भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय ने राजनीति में धीरे-धीरे अपनी जगह बनाना शुरू कर दिया है। नालसा फैसला 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों को कानूनी रूप से तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी। इसके बाद से उनके राजनीतिक अधिकारों का मार्ग प्रशस्त हुआ। ऐसा भी नहीं है कि इन अधिकारों के मिलने से उनके लिए सब कुछ बहुत आसान हो गया है। सामाजिक और भेदभाव के कारण ज्यादातर ट्रांसजेंडर लोग अभी भी मुख्यधारा की राजनीति से बाहर हैं। पार्टियां अभी भी इनको टिकट देने से बचती है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने गोपालगंज की भोरे सीट से ट्रांसजेंडर महिला प्रीति किन्नर को उम्मीदवार बनाया हैं। जानते हैं राजनीति में उनकी स्थिति कैसी है?
कुछ ट्रांसजेंडरों ने स्थानीय निकायों जैसे नगर निगम और राज्य चुनावों में सफलता मिली है। उदाहरण के लिए कुछ ट्रांसजेंडर मेयर या पार्षद बन चुके हैं। चुनाव लड़ने या राजनीतिक पद धारण करने के लिए उन्हें भी रुपये, समर्थन और सामाजिक स्वीकृति जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनकी सक्रिय भागीदारी अभी भी बहुत कम है। यह समुदाय अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है। इन परेशानियों के बावजूद भारत में कई ट्रांसजेंडर हैं जो चुनाव लड़े हैं और जीत हासिल किया हैं। साथ ही कई संवैधानिक पदों पर अपनी पहचान बना चुके हैं।
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वे जिन्होंने पद हासिल किया
1. शबनम मौसी बानो
विधायक, साल 2000 में मध्य प्रदेश के सोहागपुर विधानसभा से उपचुनाव में जीत हासिल की। यह भारत की पहली ट्रांसजेंडर विधायक बनीं।
2. आशा देवी
मेयर, साल 2001 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर निगम की मेयर चुनी गईं। यह मेयर पद जीतने वाली पहली ट्रांसजेंडर व्यक्ति थीं।
3. मधु बाई किन्नर
मेयर, साल 2015 में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ नगर निगम की मेयर चुनी गईं। मेयर का चुनाव जीतने वाली पहली ट्रांसजेंडर व्यक्ति थीं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के 'तीसरे लिंग' की आधिकारिक मान्यता मिलने के बाद चुना गया।
4. बॉबी किन्नर
पार्षद, साल 2022 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर दिल्ली नगर निगम (MCD) के सुल्तानपुरी-A वार्ड से जीतीं। वह दिल्ली MCD की पहली ट्रांसजेंडर पार्षद बनीं।
5. सोनू किन्नर
नगर पालिका परिषद अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में दीनदयाल नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष चुनी गईं।
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वे जो सफल नहीं हो पाई
1. काजल नायक
2019 के उड़ीसा विधानसभा चुनाव में कोरई सीट से बहुजन समाज पार्टी की उम्मीदवार। काजल चुनाव नहीं जीत पाई थी।
2. एम. राधा
2019 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण चेन्नई से निर्दलीय उम्मीदवार। चेन्नई के दक्षिण से चुनाव मैदान में उतरने वाली एकमात्र ट्रांसजेंडर उम्मीदवार थीं।
3. भवानी मां वाल्मीकि
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रयागराज लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार। वह चुनाव हार गई थी।
4. स्नेहा काले
2019 के लोकसभा चुनाव में मुंबई की उत्तर-मध्य लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार। वह मुंबई की किसी भी सीट से लोकसभा चुनाव में उतरने वाली पहली ट्रांसजेंडर उम्मीदवार हैं।
5. अश्विती राजप्पन
2019 के लोकसभा चुनाव में केरल की एर्णाकुलम लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार। केरल में ऐसा पहली बार था कि कोई ट्रांसजेंडर चुनावी मैदान में उतरा था।
शबनम मौसी भारत की एकमात्र ट्रांसजेंडर व्यक्ति हैं जो सीधे विधायक के संवैधानिक पद पर पहुंची हैं। ज्यूडिशरी, लोक सेवा आयोग या अन्य संवैधानिक पदों पर किन्नर समुदाय की भागीदारी अभी भी बहुत कम है। जॉयता मंडल को 2017 में पश्चिम बंगाल में लोक अदालत की पहली ट्रांसजेंडर जज के रूप में नियुक्त किया गया।