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क्या जेल में बंद व्यक्ति भी लड़ सकता है चुनाव? समझिए क्या है नियम

आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जेल से ही नामांकन दाखिल करेंगे। हाईकोर्ट से उन्हें जमानत नहीं मिली है। ताहिर हुसैन इस बार AIMIM के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

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दिल्ली दंगों के मामले में जेल में बंद आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को हाईकोर्ट से जमानत तो फिलहाल नहीं मिली है लेकिन उन्हें थोड़ी राहत जरूर मिल गई है। हाईकोर्ट ने ताहिर हुसैन को जेल से ही विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की इजाजत दे दी है। 

जेल में क्यों हैं ताहिर हुसैन?

ताहिर हुसैन पर आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या का आरोप है। 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों में अंकित शर्मा की हत्या हो गई थी। इसी मामले में ताहिर हुसैन जेल में बंद हैं। 


ताहिर हुसैन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत देने की मांग की थी। ताहिर हुसैन ने दिल्ली चुनाव में नामांकन दाखिल करने के लिए जमानत मांगी थी। हाईकोर्ट से ताहिर हुसैन को जमानत तो नहीं मिली लेकिन जेल से ही नामांकन दाखिल करने की अनुमति मिल गई है।


ताहिर हुसैन AIMIM की टिकट पर मुस्तफाबाद से चुनाव लड़ेंगे। उनके वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि पिछले साल लोकसभा चुनाव के लिए इंजीनियर राशिद को भी अंतरिम जमानत मिली थी। विधानसभा चुनाव के लिए भी राशिद को जमानत पर रिहा किया गया था। हालांकि, कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया। 

तो क्या जेल से चुनाव लड़ा जा सकता है?

हां। अगर कोई व्यक्ति जेल में है तो वो चुनाव लड़ सकता है। किसी भी व्यक्ति के चुनाव लड़ने पर तब तक रोक नहीं है, जब तक उसे किसी आपराधिक मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा नहीं मिली हो। 


पहले ऐसा नहीं था। इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने फैसला दिया था। पटना हाईकोर्ट ने जेल में बंद होने पर व्यक्ति के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि जब जेल में बंद व्यक्ति को वोट देने का अधिकार नहीं है, तो चुनाव कैसे लड़ने दिया जा सकता है। बाद में 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले पर मुहर लगा दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन किया था।


संशोधन के बाद जेल में बंद व्यक्ति को चुनाव लड़ने की अनुमति मिल गई थी। हालांकि, वोट डालने का अधिकार अभी भी नहीं मिला। जनप्रतिनिधि कानून में हुए इस संशोधन को पहले दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई थी। दिसंबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि एफआईआर दर्ज होने और जेल में बंद होने के आधार पर किसी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता। अगर किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया गया हो और सजा का ऐलान भी हो चुका हो, तो चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सकती है।

पर वोट देने का अधिकार नहीं

जेल में बंद व्यक्ति भले ही चुनाव लड़ सकता है लेकिन वोट नहीं दे सकता। जनप्रतिनिधि कानून के तहत, जेल या न्यायिक हिरासत में बंद व्यक्ति को वोट डालने का अधिकार नहीं है। इस कानून की धारा 62(5) के अनुसार, जेल में बंद कोई भी व्यक्ति वोट नहीं डाल सकता, फिर चाहे वो हिरासत में हो या सजा काट रहा हो।

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