ये हमारी पार्टी है, इसे हमने बनाई है। जो लोग आम आदमी पार्टी छोड़कर गए हैं, उन्हें लोग जयचंद के तौर पर याद करेंगे। हम अरविंद केजरीवाल के कट्टर सिपाही हैं, गद्दारी नहीं करेंगे। बीजेपी मुझे पिछले कई दिनों से आम आदमी पार्टी छोड़कर BJP में आने का प्रलोभन दे रही है। मैं BJP से कहना चाहता हूं कि हम वो हैं, जो सिर कटा सकते हैं लेकिन अरविंद केजरीवाल जी और AAP के साथ कभी ग़द्दारी नहीं करेंगे।'

 



साथ रहने की मजबूरी क्या है?
अरविंद केजरीवाल के दिल्ली में उदय के बाद हर राजनीतिक पार्टी का विधानसभा चुनावों में अस्त ही हुआ है। साल 2013 से लेकर अब तक, बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां हाशिए पर पहुंच गईं। दिल्ली के नगर निगम चुनावों में भी आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन शानदार रहा। जिन नेताओं ने आम आदमी पार्टी नहीं छोड़ी है, उन्हें उम्मीद है कि आने वाले चुनावों में उन्हें मौका मिल सकता है। 

राज्यसभा में भी उन्हें मौका दिया जा सकता है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों में इन नेताओं की राजनीति फिट नहीं होती है। ऋतुराज झा से लेकर दिलीप पांडेय तक टीवी चैनलों पर आ रहे हैं, AAP के समर्थन भाषण दे रहे हैं। पार्टी की टॉप लीडरशिप के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। यही संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि वे पार्टी के साथ हैं।

संदेश क्या है?
बीजेपी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि आम आदमी पार्टी हार रही है, इसलिए उसके नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी, बीजेपी के इस नैरेटिव को गलत साबित करने के लिए अपने उन विधायकों से संपर्क कर रही है, उन्हें भरोसा दे रही है कि पार्टी उनका ख्याल रखेगी। प्रवीण कुमार से लेकर ऋतुराज झा तक को पार्टी टीवी चैनलों पर डिबेट के लिए भेज रही है। यही संदेश देने की कोशिश हो रही है कि पार्टी ने भूमिका बदली है, मौजूदा विधायकों की उपेक्षा नहीं की है।

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