झारखंड विधानसभा चुनाव कि मतगणना में झारखंड मुक्ति मोर्चा सबसे बड़े पार्टी के रूप में उभर कर आया है। ऐसा तब है जब झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री के लिए यह साल उतार-चढ़ाव से भरा रहा। यह सिलसिला तब शुरू होता है जब साल के शुरुआत में उन पर जमीन घोटाले का आरोप लगा और इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया और उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। झारखंड का यह चुनाव, उनके लिए आन का चुनाव था।
हेमंत सोरेन को 31 जनवरी 2024 को जमीन घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी अनुपस्थिति में पार्टी ने चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया गया, जिन्हें शिबू सोरेन का करीबी कहा जाता है। हेमंत सोरेन, झारखंड की सत्ता के 'सिंहासन' तक एक बार फिर पहुंचते नजर आ रहे हैं। उन्होंने विद्रोह, सत्ता विरोधी लहर और भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों के बाद भी प्रचंड बहुमत से अपनी वापसी तय कर ली है।
गिरफ्तारी के बाद हेमंत सोरेन को पारिवारिक कलह और पार्टी में बढ़ रहे झगड़ों का सामना करना पड़ा। उनकी भाभी सीता सोरेन, जो उनके दिवंगत भाई दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं, नाराज होकर मार्च में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गईं। बताया गया कि वह इस बात से खफा थीं कि पार्टी हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश कर रही थी। इस वजह से मई में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
जमानत और वापसी
पांच महीने जेल में रहने के बाद हेमंत सोरेन को जून में झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिली। अदालत ने माना कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर नहीं हैं और वह ऐसा अपराध करने की संभावना भी नहीं रखते। इसके बाद जुलाई में, हेमंत सोरेन की रिहाई के बाद पार्टी ने चंपई सोरेन से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने को कहा गया। इससे चंपई सोरेन नाराज हो गए और उन्होंने अगस्त में बीजेपी का दामन थाम लिया। उन्होंने यह आरोप लगाया कि उन्हें पार्टी में अपमानित किया गया और वह जनता को न्याय दिलाने के लिए बीजेपी में शामिल हो रहे हैं।
झारखंड विधानसभा चुनाव में जोरदार जीत
यह पूरा साल हेमंत सोरेन के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण रहा है। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद, हेमंत सोरेन ने इस साल अपनी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की स्थिति मजबूत की है। झामुमो ने 81 सीटों वाले विधानसभा में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाकर 33 कर ली है, जो 2019 में 30 थी। कांग्रेस, आरजेडी और सीपीआई (एमएल) जैसे सहयोगियों के बेहतर प्रदर्शन ने गठबंधन की संख्या 56 तक पहुंचा दिया है। वहीं, बीजेपी गठबंधन केवल 24 सीटों पर सिमट गया।
जानते हैं हेमंत सोरेन के जीत के पीछे क्या कारण हो सकते हैं
झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन बरहैत विधानसभा सीट से चुनावी मैडसन में उतरे थे। चुनाव प्रचार में भाजपा द्वारा घुसपैठियों के बढ़ते प्रभाव को खत्म करने कि बात तो कही गई, लेकिन उनके गिरफ्तारी बाद हेमंत सोरेन के प्रति लोगों की सहानुभूति जुड़ी हुई थी। यह झारखंड मुक्ति मोर्चा के जीत बड़ा कारण हो सकता है।
इसके साथ किसी भी चुनाव में महिलाओं का मत एक बड़ी भूमिका निभाता है। हेमंत सोरेन ने वर्ष 2023 21 से 50 की आयु की महिलाओं के लिए 1000 रुपए प्रति माह देने की योजना शुरू की थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस राशि को 1000 से बढ़ाकर 2500 कर दिया। जिस वजह से महिलाओं का झुकाव भी पार्टी की तरफ बढ़ सकता है।